
Last Updated on 10/04/2020 by Sarvan Kumar
सभी मंत्रों में गायत्री मंत्र सबसे दिव्य और चमत्कारी है. इस मंत्र के नियमित जाप से कई लाभ मिलते हैं. गायत्री मंत्र के जाप से उत्साह एवं सकारात्मकता बढ़ती है, तेज बढ़ता है. इस मंत्र के जाप से परमार्थ में रूचि बढ़ती है, पूर्वाभास होने लगता है. इस मंत्र के जाप से आर्शीवाद देने की शक्ति बढ़ती है, नेत्रों में तेज आता है, स्वप्न सिद्धि प्राप्त होती है, क्रोध शांत होता है,ज्ञान की वृद्धि होती है. इस मंत्र का जाप हर किसी के लिए लाभकारी माना गया है. शास्त्रों में बताया गया है कि जीवन के सबसे कठिन समय में इस मंत्र का जाप आपकी मदद कर सकता है. शक्ति को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है. विद्यार्थियों के लिए ये जप सबसे उपयोगी माना जाता है. प्रतिदिन 108 बार इस मंत्र का जाप करने से बच्चों में ऊर्जा आती है और उन्हें विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है. यदि नौकरी नही मिल रही, बिजनेस में हानि हो रही है या मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है तो गायत्री मंत्र का जाप करने से लाभ होता है .
गायत्री मंत्र और उसका अर्थ
शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को वेदों में सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है. गायत्री मंत्र में 14 शब्द होते हैं जो अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण शिक्षाओं के प्रतीक हैं. वेद, शास्त्र, पुराण, स्मृति, उपनिषद् आदि में जो शिक्षाएं मनुष्य को दी गई है उन सबका सार इन 14 शब्दों में मौजूद है.
गायत्री मंत्र
ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
अर्थ
ऊं- प्रणव
भूर- मनुष्य को प्राणशक्ति देने वाला
भुव:- समस्त दुखों को समाप्त करने वाला
स्व:- समस्त सुखों का दाता
तत– वह
सवितुर- सूर्य के समान उज्ज्वल
वरेण्यं– सर्वोत्तम
भर्गो- समस्त कर्मों से उद्धार करने वाला
देवस्य– प्रभु
धीमहि- ध्यान के योग्य
धियो – बुद्धि
यो– जो
न:– हमारी
प्रचोदयात्- हमें शक्ति प्रदान करे
अर्थात:
हम उस प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, प्रेरक, तेजस्वी एवं देवस्वरूप परमात्मा को अंतरात्मा में धारण करें और वह हमारी बुद्धि को शुभ कार्यों में लगाए.
गायत्री मंत्र जप का सही समय
गायत्री मंत्र जप के लिए तीन समय बताए गए हैं.
1. गायत्री मंत्र के जप का पहला समय है प्रात:काल. सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए. जप सूर्योदय के पश्चात तक करना चाहिए.
2. मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर मध्यान्ह का. दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है.
3. इसके बाद तीसरा समय है शाम को. सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए. इन तीन समय के अतिरिक्त यदि गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से जप करना चाहिए. मंत्र जप अधिक तेज आवाज में नहीं करना चाहिए.
गायत्री मन्त्र जप के लाभ
जीवन में सफलता के लिए करें गायत्री मन्त्र का जाप
मेहनत, सफलता का मूल मंत्र है लेकिन कभी-कभी हमें तमाम प्रयासों के बावजूद भी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पाता. अगर ऐसा ही कुछ आपके साथ हो रहा है तो जीवन में सफलता के लिए मेहनत के साथ-साथ गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से आपकी तमाम परेशानियां दूर हो सकती हैं. गायत्री मंत्र का जाप आपको मनचाही मंजिल तक पहुंचा सकता है. गायत्री मंत्र के नियमित जाप से आपको मनचाही वस्तु प्राप्ति और आपकी तमाम इच्छा पूर्ति होगी.
रोग से मुक्ति दिलाता है गायत्री मंत्र
परिवार का कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता है य़ा किसी रोग से परेशान है और रोग से जल्दी मुक्ति चाहते हैं तो उस व्यक्ति को लाल आसन पर बैठकर कांस के पानी में जल भरकर फिर 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए और उसके बाद उस जल को पी लेने से हर तरह की परेशानी खत्म होने लगती है. जप के पश्चात जल से भरे पात्र का सेवन करने से गंभीर से गंभीर रोग का नाश होता है. यही जल किसी अन्य रोगी को पीने देने से उसके भी रोग का नाश होता हैं.
दरिद्रता और गरीबी दूर करता है गायत्री मंत्र का जाप
अगर किसी को व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या कार्य में सफलता नहीं मिलती, आमदनी कम है तथा खर्च अधिक है तो गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए. शुक्रवार को पीले वस्त्र धारण कर हाथी पर विराजमान गायत्री माता का ध्यान कर गायत्री मंत्र का जाप करने से दरिद्रता का नाश होता है.
विद्या की प्राप्ति
गायत्री मंत्र का जप सभी के लिए उपयोगी है किंतु विद्यार्थियों के लिए तो यह मंत्र बहुत ही लाभकारी है. प्रतिदिन इस मंत्र का 108 बार जप करने से विद्यार्थी को सभी प्रकार के विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है. विद्यार्थियों को पढऩे में मन नहीं लगना, याद किया हुआ भूल जाना, शीघ्रता से याद न होना आदि समस्याओं से निजात मिल जाता है.
गायत्री मंत्र के जाप से मिलेगा संतान सुख
किसी दंपत्ति को यदि संतान प्राप्त करने में कठिनाई आ रही हो या संतान से दुखी हो अथवा संतान रोगग्रस्त हो तो प्रात: पति-पत्नी एक साथ सफेद वस्त्र धारण कर गायत्री मंत्र का जप करें. संतान संबंधी किसी भी समस्या से शीघ्र मुक्ति मिलती है.
शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी
जीवन में कई लोग आपकी कामयाबी से जलने लगते हैं और इस कारण वो शत्रु बन जाते हैं. गायत्री मंत्र का जाप करने से परिवार में एकता आती है जो शत्रुओं से लड़ने में मदद करती है. यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं के कारण परेशानियां झेल रहा हो तो उसे प्रतिदिन या विशेषकर मंगलवार, अमावस्या अथवा रविवार को लाल वस्त्र पहनकर माता दुर्गा का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र 108 बार जाप करना चाहिए,इससे शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. गायत्री मंत्र के जाप से मित्रों में सद्भाव, परिवार में एकता बनी रहती है तथा न्यायालय आदि कार्यों में भी विजय प्राप्त होती है.
विवाह कार्य में आ रही अड़चनें दूर होती है
अगर किसी के विवाह में अनावश्यक देरी हो रही हो और लंबे समय से शादी नही हो पा रही हो तो सोमवार के दिन सुबह स्नानादि के बाद माता पार्वती का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. गायत्री मंत्र के 108 बार जाप करने से विवाह कार्य में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं. यह साधना स्त्री पुरुष दोनों कर सकते हैं.

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