Ranjeet Bhartiya 13/04/2023
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Last Updated on 13/04/2023 by Sarvan Kumar

राजा हर्षवर्धन (590-647 ई.) भारत के अंतिम महान और शक्तिशाली राजाओं में से एक थे. जब हर्ष का शासन अपने चरम पर था, तो उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत के अधिकांश भाग पर उनका शासन था. हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद भारतीय इतिहास के पटल पर अनेक छोटे-छोटे राज्यों का उदय हुआ. मध्यकाल में बंगाल की धरती पर कई महत्वपूर्ण राजवंशों का भी उदय हुआ, सेन वंश उनमें से एक था. आइए जानते हैं सेन वंश के बारे में.

सेन वंश

सर्वप्रथम हमें उन परिस्थितियों को समझना होगा जिनके कारण सेन वंश का उदय हुआ. पाल वंश के पतन के बाद सेन वंश का उदय हुआ. पाल वंश ने लगभग 400 वर्षों (800 से 1200 ईस्वी) तक बंगाल और बिहार पर शासन किया. पाल वंश के शासक रामपाल के शासन काल में इस वंश की स्थिति बहुत ही कमजोर हो गई. बाद में पाल शासकों की अयोग्यता, सामंतों के विद्रोह तथा सेन वंश के उदय के कारण पाल वंश का पूर्णतः पतन हो गया.

पाल वंश के विरुद्ध विद्रोह और अराजकता का लाभ उठाते हुए सेन वंश का उदय हुआ. सेन वंश के संस्थापक सामंत सेन थे जिन्होंने एक छोटे से राज्य के रूप में इस वंश की स्थापना की. सामंत सेन को इतिहास में कर्नाटक क्षत्रिय कहा गया है. इतिहासकारों का मत है कि सेन वंश के शासक संभवतः ब्राह्मण थे जिन्होंने सैनिक-कर्म अपना लिया, जिसके कारण उन्हें क्षत्रिय या ब्रह्मक्षत्रिय कहा जाता है.

सेन राजवंश (1070 CE–1230 CE) एक हिंदू राजवंश था. सेन राज वंश के शासकों ने लगभग 160 सालों तक शासन किया. सामंत सेन के बाद हेमंत सेन इस वंश के राजा हुए. विजय सेन इस वंश के प्रतापी राजा थे जिन्होंने नेपाल, असम और कलिंग को जीतकर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की जिसमें पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी बंगाल के भाग सम्मिलित थे. बल्लालदेव और लक्ष्मण देव इस वंश के अन्य महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण राजा थे. इस वंश के शासक लक्ष्मण सेन के राज्य पर मुसलमानों का आक्रमण शुरू हुआ जिसके बाद इस वंश का पतन हो गया.

सेना के शासकों को सैन्य विजयों के साथ-साथ उनके द्वारा किए गए सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यों के लिए भी जाना जाता है. सेन राजाओं ने अनेक महत्वपूर्ण मन्दिरों का निर्माण कराकर हिंदू धर्म को बढ़ाने और संरक्षित करने का कार्य किया. बंगाली साहित्य और संस्कृत साहित्य के विकास की दृष्टि से भी सेन शासकों का शासन महत्वपूर्ण है. सेन के शासन काल में अनेक प्रसिद्ध ग्रन्थों की रचना हुई, जिनमें गीतगोविन्द, अद्भुतसागर आदि महत्वपूर्ण है.


References:
•Madhyakalin Bharat Ka Itihas (in Hindi)
By Shailendra Sengar · 2005

•”District Website of Nadia”. Government of West Bengal.Retrieved: 11 January 2014

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