Ranjeet Bhartiya 11/02/2019
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Last Updated on 06/09/2020 by Sarvan Kumar

पश्चिमी चंपारण भारत के बिहार राज्य में स्थित एक जिला है.। यह जिला तिरहुत प्रमंडल के अंतर्गत आता है. ये वो जगह  है जहां भगवान राम और सीता के दोनों पुत्र – लव और कुश का जन्म हुआ था. पश्चिम चंपारण में कितने ब्लॉक है ? यहाँ कौन-कौन सी जगह दर्शनीय हैं? आईए जानते हैं पश्चिमी चंपारण जिले की पूरी जानकारी.

नामकरण और गठन

चंपारण का नाम चंपा+ अरण्य से बना है. अरण्य का अर्थ होता है जंगल. इस तरह से चंपारण का पूरा अर्थ है- चंपा के पेड़ों से आच्छादित जंगल.1866 में अंग्रेजों ने इसे स्वतंत्र इकाई बनाया था. 1972 में प्रशासनिक सुविधा के लिए इसका विभाजन कर दिया गया था. और इसे विभाजित करके दो स्वतंत्र जिले बनाए गए- पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण.

पश्चिमी चंपारण जिले की भौगोलिक स्थिति

बाउंड्री (चौहद्दी)
हिमालय की तराई प्रदेश में बसा हुआ इस जिले की सीमायें उत्तर प्रदेश और नेपाल की सीमाओं से लगती है.
उत्तर में- नेपाल
दक्षिण में- पूर्वी चंपारण और गोपालगंज जिले का हिस्सा
पूरब में- नेपाल
पश्चिम में- उत्तर प्रदेश का महाराजगंज और कुशीनगर जिला

क्षेत्रफल
पश्चिम चंपारण जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 5228 वर्ग किलोमीटर है.क्षेत्रफल की दृष्टि से यह बिहार का सबसे बड़ा जिला है.

प्रमुख नदियां- गंडक नदी

अर्थव्यवस्था- कृषि और उत्पादन

पश्चिमी चंपारण जिले की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. यह जिला गन्ने की खेती के लिए मशहूर है. यहां पर उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं- धान, गन्ना और बेंत.

व्यापार और उद्योग
पश्चिमी चंपारण जिले और पड़ोसी देश नेपाल में वनों के विस्तार होने के कारण यहां पर उत्तम किस्म के लकड़ियों का व्यापार होता है. यहां नेपाल से सड़क मार्ग द्वारा चावल, लकड़ी और मसाले का आयात होता है. जबकि यहां से कपड़ा और पेट्रोलियम जैसे उत्पाद निर्यात किए जाते हैं.लकड़ी के अलावे बेतिया के आसपास बेंत मिलते हैं जो फर्नीचर बनाने के काम आते हैं.जिले के प्रमुख व्यापार केंद्र हैं: बगहा , बेतिया, चनपटिया और नरकटियागंज.जिले में कई कृषि आधारित उद्योग हैं. मझौलिया, बगहा, हरिनगर, नरकटियागंज, रामनगर, चनपटिया और लोरिया में चीनी मिल हैं.कुटीर उद्योग की बात करें तो यहां पर रस्सी, चटाई और गुड़ बनाने का काम होता है.

पश्चिमी चंपारण जिले का  प्रशासनिक सेटअप

डिवीज़न : तिरहुत
प्रशासनिक सुविधा के लिए पश्चिम चंपारण जिले को तीन अनुमंडलों और 18 प्रखंडों में बांटा गया है.

अनुमंडल: जिले में कुल तीन अनुमंडल -हैं बेतिया, बगहा और नरकटियागंज.

पश्चिमी चंपारण में कितने ब्लॉक है?

जिले में कुल 18 प्रखंड है. इन प्रखंडों के नाम हैं: गोनहा, चनपटिया, जोगापट्टी, ठकराहा, नरकटियागंज, नौतन, पिपरासी, बगहा- 1 , बगहा – 2 , बेतिया, बैरिया, भुतहा, मधुबनी, मझौलिया, मैनाटांड, रामनगर, लोरिया और सिकटा

ग्राम पंचायतों की संख्या: 315
गांवों की संख्या: 1483
रेवेन्यू ग्राम की संख्या: 1507
शहरी लोकल बॉडी नगर पालिका नगर पंचायत: 5
पुलिस जिला: 2 बेतिया और बगहा.

 पश्चिमी चंपारण जिले की डेमोग्राफी ( जनसांख्यिकी)

2011 की जनगणना के अनुसार:
जनसंख्या: 39.35 लाख
पुरुष : 20.61 लाख
महिला: 18.73 लाख

जनसंख्या वृद्धि (दशकीय): 29.29%
जनसंख्या घनत्व : 753 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
बिहार के जनसंख्या में अनुपात: 3.78%
लिंग अनुपात : 909 प्रति 1000 पुरुष

औसत साक्षरता : 55.70%
पुरुष साक्षरता : 65.59 %
महिला साक्षरता: 44.69%

शहरी जनसंख्या : 9.99%
ग्रामीण जनसंख्या: 90.0 1%

धर्म
पश्चिमी चंपारण जिले में हिंदू बहुसंख्यक हैं साथ ही मुस्लिमों की भी आबादी अच्छी खासी है.2011 की जनगणना के अनुसार जिले में हिंदू 77.44%, मुस्लिम 21.98% हैं. इसके अलावा जिले में इसाई (0.22%), सिख (0.02%), बौद्ध (0.03%), जैन (0.01%) और अन्य (0.05%) हैं.

चंपारण जिले के पर्यटन स्थल

त्रिवेणी संगम

त्रिवेणी संगम नेपाल सीमा पर बाल्मीकीनगर से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. नेपाल के त्रिवेणी गांव और चंपारण के भैंसालोटन गांव के बीच स्थित इस संगम पर तीन नदियों -गंडक, पंचनद और सोहना नदी का मिलन होता है. श्रीमदभागवत पुराण के अनुसार विष्णु के प्रिय भक्त “गज” और “ग्राह” की लड़ाई इसी स्थान से आरंभ हुई थी जिसका अंत वैशाली के हाजीपुर के निकट कोनहारा घाट पर हुआ था.

लव और कुश का जन्म स्थल

बाल्मिकीनगर आश्रम
ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के द्वारा त्यागे जाने पर माता सीता ने यही आश्रय लिया था. भगवान राम और सीता के दोनों पुत्र – लव और कुश का जन्म यहीं पर हुआ था. महर्षि बाल्मिकी ने यहीं पर महाकाव्य रामायण की रचना की थी.

बाल्मिकीनगर राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य

ये उद्यान पश्चिमी चंपारण जिले के उत्तरी भाग में, नेपाल की सीमा के पास, बेतिया से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह नेशनल पार्क उत्तर में नेपाल के रॉयल चितवन नेशनल पार्क और पश्चिम में हिमालय पर्वत तथा बूढ़ी गंडक से घिरा हुआ है. इस नेशनल पार्क में बाघ, हिरन, चीता, हायना, हॉग डॉग, सांभर, तेंदुआ , नीलगाय, जंगली बिल्ली जैसे जंगली पशु दिखाई देते हैं. कभी-कभार यहां पर नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से एकसिंघी गैंडा और जंगली भैंसे चलकर वाल्मीकि नगर में आ जाते हैं.

सम्राट अशोक से जुड़े कुछ स्थल

रामपुरवा का अशोक स्तंभ
यह गौनहा प्रखंड के रामपुरवा में स्थित है. यहां पर सम्राट अशोक के द्वारा बनवाए गए दो शीर्ष रहित स्तंभ है. इन स्तंभों के ऊपर बने सिंह वाले शीर्ष को कोलकाता संग्रहालय में रखा गया है जबकि वृषभ वाले शीर्ष को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है.

नंदनगढ़ चानकीगढ़ और लौरिया का अशोक स्तंभ
लोरिया प्रखंड के चंदनगढ़ और नरकटियागंज प्रखंड के चानकी गढ़ में नंद वंश और चाणक्य के द्वारा बनवाए गए महलों के टीलानुमा अवशेष हैं.

जानकारी

नंदनगढ़ के टीले को भगवान बुध की अस्थि अवशेष पर बना स्तूप भी माना जाता है.नंदनगढ़ से 1 किलोमीटर दूर लोरिया में 2300 वर्ष पुराना अशोक स्तंभ है. 35 फीट ऊंचे इस अशोक स्तंभ के ऊपर सिंह की आकृति बनी हुई है.

भिखना ठोढी
भिखना ठोढी पश्चिमी चंपारण जिले के उत्तर में गौनहा प्रखंड में स्थित है. यह नरकटियागंज-भिखना ठोढी रेलवे लाइन का अंतिम स्टेशन है. नेपाल सीमा पर बसा एक छोटा सा जगह अपने शांत, मनोरम वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है.

गांधी से जुड़ा हुआ भितहरवा आश्रम

गौनहा प्रखंड के भितहरवा गांव के एक छोटे से घर में ठहरकर महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी. जिस घर में गांधीजी ठहरे थे आज उसे भितहरवा आश्रम के नाम से जाना जाता है. गांधी जी के विचारों आदर्श और मूल्यों को मानने वालों के लिए यह एक तीर्थ के समान है.

सुमेश्वर का किला
सोमेश्वर की पहाड़ी की ढलान पर बना सुमेश्वर का किला रामनगर प्रखंड में स्थित है. हालांकि यह किला अब केवल खंडहर मात्र रह गया है . लेकिन किले के शीर्ष से आसपास के घाटियों और पर्वत श्रेणियों के विहंगम दृश्य देखा जा सकता है. इस किले से हिमालय की प्रसिद्ध शिखरों जैसे धौलागिरी, गोसाई नाथ और गौरी शंकर शिखरों को देखा जा सकता है.

वृंदावन
यह स्थान बेतिया से 10 किलोमीटर दूर स्थित है. 1937 में यहां पर ऑल इंडिया गांधी सेवा संघ का वार्षिक सम्मेलन हुआ था. इस सम्मेलन में गांधी जी सहित बड़े-बड़े नेता जैसे- डॉ राजेंद्र प्रसाद और जे बी कृपलानी भी शामिल हुए थे.

गंडक परियोजना
गंडक नदी पर बना 15 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाला यह एक बहुउद्देशीय परियोजना है. गंडक बैराज के आसपास का इलाका शांतम, मनोरम और प्राकृतिक सुंदरता से भरा है.

सरैया मन पक्षी विहार
बेतिया से 6 किलोमीटर दूरी पर सरैया में यह एक खूबसूरत पक्षी विहार है. यहां पर एक प्राकृतिक झील है जहां पक्षियों की कई प्रजातियां प्रवास करने प्रवास करती हैं. झील के किनारे जामुन के पेड़ हैं. जामुन के फल झील में गिर जाते हैं जिसके कारण झील के पानी को पाचन के लिए अच्छा माना जाता है . यह स्थानीय लोगों के लिए एक पक्षी विहार के साथ-साथ एक पॉपुलर पिकनिक स्पॉट भी है.

पश्चिमी चंपारण कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा लोकनायक जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट यहां से 210 किलोमीटर की दूरी पर पटना में स्थित है.
दूसरा हवाई अड्डा नेपाल सीमा के बीरगंज मे स्थित है.

रेल मार्ग
जिले के प्रमुख रेलवे स्टेशन है- बेतिया, रक्सौल और नरकटियागंज.

सड़क मार्ग
बिहार की राजधानी पटना से बेतिया की दूरी 210 किलोमीटर है. बेतिया,,बगहा, नरकटियागंज और रक्सौल आदि से पटना , मोतिहारी और मुजफ्फरपुर इत्यादि के लिए बस सुविधा है.
आप चाहे तो अपनी कार और बाइक से भी यहां आ सकते हैं.

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