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बंगाल में भूमिहार, औपनिवेशिक काल के दौरान भूमिहार शक्तिशाली जमींदार थे

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भूमिहार भारत में रहने वाली एक ऐसी सवर्ण जाति है जो अपनी पराक्रम, शौर्य और बुद्धिमता के लिए प्रसिद्ध है. भारत के कई राज्यों में इनकी उपस्थिति है, लेकिन मुख्य रूप से यह समुदाय बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में केंद्रित है. बिहार के पड़ोसी राज्यों जैसे कि झारखंड और बंगाल में भी इनकी आबादी है. आइए इसी क्रम में जानते हैं बंगाल के भूमिहारों के बारे में.

बंगाल में भूमिहार

भूमिहार शब्द दो शब्दों से जोड़कर बना है- “भूमि+हार”, जिसका अर्थ होता है- भूमि का हार रखने वाले. भूमिपति ब्राह्मणों के लिए पहले “जमींदार ब्राह्मण” शब्द का प्रयोग किया जाता था. फिर इन लोगों ने सोचा कि जमींदार तो सभी जातियों में पाये जाते हैं, इसमें कोई विशिष्टता नहीं है. तब अलग पहचान बनाने के लिए बहुत सोच-विचार के बाद जमींदार ब्राह्मणों के लिए “भूमिहार” शब्द अस्तित्व में आया. इस प्रकार भूमि के मालिक होने के कारण इस समुदाय के लोग भूमिहार के नाम से जाने जाने लगे. भूमिहार पूर्वी ‌भारत के एक प्रमुख “अयाचक” ब्राह्मण समुदाय के रूप में जाने जाते हैं. पश्चिम बंगाल की बात करें तो बंगाली ब्राह्मणों को बैद्यों और कायस्थों के साथ बंगाल की तीन पारंपरिक उच्च जातियों में माना जाता है. बंगाली ब्राह्मण हिंदू ब्राह्मण हैं जो परंपरागत रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के बंगाल क्षेत्र में रहते हैं, जिसमें वर्तमान में भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश देश शामिल हैं. बता दें कि पश्चिम बंगाल में भूमिहारों की आबादी के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है. अधिकांश समाजशास्त्रियों ने भूमिहार ब्राह्मणों को कान्यकुब्ज ब्राह्मणों की शाखा माना है. कान्यकुब्ज ब्राह्मण एक ब्राह्मण समुदाय है जो मुख्य रूप से उत्तरी भारत में पाया जाता है. इन्हें विंध्य के उत्तर में मूल निवासी पंच गौड़ ब्राह्मण समुदायों में से एक के रूप में वर्गीकृत किया गया है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, त्रिपुरा आदि कान्यकुब्ज ब्राह्मणों की महत्वपूर्ण आबादी वाले क्षेत्र हैं. कान्यकुब्ज ब्राह्मणों को भी सभी ब्राह्मणों में सबसे अधिक मार्शल माना जाता है. इनमें से कई औपनिवेशिक काल के दौरान शक्तिशाली जमींदार थे. इस समुदाय के उप-समूहों में सरयूपारीन ब्राह्मण, जुझौतिया ब्राह्मण और भूमिहार शामिल हैं.


References:

•People of India Uttar Pradesh Volume XLII Part Two edited by A Hasan & J C Das pages 718 to 724 Manohar Publications

•Central Secretariat Library (1865). Gazetteer of the province of Oudh Vol II. North western provinces and oudh government press, Allahabad.

•Upinder Singh (2008). A History of Ancient and Early Medieval India. Pearson Education India. p. 575. ISBN 9788131711200.

•BRAHMINS WHO REFUSED TO BEG

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