
Last Updated on 28/06/2023 by Sarvan Kumar
ज्यादातर लोग रावण को एक नकारात्मक व्यक्तित्व के रूप में जानते हैं. महाकाव्य रामायण में रावण को लंका के क्रूर राजा के रूप में वर्णित किया गया है जो अभिमानी है, घमंडी है और पराई स्त्री पर बुरा नजर रखता है. इसीलिए रावण को बुराई और अधर्म का प्रतीक भी माना जाता है. लेकिन रावण एक बहुत ही विद्वान ब्राह्मण भी थे. वह सभी वेदों और शास्त्रों के ज्ञाता था. भगवान श्रीराम ने भी उनके विद्वता का सम्मान करते थे. आइए इस क्रम में जानते हैं कि रावण का गोत्र कौन सा था.
रावण का गोत्र कौन सा था
रावण के पिता विश्रवा पुलस्त्य कुल के एक ऋषि थे. जबकि माता कैकसी एक राक्षस वंश की थीं. इस तरह रावण आधा ब्राह्मण और आधा राक्षस थे. एक ब्राह्मण और एक राक्षसी की संतान होने के कारण रावण को ब्रह्मराक्षस कहा जाता है. उनमें राक्षसी प्रवृत्ति भी थी और ब्राह्मण के गुण भी थे. रावण के ब्राह्मण होने के सम्बन्ध में निम्नलिखित प्रसंगों का उल्लेख मिलता है-
•पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीराम रावण से युद्ध करने के लिए लंका जा रहे थे तो उन्होंने रामेश्वर में शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करने का विचार किया. इसके लिए उन्हें एक विद्वान पुरोहित की आवश्यकता पड़ी. श्रीराम ने लोगों से विद्वान पुरोहित के बारे में पूछा तो सभी ने बताया कि रावण से बड़ा कोई विद्वान नहीं है. इसके बाद भगवान श्री राम ने रावण को शिव पूजा के लिए निमंत्रण भेजा. कहा जाता है कि रावण रामेश्वर आये थे और उन्होंने पुरोहित बनकर पूजा संपन्न कराई थी. पूजा सम्पन्न होने के बाद, राम ने युद्ध में जीत के लिए रावण से आशीर्वाद मांगा तो पुरोहित के रूप में मौजूद रावण में उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद भी दिया था.
•मान्यता है कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था. इस कारण उन्हे ब्रह्मा हत्या का दोष लगा था और इसके लिए उन्होंने प्रायश्चित भी किया था.
आइए अब इस लेख के मुख्य विषय पर आते हैं और रावण के गोत्र के बारे में जानते हैं. जानकार मानते हैं कि रावण के समय ब्राह्मण इतने गोत्रों में बंटे नहीं थे. बाद के काल में ब्राह्मण कई गोत्रों में विभाजित हो गए.
ऐसे में अलग-अलग गोत्रों के ब्राह्मण रावण के वंशज होने का दावा करते रहे हैं. जोधपुर के गोदा गोत्र के श्रीमाली ब्राह्मणों का कहना है कि वे रावण के सच्चे वंशज हैं. उन्होंने जोधपुर में रावण का एक मंदिर भी बनवाया है और नियमित रूप से रावण पूजा करते रहे हैं. वहीं आगरा और मथुरा क्षेत्र के सारस्वत ब्राह्मण दावा करते हैं कि सही मायने में सारस्वत ब्राह्मण ही रावण का वंशज है. अर्थात रावण सारस्वत गोत्र के ब्राह्मण थे.
References:
•https://www.bhaskar.com/news/c-20-953717-jd0317-NOR.html
•https://www.hindustantimes.com/cities/lucknow-news/dussehra-with-a-difference-here-ravana-is-worshipped-101664905118072.html

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