
Last Updated on 24/08/2020 by Sarvan Kumar
हिटलर का नाम सुनते ही एक ऐसे आदमी का चेहरा आँखों के सामने घुम जाता है जो किसी भी सूरत में दुसरो से अपनी बात मनवा लेता है और बात ना मानने पर दे देता है- सजा-ए -मौत. ऐसा खूंखार आदमी जो लाशो का ढेर बिछा देता था. वर्ल्ड वॉर 2 के जिम्मेदार हिटलर ने दुनिया के लगभग 2.3% आबादी को एक झटके में ख़त्म कर दिया था.
पर क्या वो बचपन से ही ऐसा था? जब आप उसके बचपन के बारे में जानेंगे तो आपको उस पर तरस आएगा. आप सोचने के लिए मजबूर हो जायँगे की कैसे पारिवारिक,सामाजिक आर्थिक हालात किसी भोले -भाले इंसान को भी जानवर बना देता है.
हिटलर एक आर्टिस्ट था. एक ऐसा क्रिएटिव माइंड जो अपनी क्रिएटिविटी को ब्रश के जरिये कागजो पर उतारा करता था. उसके करीब 300 पेंटिंग्स मिले हैं जिसे देखकर आपको यकीन नहीं होगा की इतना उम्दा कलाकार आखिर अपने हाथो में बन्दूक लेकर कैसे निर्दोष लोगो खून बहा सकता है.
गलती माँ-बाप और समाज की है जिसने उसने खूनी बना दिया.
आज भी एक बात जो माँ-बाप अपने बच्चो पर थोपते हैं वो है अपनी पसंद का करियर बच्चों पर थोपना, हिटलर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. बचपन से उसका सपना एक पेंटर बनने का था. पर इसके लिए उसके माँ-बाप तैयार नहीं थे.
हिटलर और उसके पिता के बीच उसके फ्यूचर को लेकर काफी लड़ाइयां हुआ करती थीं. उसके पिता उसको सिविल सर्विसेज में करियर बनाने के लिए दबाब डालते थे. पर नियम- कानून के दायरों में ना बंधकर वो फाइन आर्ट्स में अपना करियर बनाना चाहते थे. उनके बीच में तनाव और बढ़ गया जब पिता अलोइस ने उनका एडमिशन Realschule Secondary School में करा दिया जहाँ साइंस और टेक्नोलॉजी पर ज़ादा फोकस किया जाता था. उसके बाद वही हुआ जिसका डर था. हिटलर स्कूल में कभी भी अच्छे ग्रेड नहीं ला पाए. रिजल्ट हमेशा ख़राब और औसत ही रहा.
1903 में पिता की मौत के बाद उन्होंने अपने मां को समझाकर Realschule Secondary School छोड़ दिया और दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया पर वहां भी उनका ग्रेड इम्प्रूव नहीं हुआ. आखिरकार 1905 में उन्होंने पूरी तरह पढाई छोड़ दिया.
1907 में उनकी मां की भी मौत हो गयी. हिटलर अब अकेले पड़ गए . पेंटर बनने का सपना पूरा करने के लिए वियना आ गए. पर यहाँ जो घटना घटी उसमे उनकी लाइफ को हमेशा के लिए बदल दिया. अपने आँखों में भरे सपनो को लेकर उन्होंने अकेडमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स वियना में अप्लाई किया. पर इंस्टिट्यूट ने उनके एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया. हिटलर पूरी तरह से टूट गए. पर हिटलर ने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर से कॉलेज में अप्लाई किया. पर इस बार भी उन्हें निराशा ही मिला. फिर से उनका एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दिया और उसके बाद क्या हुआ आप सभी जानते हैं.

ये कहना तो सही नहीं रहेगा की केवल पेंटर ना बनने की वजह से ही हिटलर तानाशाह बन गए. उनके जीवन में बहुत सारे काम्प्लेक्स सिचुएशन आये जिसके कारण हिटलर वो बन गए जो उन्हें नहीं बनना चाहिए था. लेकिन अगर उनके माँ- बाप उनकी फीलिंग को समझ पाते और फाइन आर्ट्स में दाखिला दिला देते तो शायद हिटलर भी एक नार्मल जिंदगी जी पाते, दुनिया को वर्ल्ड वॉर के मौत के तांडव को नहीं देखना पड़ता , और हिटलर एक अच्छे इंसान के रूप में याद किये जाते.

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