Ranjeet Bhartiya 10/12/2021
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Last Updated on 10/12/2021 by Sarvan Kumar

थारू (Tharu) भारत और नेपाल के सीमावर्ती तराई क्षेत्र में पाया जाने वाला एक मूल निवासी जातीय समूह है. जीवन यापन के लिए यह मुख्य रूप से स्थानांतरण खेती, जंगलों, मछली पकड़ने और शिकार पर निर्भर हैं. यह जंगली फल, सब्जियों, औषधीय पौधों और अन्य वन उत्पादों को जंगलों से इकट्ठा करते हैं और स्थानीय बाजारों में बेचते हैं. भारत आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत इन्हें अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe, ST) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. आइए जानते हैं थारू समाज का इतिहास, थारू शब्द की उत्पति कैैैैैसे हुई?

थारू जाति की जनसंख्या, कहां पाए जाते हैं?

यह मुख्य रूप से दक्षिणी नेपाल के तराई क्षेत्र में पाए जाते हैं. 2011 की जनगणना में नेपाल में इनकी आबादी 17,37,470 दर्ज की गई थी. भारत में यह मुख्य रूप से भारतीय तराई में, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार के सबसे आगे वाले भाग में निवास करते हैं. भारत के सीमावर्ती जिलों बिहार के चंपारण; उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बस्ती और गोंडा; और उत्तराखंड के खटीमा, नैनीताल और उधमपुर नगर में इनकी आबादी है. 2001 की जनगणना में, उत्तराखंड में इनकी जनसंख्या 2,56,129 दर्ज की गई थी. इसी जनगणना में उत्तर प्रदेश में इनकी आबादी 83,554 बताई गई थी.

धर्म
इनका आध्यात्मिक विश्वास और नैतिक मूल्य प्राकृतिक वातावरण से निकटता से जुड़ा हुआ है. यह मुख्य रूप से हिंदू धर्म को मानते हैं और हिंदू देवी देवताओं की पूजा करते हैं. यह हर्ष उल्लास के साथ हिंदू त्योहारों को मनाते हैं. कुछ थारू बौद्ध धर्म को भी मानते हैं.

उपनाम
इनके प्रमुख उपनाम हैं- राणा, कथरिया और चौधरी.

भाषा
यह अपनी मूल भाषा थारू के अलावा, हिंदी, नेपाली, उर्दू, मैथिली, भोजपुरी और अवधी भाषा बोलते हैं.

थारू शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

नेपाली शब्द “थारू” तराई में एक विशेष जाति का नाम है. ऐसी मान्यता है कि यह नाम “स्थवीर” से लिया गया है, जिसका अर्थ है- “थेरवाद या स्थविरवाद” बौद्ध धर्म का अनुयायी”.यह भी संभव है कि “थारू” शब्द की उत्पत्ति शास्त्रीय तिब्बती शब्द “mtha’-ru’i brgyud” से हुई हो, जिसका अर्थ है “सीमा पर देश”. “mtha’-ru’i brgyud” शब्द का उल्लेख तिब्बती विद्वान तारानाथ ने बौद्ध धर्म के इतिहास पर अपनी पुस्तक में किया था.

थारू जाति का इतिहास

इनकी उत्पत्ति के बारे में विभिन्न मान्यताएं हैं, जिसके बारे में विस्तार से नीचे बताया जा रहा है. मध्य नेपाली तराई में रहने वाले इस जनजाति के लोग खुद को तराई के मूल निवासी और गौतम बुद्ध के वंशज होने का दावा करते हैं. एक अन्य मान्यता के अनुसार, पश्चिमी नेपाल में निवास करने वाले राणा थारू भारतीय राजपूतों के वंशज होने का दावा करते हैं. यह खुद को राजस्थान के थार रेगिस्तान से जोड़ते हैं. इनका मानना है कि 16वीं शताब्दी में इनके पूर्वज जंगलों में चले गए थे.

 

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