Last Updated on 10/10/2022 by Sarvan Kumar
इतिहास का अध्ययन करने से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि कैसे अतीत की घटनाओं ने वर्तमान को आकार दिया है. वर्तमान स्थिति, जिसे हम बहुत हल्के में लेते हैं, वहां तक पहुंचने में हमें कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है और कितना बलिदान देना पड़ा है. इतिहास हमें अतीत की गलतियों से सीख लेने की शिक्षा देता है ताकि हम आगे से उन गलतियों से बच सकें. साथ ही इतिहास हमें अपने लिए, समाज के लिए तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर रास्ते और बेहतर भविष्य बनाने की समझ और क्षमता विकसित करने में मदद करता है. इसी क्रम में आइए जानते हैं संत रविदास जी के इतिहास के बारे में.
संत रविदास जी का इतिहास
हम यह नहीं कह सकते कि भारतीय समाज से जातिवाद और भेदभाव पूरी तरह से समाप्त हो गया है. लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि समाज में जातिगत भेदभाव, अस्पृश्यता और ब्राह्मण वर्ग का वर्चस्व काफी कम हो गया है. समाज में समतामूलक मूल्यों में वृद्धि हुई है और लोगों का जीवन अपेक्षाकृत सरल हो गया है. भारतीय समाज को इस स्थिति में लाने में संत रविदास जैसे महापुरुषों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसीलिए संत रविदास जी के इतिहास और उनके जीवन के प्रमुख घटनाक्रमों को जानना जरूरी है, तो आइए शुरू करते हैं.
संत रविदास जी की जन्म कब और कहाँ हुआ था?
संत रविदास जी की जन्म तिथि के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है. उनकी जन्मतिथि को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. अनुमान लगाया जाता है की उनका जन्म 1376, 1377, 1398, 1399, 1433, 1482 के बीच हुआ था. संत रविदास के जन्म से संबंधित एक पद प्रचलित है, जो इस प्रकार है
“चौदह सौ तैंतीस की माघ सुदी पन्द्रास ।
दुखियों के कल्याण हित, प्रगटे श्री रविदास ।।”
इस पद के अनुसार गुरु रविदास जी का जन्म विक्रम संवत 1433 में माघ पूर्णिमा के दिन में हुआ था. रविवार के दिन जन्म लेने के कारण उनका नाम रविदास रखा गया.
जन्म स्थान
रविदास जी का जन्म बनारस के आसपास हुआ था. बनारस में इनके जन्म स्थान को लेकर दो मत हैं. एक मत के अनुसार, उनका जन्म महुआडीह में हुआ था. दूसरे मत के अनुसार, संत रविदास जी का जन्म सीर गोवर्धनपुर में हुआ था.
जाति
संत रविदास जी का जन्म एक चर्मकार (चमार) परिवार में हुआ था.
संत रविदास जी के माता पिता का नाम
रविदास जी के पिता का नाम संतोख दास (रग्घु, राघव, रघुनाम) था तथा माता का नाम करमा देवी (कलसा देवी अथवा घुरबिनिया) था. परिवार में शुरू से ही ईश्वर भक्ति का माहौल था. अपने बाल्यकाल से ही रविदास जी विरक्त, गंभीर और शांत प्रवृत्ति के थे. बचपन से ही रविदास जी की रुचि ईश्वर भक्ति और साधु-संतों की ओर हो गई थी. उन्हें साधु संतों की सेवा करने में बहुत आनंद मिलता था. माता पिता को डर था कि कहीं उनका बेटा साधु नहीं बन जाए इसीलिए उन्होंने रविदास जी की शादी जल्दी ही करा दी. इनकी पत्नी का नाम लोना देवी तथा पुत्र का नाम विजय दास था.
संत रविदास जी क्या काम करते थे?
रविदास जी चमड़े का काम करते थे. मोची का कार्य उनका पैतृक व्यवसाय था.
संत रविदास जी के गुरु का नाम क्या था?
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार रविदास जी रामानंद जी के 12 शिष्यों में से एक थे. रविदास जी ने गुरु रामानंद जी से आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की. उस समय का समाज जातिवाद , भेदभाव ऊंच नीच और धार्मिक आडंबर के अंधकार में डूबा हुआ था. रविदास जी ने इन सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया और अपने उपदेशों और शिक्षा के माध्यम से धर्म को सबके लिए सुलभ बनाने का कार्य किया.
संत रविदास जी से जुड़ी चमत्कारिक घटनाएं!
संत रविदास जी के जीवन से संबंधित अनेक चमत्कारिक घटनाओं का उल्लेख मिलता है, जिनमें प्रमुख हैं-शरीर के चमड़े के भीतर से स्वर्ण जनेऊ दिखाना, रविदास जी की भक्ति की परीक्षा लेने हेतु ईश्वर द्वारा पारसमणि दिए जाने पर भी अस्वीकार करना, भगवान द्वारा सोने की मोहरें प्रदान करना, प्रसाद के अपमान से सेठ को कोढ होना और बाद में रविदास जी द्वारा उसे ठीक करना, काशी के राजा के दरबार में पाखंडी पंडितों को शास्त्रार्थ में पराजित करना, शालिग्राम पत्थर का पानी पर तैरना, गंगा जी द्वारा दुराचारी राजा को दंड देना और रविदास जी के प्राणों की रक्षा करना तथा गंगा जी द्वारा अपने प्रिय भक्त रविदास जी को कंगन भेंट करना, आदि.
रविदास जी की मृत्यु
रविदास जी की मृत्यु के बारे में भी प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. इस संबंध में कई मत प्रचलित हैं जिसके अनुसार रविदास जी की मृत्यु संभवत: 1528 या 1540 ईस्वी में हुई थी. कई मानते हैं कि इनकी मृत्यु वाराणसी में हुई थी. इनकी मृत्यु के से संबंधित एक पद प्रचलित है, जो इस प्रकार है-
“पन्द्रह सौ चौरासी भई चितौर महभीर।
जर – जर देह कंचन भई रवि मिल्यौ सरीर।।”
इस पद के अनुसार, रविदास जी की मृत्यु चित्तौड़ में हुई थी. बता दें कि चित्तौड़ के राणा सांगा की पत्नी झाली रानी रविदास जी की शिष्या थीं.
References;
•Mahakavi Ravidas Samaj Chetna Ke Agradut
By Dr. Vijay Kumar Trisharan · 2008
•Sant Ravidas Ratnawali
By Mamta Jha · 2021
•रविदास का काव्य और अर्थ विज्ञान ( Ravidas Ka Kavya Aur Arth Vigyan )
By डॉ. बन्सी लाल टोहाना ( Dr. Bansi Lal Tohna ) · 2022