
Last Updated on 21/03/2020 by Sarvan Kumar
कोरोना वायरस का असर अब धार्मिक समारोह पर भी दिखने लगा है. धार्मिक स्थलों को बंद किया जा रहा है तथा लोगों को अपने ही घर में पूजा अर्चना करने की सलाह दी जा रही है. इस बात पर विशेष ध्यान दिया जा रहा कि जो धार्मिक स्थल खुले हैं वहां पर भारी संख्या में भीड़ इकट्ठी ना हो.
दुनिया भर में करोना के प्रकोप का असर अब मस्जिदों में अदा किए जाने वाले नमाज पर भी दिखने लगा है. मुस्लिमों से कहा जा रहा है कि वे मस्जिदों में नमाज पढ़ने के स्थान पर अपने घर में ही नमाज पढ़ें. कई देशों में मस्जिदों में अदा किए जाने वाले जुम्मे के नमाज को प्रतिबंध कर दिया गया या फिर स्थगित कर दिया गया. जहां-जहां नमाज के लिए मस्जिद खुले हैं वहां लोगों को फ्री में सैनिटाइजर बांटे जा रहे तथा उनसे अपील की जा रही की वह कम से कम संख्या में मस्जिद में इकट्ठा हों. मस्जिदों को कीटाणु रहित किया जा रहा.
कोरोना वायरस ने जिन इस्लामिक इस्लामिक मुल्कों को अब तक सबसे ज्यादा प्रभावित किया है उनमें प्रमुख हैं-ईरान, मलेशिया, तुर्की, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र, लेबनान, कुवैत, यूनाइटेड अरब अमीरात,मोरक्को, जॉर्डन, कजाकिस्तान और बांग्लादेश.
कोरोना वायरस की गंभीरता को ध्यान में रखकर जिन इस्लामिक मुल्कों ने मस्जिदों में सामाजिक समारोहों और सामूहिक कार्यक्रमों पर व्यापक प्रतिबंध लगाया है उनमें प्रमुख हैं-तुर्की, लेबनान, इराक, ईरान, मिस्र, जॉर्डन, मलेशिया, सऊदी अरब, सूडान, रवांडा, नाइजीरिया, कुवैत और मलेशिया.
इस्लामिक मुल्कों की बात करें तो कोरोनावायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप ईरान में देखने को मिल रहा है, जहां कोरोनावायरस से अब तक 1400 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए मस्जिदों को बंद किया जा रहा तथा जुम्मे की नमाज को स्थगित किया जा रहा है ताकि लोग भारी संख्या में एक जगह इकट्ठे नहीं हो पाए.
सऊदी अरब में अब तक 344 लोग कोरोना के चपेट में आ चुके हैं. सऊदी अरब में मक्का और मदीना में स्थित मस्जिदों क्रमशः मस्जिद अल हरम और मस्जिद-ए-नबवी मस्जिद को छोड़कर सभी मस्जिदों में नमाज अदा करने पर रोक लगा दी गई है. सऊदी अरब ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए मक्का-मदीना मस्जिदों के दीवारों के अंदर और बाहर दैनिक और साप्ताहिक नमाज पर रोक लगा दिया है.
तुर्की के धार्मिक मामलों के प्रमुख अली एराब ने इस्लाम का हवाला देते हुए कहा है कि इस्लाम उन प्रथाओं की अनुमति नहीं देता जिससे मानव जीवन खतरे में पड़ जाए. उन्होंने मुस्लिमों से अपील किया कि जब तक कोरोना संक्रमण का खतरा कम ना हो जाए लोग अपने घरों में ही नमाज पढ़ें.

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