
Last Updated on 10/04/2019 by Sarvan Kumar
लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात वे 9 जून 1964 से लेकर 11 जनवरी 1966 तक , लगभग 18 महीने के लिए भारत के प्रधानमंत्री रहे.उनकी मृत्यु का रहस्य आज भी बना हुआ है. आइए जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कब और कैसे हुई थी?
चुनौती भरा कार्यकाल
प्रधानमंत्री के तौर पर लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल कठिन चुनौतियों से भरा रहा. 3 साल पहले 1962 में जब नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे, चीन और भारत के युद्ध में भारत को भारी हार का सामना करना पड़ा था. देश अपने जख्मों पर मरहम लगा ही रहा था कि 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया.इस युद्ध में कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद पाकिस्तान ने सपने में भी नहीं किया होगा. नेहरू के तुलना में शास्त्री जी ने देश को एक सक्षम और कुशल नेतृत्व दिया. इस युद्ध में पाकिस्तान को भारत के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा.
ताशकंद में हुई लाल बहादुर शास्त्री की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत
अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण लाल बहादुर शास्त्री को ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर करना पड़ा. लेकिन शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद रूस के ताशकंद में शास्त्री जी की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई. लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु आज तक एक पहेली बनी हुई है.
क्या 1965 का भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध बना लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु का कारण
1965 , समय: शाम के 7:00 बजे. पाकिस्तान ने अचानक भारत पर हवाई हवाई हमला कर दिया.हालात की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रपति ने आपातकालीन बैठक बुला लिया . इस बैठक में थल सेना, वायु सेना, नौ सेना के प्रमुख और मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल थे.
निडर प्रधानमन्त्री
तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री इस बैठक में थोड़े विलंब से पहुंचे. शास्त्री जी के आते हीं विचार विमर्श का दौर आरंभ हुआ. तीनों सेना के प्रमुखों ने प्रधानमंत्री को जमीनी हकीकत के बारे में बताया . शास्त्री जी धैर्य से संयम पूर्वक सब कुछ सुनते रहे .पूरी जानकारी देने के बाद सेना प्रमुखों ने शास्त्री जी से कहा,-” सर! क्या हुक्म है?शास्त्री जी ने तुरंत जवाब दिया,-” आप देश की रक्षा कीजिए. मुझे बताइए कि हमें क्या करना है, और हमें क्या करना चाहिए?शास्त्री जी की बातों को सुनकर सेना प्रमुखों के मन में उत्साह का संचार हुआ और वो जोश खरोश से युद्ध की तैयारी में लग गए.शास्त्री जी ने जय जवान-जय किसान का नारा देकर देश का मनोबल बढ़ाया और सारे देश को एकजुट कर दिया.
लाहौर तक पहुंचे भारतीय सैनिक
6 सितंबर, 1965 भारत और पाकिस्तान के बीच इच्छोगिल नहर के पश्चिमी किराने पर भीषण युद्ध छिड़ गया . इच्छोगिल नहर भारत और पाकिस्तान की वास्तविक सीमा थी. 15वे पैदल सैनिक दल का नेतृत्व सेकंड वर्ल्ड वॉर के अनुभवी मेजर जनरल प्रसाद कर रहे थे. मेजर जनरल प्रसाद के काफिले पर भयंकर हमला हुआ. उन्हें पीछे हटना पड़ा. इसके बाद भारतीय थल सेना ने दुगने उत्साह के साथ बरकी गांव के समीप नहर पार करने में सफलता हासिल कर लिया.भारत की सेना लाहौर हवाई अड्डे पर हमला करने की सीमा में पहुंच गई थी. ऐसे अप्रत्याशित जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान बुरी तरह घबरा गया. लाहौर पर हुए हमले का परिणाम यह हुआ कि अमेरिका ने लाहौर में रह रहे अपने नागरिकों को लाहौर से निकालने के लिए कुछ अवधि के नाम की युद्ध विराम की अपील की.
रूस और अमेरिका ने शास्त्री जी पर युद्ध विराम का डाला दबाब
रूस और अमेरिका शास्त्री जी पर दबाव डालना शुरू कर दिया. शास्त्री जी को रूस बुलवाया गया. युद्धविराम वार्ता की मेजबानी सोवियत संघ ने ताशकंद (वर्तमान उज्बेकिस्तान) में किया. भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया. इस समझौते के तहत दोनों देश इस बात पर राजी हो गए कि 25 फरवरी 1966 के बाद से अगस्त से पहले दोनों देश अपने-अपने सेनाओं को वापस बुला लेंगे.
जीती हुयी जंमीन नही लौटाने के पक्ष मे थे शास्त्री
इस समझौता वार्ता में एक बात खास थी जिसे जानना जरूरी है. शास्त्री जी समझौते की बाकी शर्तों को तो मान गए. लेकिन एक बात पर अड़े रहे. उन्होंने साफ शब्दों में कहा जीती हुई जमीन को पाकिस्तान को हरगिज नहीं लौटाएंगे. उन्होंने साफ कह दिया जीती हुयी जंमीन वो नहीं कोई दूसरा प्रधानमंत्री लौटाएगा.
“युद्धविराम हस्ताक्षर समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद ही 11 जनवरी 1966 को रात में 2:00 बजे रहस्मय परिस्थितियों में शास्त्री जी की मृत्यु हो गई. आधिकारिक बयान जारी किया गया कि शास्त्री जी की मृत्यु हार्ट अटैक के कारण हुई “
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु क्यों बनी रहस्य पूर्ण
शास्त्री जी के मृत्यु के बारे में कई तरह के कारण कयास लगाये जाते रहे हैं.मशहूर पत्रकार कुलदीप नायर शास्त्री जी के साथ ताशकंद गए थे. अपने किताब द क्रिटिकल ईयर्स में लिखा है कि शास्त्री जी हृदय रोगी थे. इससे पहले दो बार शास्त्री जी को दिल का दौरा पड़ चुका था और शास्त्री जी की मृत्यु हार्ट अटैक के कारण ही हुई थी.लेकिन उनकी मृत्यु हमेशा संदेह के घेरे में रही है. कई लोगों और उनके परिवार वालों का मानना है कि उनकी हार्ट अटैक से नहीं जहर देने से हुई थी.
कुछ अनसुलझे तथ्य
1.कई लोगों और उनके परिवार वालों का मानना है कि उनकी मौत हार्ट अटैक से नहीं जहर देने से हुई थी.
2.जानकारों का मानना है लाल बहादुर शास्त्री को एक सोची-समझी साजिश के तहत ताशकंद बुलाया गया था.
3.शास्त्री जी की पत्नी ललिता शास्त्री हर दौरे पर उनके साथ जाती थी. लेकिन बहला-फुसलाकर उन्हें इस बात के लिए मना लिया गया कि वह शास्त्री जी के साथ ताशकंद ना जाएं. इस बात का अफसोस ललिता शास्त्री को जीवन पर्यंत रहा.
4.शास्त्री जी का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था. यह आज तक रहस्य बना हुआ है कि किसके दबाव में शास्त्री जी का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया.
5.लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के के बारे में पहली जाँच राज नारायण ने करवाया था. जह जाँच बिना किसी नतीजे समाप्त हो गई . सबसे बड़ी बात यह है इंडिया पार्लियामेंट्री लाइब्रेरी में हाल जिसका कोई रिकॉर्ड भी मौजूद नहीं है.
6.2018 में भारत सरकार ने कहा कि शास्त्री जी के प्राइवेट डॉक्टर और और कुछ रूसी डॉक्टरों ने मिलकर शास्त्री जी की मौत की जांच की थी. पर सरकार के पास इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है.जब कार्यालय से इसकी जानकारी मार्ग मांगी गई तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी हाथ खड़े कर दिए.
शास्त्री जी की मौत पर छानबीन करने वाले अनुज धर का क्या कहना है?
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु पर छानबीन करने वाले अनुज धर ने शास्त्री जी की मौत की 3 थ्योरी दिया है.
पहला थ्योरी : शास्त्री जी की मौत में अमेरिका का हाथ था.
दूसरी थ्योरी: शास्त्री जी की मौत में रूस का हाथ था.
तीसरी थ्योरी: शास्त्री जी की मौत में देश के अंदर से ही षडयंत्र हुआ था .
अनुज धर कहते हैं रूस और अमेरिका का हाथ होने के कोई भी सुबूत नहीं मिलते हैं.रूस ने पोस्टमार्टम का ऑफर किया था. अगर रूस का हाथ होता तो वह पोस्टमार्टम ऑफर नहीं करता. शास्त्री जी के पोस्टमार्टम को भारत ने ही मना कर दिया था. यह बात यह बात समझ से परे है कि भारत ने पोस्टमार्टम से क्यों मना कर दिया?
शास्त्री जी की डेड बॉडी पर थे रहस्यमयी निशान
जब शास्त्री जी की बॉडी भारत आई तो 5 घंटे बीत चुके थे. शास्त्री जी का शरीर फूल गया था और काला पड़ गया था. चेहरे पर सफेद दाग हो गए थे और गर्दन के पीछे से खून बह रहा था.गर्दन के पीछे से खून बहने पर अनुज धर का कहना है कि रूस को शक हो गया था की शास्त्री जी की मृत्यु जहर देने से हुई है. जब पोस्टमार्टम की अनुमति नहीं मिली तो उन्होंने गर्दन में इंजेक्शन डालकर के रीढ से जांच के लिए द्रव्य निकाला था.
फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने क्या कहा अनुज धर को
अनुज धर ने शास्त्री जी के मेडिकल रिपोर्ट को इकट्ठा कर कर के डॉक्टरों को दिखाया.
फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने शास्त्री जी के मेडिकल रिपोर्ट को देख कर साफ-साफ कहा यह तो कोई भी बता सकता है कि शास्त्री जी की मृत्यु जहर देने से हुई है हुई थी.
अनुज धर आगे कहते हैं लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पीछे देश के अंदर ही साजिश होने के आंशिक सबूत हैं. सरकार का गोलमोल रवैया इसी ओर इशारा करता है कि शास्त्री जी की मौत में देश के अंदर के लोगों की ही साजिश हो सकती है.

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