
Last Updated on 29/08/2020 by Sarvan Kumar
आप जब इंडिया गेट देखने जाते हैं तो आपको कुछ दूरी पर एक
केनोपी नजर आती होगी. आप इसे देख कर भी अनदेखा कर देते होंगे. मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि आखिर यह है क्या?
चलिए जानते हैं इंडिया गेट केनोपी के राज!
इंडिया गेट केनोपी में लगी थी ब्रिटिश राजा की मूर्ति
इस केनोपी केअंदर लगी थी ब्रिटिश किंग जॉर्ज V की मूर्ति. इंडिया गेट 1931 में बनकर तैयार हो गया था. इसके पीछे लगभग 150 मीटर की दूरी पर एक केनोपी बनाया गया था. इस केनोपी के अंदर 1936 में जॉर्ज V की मूर्ति लगाई गई थी. इसका उद्देश्य था इंडिया गेट के सामने एक ऐसी प्रतीक को जिंदा रखना जिससे ब्रिटिश की महानता दिखाकर भारत के लोगों को गुलामी का एहसास कराया जाये.
इंडिया गेट केनोपी हिस्ट्री /आर्किटेक्चर
इंडिया गेट केनोपी के अंदर लगाई गई थी किंग जॉर्ज V की मूर्ति इसकी ऊंचाई 15 मीटर थी, यानी कि 49 फीट. छह सड़कों के क्रॉस रोड पर बने कपोला की ऊंचाई 73 फीट है. इसका डिजाइन छठी शताब्दी के महाबलीपुरम पैवेलियन से इंस्पायर्ड था. इंडिया गेट केनोपी का डिजाइन किया था- मशहूर आर्किटेक्चर एडविन लुटियंस ने. जब 1911 में दिल्ली भारत की राजधानी बनी तो दिल्ली को डिजाइन करने की जिम्मेदारी एडविन लुटियंस पर ही थी. केनोपी को रेड मार्बल स्टोन से बनाया गया था.

अब यह खाली क्यों है?
केनोपी के अंदर अब कुछ नहीं है. आजादी के बाद इसमें मूर्ति लगी हुई थी. ये मूर्ति अगले दो दशक तक केनोपी के अंदर लगी रही. यह 1965 की बात है ,स्वतंत्रता दिवस के 2 दिन पहले की, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के मेंबर्स ने स्टैचू को तार से कवर कर दिया और मूर्ति के नाक और कान को तोड़ दिया. सुभाष चंद्र बोस की फोटो भी वहां पर उन लोगों ने छोड़ दी. यह काम उन लोगों ने बलपूर्वक दो कांस्टेबल को कब्जे में लेकर किया था. बाद में इंडियन गवर्नमेंट ने उसे हटाने का निश्चय किया.
मूर्ति हटाने में आई थी काफी रुकावट
मूर्ति को हटाने के लिए पहले ब्रिटिश गवर्नमेंट से संपर्क किया गया कि वह उसे इंडिया से ले जायें.
ब्रिटिश गवर्नमेंट ने जगह और फंड की कमी का हवाला देते हुए मूर्ति को लेने से मना कर दिया. इसके बाद इंडिया में ब्रिटिश हाई कमिशन से संपर्क किया गया कि यह वह इसे अपने कंपाउंड में लगा ले. पर उन्होंने भी जगह की कमी होने के कारण मना कर दिया. इंडियन गवर्नमेंट ने फिर उसे दिल्ली के किसी पार्क में शिफ्ट करने का फैसला किया , पर भारतीय जनसंघ आज की भारतीय जनता पार्टी ने इसका कड़ा विरोध किया. आखिरकार 1968 में केनोपी के अंदर से मूर्ति को हटा दिया गया.
अब कहां है मूर्ति?

मूर्ति को केनोपी के अंदर से हटाने के बाद कुछ दिन इसको कहीं और रखा गया और बाद में नॉर्थ दिल्ली के कोरोनेशन पार्क में शिफ्ट कर दिया गया, जहां पहले से ब्रिटिश राज की और दूसरी मूर्तियां भी रखी गई थीं.
इंडिया गेट केनोपी में महात्मा गांधी की मूर्ति लगाने की भी मांग की गई
यूनियन केबिनेट ने 29 जुलाई 1992 के मीटिंग में महात्मा गांधी के मूर्ति को लगाने का फैसला किया. किस जगह लगाया जाये यह फैसला मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डेवलपमेंट पर छोड़ दिया गया. इस पर विवाद छिड़ गया मामला हाईकोर्ट पहुंचा.
दिल्ली कोर्ट ने 26 जुलाई 1995 को एक आर्डर दिया जिसके तहत सरकार को यह निर्देश दिया गया कि वो 1936 में डिजाइन की गई एडविन लुटियंस की केनोपी में कोई बदलाव ना करें, ना उसे वहां से हटाया जाये या इसे डिमोलिश करें.
9 मार्च 2005 को हाई कोर्ट ने दिल्ली कोर्ट के फैसले पर ही मुहर लगाया. इस तरह से इस मामले का निपटारा कर दिया गया. हालांकि सूत्रों की माने इस मामले में कोई भी नया प्रपोजल नहीं मिला जिसके तहत दूसरी मूर्ति को स्थापित किया जा सके ना ही इस फैसले को किसी ने चुनौती दी गयी.


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