Ranjeet Bhartiya 08/10/2022
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Last Updated on 08/10/2022 by Sarvan Kumar

भारत संतों का देश है. भारत की पावन भूमि पर अनेक महात्माओं ने जन्म लिया है. संत रविदास का संतों की दुनिया में एक विशेष स्थान है. बनारस के पास एक चर्मकार परिवार में जन्में संत रविदास जी की गंगा के प्रति भक्ति को लेकर कई तरह की कथाएं आम जनमानस में प्रचलित हैं. आपने “मन चंगा तो कठौती में गंगा” कहावत जरूर सुना होगा. यह सूक्ति संत रविदास की गंगा भक्ति को समझने के लिए पर्याप्त है. लेकिन संत रविदास की गंगा भक्ति को लेकर कई अन्य कथाएं भी हैं जिनके बारे में कम लोग ही जानते हैं. आइए संत रविदास और गंगा जी से संबंधित अन्य कहानियों को भी जानते हैं. काशी के पास एक चर्मकार परिवार में जन्में संत रविदास बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे और बाल्यकाल से हीं ईश्वर की भक्ति में लीन रहते थे. बड़े होकर उन्होंने आजीविका के लिए मोची का पैतृक कार्य अपना लिया. इस काम से जो भी आमदनी होती, उसका अधिकांश हिस्सा वह संतों की सेवा में लगा देते थे. यह देखकर माता-पिता को चिंता सताने लगी, इसीलिए उन्होंने जल्दी ही रविदास का विवाह कर दिया. विवाह के बाद भी जब रविदास जी का स्वभाव नहीं बदला तो माता-पिता ने उन्हें उनकी पत्नी के साथ घर से अलग कर दिया. रविदास जी अपनी पत्नी के साथ गंगा किनारे कुटिया बनाकर रहने लगे. यहीं से संत रविदास जी और गंगा जी की कहानियों की शुरुआत होती है. यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि संत रविदास और गंगा जी से जुड़ी सभी कहानियों को एक लेख में समाहित करना संभव नहीं है. इसलिए हम यहां कुछ चुनिंदा कहानियों का ही जिक्र कर रहे हैं.

संत रविदास और गंगा जी की कहानी

•गंगा जी द्वारा दुराचारी राजा को दंड और रविदास जी के प्राणों की रक्षा

एक कथा के अनुसार एक बार रविदास जी ने गंगा जी के प्रसाद के लिए एक बड़े भंडारे का आयोजन किया. इस भंडारे में आम जनमानस के साथ-साथ दूर-दूर से संत शामिल हुए. उस भंडारे में सधेगढ के राजा भी आए हुए थे. रविदास जी की सेवा भाव, शुद्ध भक्ति और साधना से प्रसन्न होकर स्वयं गंगा माता भी एक सुंदर कन्या का रूप धारण करके इस भंडारे में पहुंचीं. गंगा जी के सौंदर्य को देखकर राजा मोहित हो गए. उन्होंने रविदास जी को बुलाकर कहा कि वह शादी हेतु इस कन्या से बात करें. जब रविदास जी ने विवाह के लिए कोई प्रयत्न नहीं किया तो राजा कुपित हो गए और उन्होंने रविदास को प्राण दंड देने की धमकी दे डाली. जब रविदास जी ने इस बात के लिए असमर्थता जाहिर की तो क्रोधित होकर राजा रविदास जी को मृत्युदंड देने की तैयारी करने लगे. जब यह बात कन्या रूपी गंगा जी को पता चली तो अपने भक्त को संकट में देखकर वह विवाह के लिए राजी हो गईं. शर्त के अनुसार बारात सज धज कर रविदास के आश्रम पहुंची. राजा की खुशी का ठिकाना नहीं था. बारात आश्रम के पास बने कुंड के चारों तरफ ठहरी. विवाह के लिए सुंदर कन्या सज धज कर बारात के सामने उपस्थित हुई. इसके बाद अचानक चमत्कार हो गया. कन्या देखते ही देखते कुंड में कूद गई और विलीन हो गई. उस कुंड से एक मोटी और तीव्र जलधारा फूट पड़ी और क्षण भर में हीं राजा समेत सभी बाराती उसमें डूब गए. इस प्रकार से माता गंगा ने अपने प्रिय भक्त रविदास के प्राणों की रक्षा की तथा दुराचारी राजा को भी दंडित किया.

संत रविदास और गंगा जी की कहानी

•उल्टी गंगा बहाना

पिता की मृत्यु के बाद रविदास जी उनका अंतिम संस्कार करने गंगा तट पर पहुंचे. वहां मौजूद पंडो ने उन्हें अंतिम संस्कार नहीं करने दिया और कहा कि वह चाहे तो यहां से आधी मील दूरी पर अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सकते है. रविदास जी अपने पिता की अर्थी लेकर आधा मील पीछे गए. चिता सजाई गई और‌ अग्नि दी गई. तभी अचानक गंगा जी की एक बड़ी लहर उठी और तीव्र गति से चिता को अपने साथ ले गई.


References;

•Sant Ravidas Ratnawali

By Mamta Jha · 2021

•Mahakavi Ravidas Samaj Chetna Ke Agradut

By Dr. Vijay Kumar Trisharan · 2008

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