
Last Updated on 13/03/2023 by Sarvan Kumar
नाई भारत में पायी जाने वाली एक महत्वपूर्ण जाति है जिसका पारंपरिक पेशा बाल काटना और हजामत बनाना है. भारत के सभी राज्यों में इनकी मौजूदगी है और इन्हें कई नामों से जाना जाता है. बिहार राज्य में भी इनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है और राज्य के सभी जिलों में यह समुदाय व्यापक रूप से वितरित है. यहां हम बिहार में नाई जाति वर्ग के बारे में जानेंगे.
बिहार में नाई जाति वर्ग
मुख्य विषय पर आने से पहले बिहार के नाई समाज की सामाजिक पृष्ठभूमि और वर्तमान परिस्थितियों के बारे में जान लेते हैं. नाई बिहार के हर क्षेत्र, गाँवों, कस्बों और शहरों में पाए जाते हैं. हिंदी इनकी मुख्य भाषा है लेकिन ये अपने क्षेत्र के अनुसार मैथिली, भोजपुरी, मगही आदि क्षेत्रीय भाषाएं भी बोलते हैं. इस समुदाय के अधिकांश लोग आज भी आजीविका के लिए अपने पुश्तैनी व्यवसाय पर निर्भर हैं. बिहार की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, लेकिन नाई समाज के अधिकांश लोग या तो भूमिहीन हैं या उनके पास बहुत कम जमीन है. यह समुदाय आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है और बड़े पैमाने पर व्यावसायिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. इनमें से कई लोगों ने अपना पुश्तैनी धंधा छोड़कर आधुनिक पेशा अपनाना शुरू कर दिया है. शिक्षा की बात करें तो इस समुदाय में साक्षरता दर कम है. कई बच्चे अपने माता-पिता को जीविकोपार्जन में मदद करने के लिए कुछ वर्षों के बाद स्कूल छोड़ देते हैं.
आइए अब मुख्य विषय पर आते हैं और जानते हैं कि बिहार में नाई जाति किस वर्ग में आते हैं. कुल मिलाकर बिहार में नाई समुदाय की स्थिति दयनीय है और यह समाज घोर आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक पिछड़ेपन से जूझ रहा है. इस सामाजिक और शैक्षिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए, नाई जाति को भारत सरकार के सकारात्मक भेदभाव की आरक्षण प्रणाली के तहत बिहार में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.

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