
Last Updated on 13/12/2019 by Sarvan Kumar
हम बुजुर्गों से अक्सर सुनते रहते हैं “घोर कलियुग है”। आखिर कलियुग क्या है, कलियुग के लक्षण क्या है। धरती पर हर तरह के अपराध में इजाफ़ा क्यों हो रहा है। मौसम में इतना उतार- चढ़ाव क्यों है। तो क्या धरती का अंत करीब है? हिन्दू धर्म में दुनिया के शुरुआत की और अंत का विस्तार से वर्णन किया गया है।
कुल चार युग। कलयुग कितना बाकी है
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार मानव सभ्यता के चार युग हैं। पहला सतयुग दूसरा त्रेता युग तीसरा द्वापर युग और चौथा कलियुग है। ये चारों युगों के खत्म होने के बाद पुनः युगों की शुरुआत हो जाती है। इन चारों युगों में मानव का कर्म, धर्म, आचार -व्यवहार अलग – अलग तरीकों का होता है।
कलयुग कितना बाकी है?
मनुष्य का 1 साल– देवताओं के एक दिन और रात के बराबर होता है।
(1 दिन और रात को अहोरात्र कहा जाता है)
धरती पर मनुष्य के 30 साल– देवताओं के एक मास के बराबर होता है।
मनुष्यों के 360 साल– देवताओं के 1 साल के बराबर होता है। (देवताओं के 1 साल को एक दिव्य वर्ष कहते हैं)
एक कलयुग = देवताओं के 1200 दिव्य वर्ष अर्थात मानव के 432000 वर्ष।
द्वापर युग= देवताओं के 2400 दिव्य वर्ष अर्थात मानव के 864000 वर्ष।
त्रेता युग =देवताओं के 3600 दिव्य वर्ष अर्थात मानव के 1296000 वर्ष।
सतयुग= देवताओं के 4800 दिव्य वर्ष अर्थात मानव के 1728000 वर्ष।
महायुग = देवताओं के 12000 दिव्य वर्ष अर्थात मानव के 4320000 वर्ष।
वर्तमान कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था।इस तरह से कलियुग के 3102 +2019 अर्थात 5121 वर्ष बीत चुके हैं। इसका मतलब यह हुआ कलियुग अभी प्रथम चरण में ही है।
कलियुग के लक्षण
कलियुग में धीरे-धीरे मनुष्यों के स्वभाव में बदलाव होगा, वे बुरे और अधर्मी होते चले जायेंगे। प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होगी। कुल मिलाकर ऐसी स्थिति बनेगी की मानव सभ्यता का अंत हो जाएगा। आईये देखते हैं कलियुग के लक्षण क्या- क्या है और मानव सभ्यता का अंत किस प्रकार होगा।
मनुष्य होंगे अल्पायु और छोटे कद वाले।
कलियुग के अंत आते -आते मनुष्यों की आयु काफी कम होती चली जाएगी, उनकी औसत आयु 20- 30 साल की ही रह जायेगी। ऐसा इसलिए होगा की वे तरह- तरह के रोगों के शिकार हो जायेंगे। लड़कियां कम उम्र (5 -7 साल) में ही मां और लड़के भी कम उम्र (10 साल) में बाप बन जायेंगे। अल्पायु होने के साथ-साथ मनुष्य छोटे कद के हो जाएंगे। मनुष्य के साथ-साथ जानवर भी छोटे आकार के हो जाएंगे, गायें बकरी के समान हो जाएगी।
इंसानों का स्वभाव में होगा तेजी से परिवर्तन
1. मनुष्य धर्म -कर्म करना बंद कर देंगे और वे नास्तिक बन जाएंगे।
2. मनुष्य में क्षमा, दया की भावना खत्म हो जाएगी वे एक दूसरे को लूटने में लगे रहेंगे।
3. धन का बोलबाला होगा और जिनके पास धन होगा वही समाज का स्वामी होगा।
4.अन्न नहीं उपजने के कारण लोग मांस मछली ही खाएंगे।
5.मनुष्य जुआरी, शराबी और दुराचारी हो जाएंगे।
6. हिंसा में वृद्धि होगी, रिश्ते खत्म हो जाएंगे, भाई ही भाई के दुश्मन होंगे, पिता पुत्र की और पुत्र पिता की कोई परवाह नहीं करेगा।
7. पुरुष परस्त्रिगमन करेंगे और स्त्रियां भी व्यभिचारीनी हो जाएँगी।
8.लोग भोग -विलास में लिप्त रहेंगे।
कैसा होगा स्त्रियों का स्वभाव
1. स्त्रियां उन्हीं के पास रहेंगी जिनके पास धन होगा वह अपने धनहीन पति को छोड़ देगी।
2. स्त्रियां पराए मर्द के साथ संबंध बनाने में संकोच नहीं करेगी
3. महिलाओं को अपने केशों पर ही रूपवती होने का गर्व होगा।
4. पत्नियां पतिव्रत धर्म का पालन नहीं करेंगी और वह कठोर स्वभाव तथा कड़वा बोलने वाली बन जाएगी।
5. 6 से 7 साल की उम्र में ही लड़कियां मां बन जाएगी।
कैसी होगी प्राकृतिक स्थिति
1.प्राकृतिक स्थिति बद से बदतर होती चली जाएगी।
2. गर्मी बढ़ती चली जाएगी।
3. नदी नाले ,समुद्र सुखते चले जाएंगे।
4 मिट्टी बंजर बन जाएगी, खेतों से अन्न उगने बंद हो जायेंगे।
5. प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप , बारिश ,तूफान में वृद्धि होती चली जाएगी।
6. भारी गर्मी की वजह से धरती पर सब कुछ सूख जाएगा और बारिश आना बंद हो जाएगा।
7. लोग घरों में रहना बंद कर देंगे और वह जमीन में गड्ढे बनाकर रहना शुरु करेंगे।
होगा कल्कि अवतार!

कलियुग के अंतिम काल में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। भगवान कल्कि बहुत ऊंचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से सभी अधर्मियों का नाश करेंगे। प्राकृतिक आपदा,बीमारी हिंसा में वृद्धि इत्यादि से समाज का अंत हो जाएगा।
होगी नए युग की शुरुआत
सब कुछ खत्म हो जाने के बाद 12 वर्षों तक लगातार बारिश होगी। धरती जलमग्न हो जाएगी और जल में ही जीवन की शुरुआत फिर से होगी
कलियुग के लक्षण बयां करती ये कविता
अपने ही दुनिया में खोये हैं लोग।
बेखबर, बेहिसाब सोयें हैं लोग।
जो है नहीं उनका,
इसके घमंड मे ही फूलें हैं लोग।
बूढी और जर्जर,
हो रही इस काया को,
साबुन और इत्र से,
चमकाने में लगे हैं लोग।
जो अमर है,
जिसे मैला नहीं होना था,
उस आत्मा को ,
गंदा करने मे लगे हैं लोग।
धर्म, मजहब, धन-दौलत,
की उंची दिवार बनाकर,
अपने को बड़ा बताने में लगे हैं लोग।
अपने कर्तव्यों से मुख मोड़कर,
आत्म संतुष्टि को ही परम धर्म,
मानने लगे हैं लोग।
अपने को ज्ञानीं और दूसरे को,
अज्ञानीं समझने लगे हैं लोग।
जिससे सबकुछ मिला,
उस परमात्मा के हीं आस्तित्व पर,
सवाल ऊठाने लगे हैं लोग।
थोड़ी देर रुको, जरा सोचो,
क्या इन सबसे खुश हो लोग?
अरे कुछ ही दिन की तो बात है,
इंसान बनके तो जीओ तुम।
क्यों अपने को,
हैवान बनाने में लगे हो लोग।

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