Ranjeet Bhartiya 24/04/2018
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Last Updated on 11/04/2020 by Sarvan Kumar

कांग्रेस इन दिनों राहुल गांधी के अगुआई में ‘संविधान बचाओ अभियान’ चला रही है. लोगों का मानना है कि ‘संविधान बचाओ अभियान’ से ज़्यादा यह एक राजनीतिक स्टंट है और इसे ‘कोंग्रेस बचाओ अभियान’ कहना सही रहेगा.

जनता को मूर्ख समझना बंद करें नेता 

कांग्रेस दिखावा कर रही है कि संविधान एक अपरिवर्तनीय दस्तावेज़ है. कांग्रेस लोगों को गुमराह करके ये समझाना चाहती है कि संविधान में थोड़ा भी बदलाव इसके साथ खिलवाड़ है और इससे लोकतंत्र खतरे मे आ जायेगा. राजनीतिक पार्टियां ये भूल जाती है कि देश कि जनता जागरुक हो चुकी है. जनता के पास सारी जानकारियां मौजूद है और वो अपनी उपलब्ध जानकारी के आधार पर हर चीज को जांचती है और माकूल जबाब देती है. इस मामले में कांग्रेस को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए ना जाने कितनी बार संविधान से छेड़छाड़ किय़ा है और संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है. कांग्रेस ने अपने शासन काल में बहुमत वाली अनेक राज्य सरकारें गिराई हैं और राष्ट्रपति शासन लगाया है. इंदिराजी ने तो संविधान को दरकिनार करके उन्नीस माह देश को आपातकाल की बेड़ियों में कैद करके रखा महज खुद सत्ता में बने रहने के लिए. आज वही कांग्रेस हर बात पर संविधान और लोकतंत्र कि दुहाई देती है.

राजनीतिक फायदे के लिए देश मे अविश्वास का माहौल नही बनाइये

कांग्रेस अपने राजनीतिक लाभ के लिए देश में अविश्वास का माहौल बनाना चाहती है. कांग्रेस देश की सारी संवैधानिक संस्थाओं और संवैधानिक पदों को संदेह के कटघड़े मे खड़ा कर देना चाहती है. कांग्रेस को राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति, चुनाव आयोग ,RBI , CBI किसी पर भी भरोसा नही है. कांग्रेस सेना पर सवाल खड़े करती है और सबूत मांगती है. इस तरह की राजनीति देश को कहां ले जायेगी ये जनता समझ चुकी है . यही सबसे बड़ा कारण है कि अब कांग्रेस को जनता गंभीरता से नही लेती.  जनता भी अब कांग्रेस से हिसाब और सबूत मांगने लगी है कि वो कांग्रेस पर विश्वास कैसे करें और क्यों करें.

न्यायपालिका को तो छोड़ देते

कांग्रेस न्यायपालिका के खिलाफ अविश्वास का माहौल बनाने के लिए मुख्य जज दीपक मिश्र पर महाभियोग लाती है. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कांग्रेस और उसके साथियों द्वारा मुख्य जज दीपक मिश्र के खिलाफ पेश किये महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर देते हैं और कहते हैं की – मुख्य जज के खिलाफ जो आरोप लगाकर महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है वो सभी 5 आरोप तथ्यहीन है, और ऐसे तथ्यहीन प्रस्ताव को स्वीकार नही किया जा सकता. इस पर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला करती है. क्या ये उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद का अपमान नही है? क्या कांग्रेस दीपक मिश्र को ही नहीं अन्य जजों को भी डराना चाहती है? क्या राहुल गाँधी सभी जजों को ये सन्देश देना चाहते हैं की या तो हमारे मन मुताबिक चलो या फिर जैसे दीपक मिश्र के लिए मुश्किल पैदा कि जा रही है, सबके साथ ऐसा ही किया जायेगा? वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा का मानना है कि “राहुल गाँधी दीपक मिश्र को हटाने के लिए नहीं बल्कि सभी जजों को धमकाने के लिए लाये थे महाभियोग प्रस्ताव  ताकि जज अदालत में कांग्रेस के मुताबिक काम करे. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने राहुल गाँधी और विपक्षियों का नाम तो नहीं लिया पर उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा की जो लोग मुख्य जज दीपक मिश्र के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी कर देश में नयायपालिका के खिलाफ अराजकता फैलाने में लगे है ऐसे लोगों को जेल भेजने का समय आ गया है इन लोगों को जेल भेजने का काम शुरू कर देना चाहिए.

संविधान बचाओ अभियान राजनीतिक अपरिपक्वता है

वास्तव में ‘संविधान बचाओ अभियान’ राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता को ही दर्शा रहा है. इन सब
राजनीतिक स्टंटों से कांग्रेस खुद को ही बेनकाब करते जा रही है. इन सब ड्रामों के बजाय अगर कांग्रेस अपना समय जनहित के कार्यों में लगाए तो उनके और उनकी पार्टी के लिए बेहतर होगा और खोया हुआ जनसमर्थन वापस मिल सकता है. वरना खतरा है कि ‘ताल कटोरा’ से शुरू किया अभियान कहीं हाथ में खाली कटोरा ही साबित न हो जाए.

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