
Last Updated on 14/04/2020 by Sarvan Kumar
असंतुलित जीवन शैली, अनियमित खानपान , काम का बोझ, तनाव खराब सेहत और नए रोगों का कारण बन रहा है. हाल ही में आये एक अनुसंधान से पता चला है कि असंतुलित जीवन शैली और रहन- सहन के कारण युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं. ब्रेन स्ट्रोक के चलते शरीर जिंदगी भर के लिए विकलांग बन सकता है.
क्या है ब्रेन स्ट्रोक?
मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित होने या गंभीर रूप से कम होने के कारण स्ट्रोक होता है. मस्तिष्क के ऊतकों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने पर कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं जिसके कारण मृत्यु या स्थायी विकलांगता हो सकती है.
ब्रेन स्ट्रोक के मुख्य कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ समय पहले तक युवाओं में स्ट्रोक के मामले सुनने में नहीं आते थे लेकिन अब युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक आम है.
युवाओं में स्ट्रोक के बढ़ते मामलों के मुख्य कारण
1. हाई ब्लड प्रेशर
2. डायबिटीज
3. ब्लड शुगर
4. हाई कोलेस्ट्रॉल
5. शराब का सेवन
6. धूम्रपान
7. नशीले पदार्थों की लत
8. आरामपसंद जीवन शैली
9. शारीरिक गतिविधियों की कमी
9. मोटापा
10. जंक फूड का सेवन
11. तनाव
कितना घातक है ब्रेन स्ट्रोक?
ब्रेन स्ट्रोक भारत में कैंसर के बाद मौत का दूसरा प्रमुख कारण है.
आंकड़े के हिसाब से देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किए जाते हैं. स्ट्रोक भारत में समय से पहले मृत्यु और विकलांगता का एक महत्वपूर्ण कारण बनता जा रहा है. दुनिया भर में हर साल स्ट्रोक से 2 करोड़ लोग पीड़ित होते हैं, जिनमें से 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है और अन्य 50 लाख लोग अपाहिज हो जाते हैं.अध्ययन के अनुसार, हमारे देश में हर तीन सेकेंड में किसी न किसी व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक होता है और हर तीन मिनट में ब्रेन स्ट्रोक के कारण किसी न किसी व्यक्ति की मौत होती है.
किसको ज़्यादा खतरा है?
कोरोनरी धमनी रोग के बाद स्ट्रोक मौत का सबसे आम कारण है.
स्ट्रोक ‘क्रोनिक एडल्ट डिसएबिलिटी’ का एक आम कारण है. 55 वर्ष की आयु के बाद 5 में से एक महिला को और 6 में से एक पुरुष को स्ट्रोक का खतरा रहता है.
क्या है ब्रेन स्ट्रोक का इलाज?
स्ट्रोक का इलाज किया जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात समय का सदुपयोग है. एक स्ट्रोक के बाद हर दूसरे स्ट्रोक में अत्यधिक मस्तिष्क कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है. इसलिए स्ट्रोक होने पर रोगियों को निकटतम स्ट्रोक उपचार केंद्र में जल्द से जल्द ले जाया जाना चाहिए. स्ट्रोक के इलाज में देरी नही करना चाहिए. इलाज में देरी होने पर लाखों न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और मस्तिष्क के अधिकतर कार्य प्रभावित होते हैं. इसलिए रोगी को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना ज़रूरी है.

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