2019 लोकसभा चुनाव डेट्स तय हो चुका है .इसी बीच बिहार में जदयू भाजपा सीट बंटवारे का समस्याा भी हल हो गया है. ये चुनाव अभी शुरुआती दौर में हैं पर शुरुआत से ही राजनीति की आग काफी तेज है. हर दल के लोग अपनी पूरी ताकत चुनाव में झोंक रहे हैं . सभी दल नए-नए समीकरण बनाकर अपनी अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं. जिन नेताओं को टिकट कटने का डर है वो पार्टी बदल रहे हैं तो कुछ पार्टियां अपने विचारधारा के विरुद्ध जाकर बेमेल गठबंधन कर रहे हैं. चुनावी मौसम में चुनाव जीतना ही सभी पार्टियों का एकमात्र लक्ष्य है. हर कोई किसी न किसी तरह से बस चुनाव जीतना चाहता है.किसी को अपने पार्टी के मूल्यों और सिद्धांतो से मतलब नहीं दिखाई दे रहा.
मोदी समर्थक और विरोधी दोनों हैं परेशान
मोदी के विरोधियों में जहां बेचैनी साफ देखी जा सकती है वहीं मोदी समर्थक भी कम चिंतित नहीं है . राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है‘ के नारे के साथ अपने पक्ष में हवा बनाना चाहते हैं. कांग्रेस मोदी को सत्ता से हटाना चाहती है लेकिन क्षेत्रीय दलों के सामने घुटने भी टेकना नहीं चाहती. एक मजबूत राष्ट्रीय दल के रूप में कमजोर हो चुकी कांग्रेस अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाना चाहती है. कांग्रेस को लगता है अगर वह गठबंधन के नाम पर ज्यादा समझौता करेगी तो इससे पार्टी की छवि और धूमिल होगी जिसके दूरगामी पुराने परिणाम होंगे.मजबूत देखने के प्रयास में कांग्रेस खुद को लगातार 2014 इलेक्शन के तुलना में ज्यादा मजबूत बता रही.
बिखर गया महागठबंधन
कांग्रेस एक तरफ दूसरे पार्टियों से गठबंधन के लिए हाथ भी बढ़ा रही तो दूसरी तरफ हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण जैसे लोगों को खड़े करके राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है.हाल ही में हार्दिक पटेल के कांग्रेस पार्टी में आधिकारिक रूप से शामिल होने से तो यही लगता है.पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने की बड़ी संभावना दिख रही थी , लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया. प्रियंका गांधी के भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण से मिलने के कारण मायावती नाराज हो गई और उन्होंने घोषणा कर दी कि वह कांग्रेस के साथ देश में कहीं भी गठबंधन नहीं करेंगी. इस तरह से महागठबंधन बनने से पहले ही बिखर गया.
जदयू भाजपा सीट बंटवारे का गणित
बिहार में एनडीए और बीजेपी के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है. इस बार बीजेपी बदलते स्थिति को देखकर अपने पांच जीती हुई सीटें JDU को दे लिया. इस गठबंधन के तीसरे साथी लोक जन शक्ति पार्टी को 6 सीटें मिली है. कुछ हैरानी की बात तो है कि बीजेपी ने आखिर अपनी जीती हुई सीटें क्यों छोड़ दी. पिछली बार बीजेपी ने 22 सीटें जीती थी इस बार वह सिर्फ 17 सीटों पर लड़ रही है. 17 सीटें जेडीयू के खाते में गई है. 40 में से बची 6 सीटें लोक जन शक्ति पार्टी को गई है. इस बार सीटों के बंटवारे में सारे मुद्दे का ध्यान रखा गया है. पिछली बार की तरह इस बार मोदी लहर इतनी तेज नहीं है इसीलिए सारे गणित को देखते हुए यह बंटवारा तय किया गया है.
बिहार में एनडीए के घटक दलों जनता दल यूनाइटेड, बीजेपी और लोक जनशक्ति पार्टी के बीच सीटों के बंटवारे की पुरी जानकारी
बीजेपी इन 17 जगहों पर अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी:
अररिया ,औरंगाबाद, आरा, बक्सर, बेगूसराय, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज, पाटलिपुत्र, पटना साहिब, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सारण, सासाराम, शिवहर और उजियारपुर.
JDU इन 17 जगहों से चुनाव लड़ेगी:
बांका, भागलपुर, गया, गोपालगंज, जहानाबाद, झंझारपुर, किशनगंज, कटिहार, काराकाट, मधेपुरा, मुंगेर, नालंदा, गोपालगंज, पूर्णिया, सीतामढ़ी, सुपौल और वाल्मीकि नगर.
लोक जनशक्ति पार्टी इन 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी:
हाजीपुर ,जमुई ,खगरिया, नवादा, समस्तीपुर और वैशाली.
बिहार में चुनाव कब है
यहाँ सात चरणों में मतदान होने वाला है. इस बार इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने पूरे भारत में 7 चरणों में मतदान करने का फैसला किया है. कुछ राज्य जैसे कि बिहार और पश्चिम बंगाल में सात चरणों में मतदान होगा. निष्पक्ष और बिना डर चुनाव होने के लिए ये के फैसला लिया गया है. रमजान के दिनों में लोकसभा चुनाव 2019 होने वाले चुनाव को कुछ पार्टियों ने विरोध भी किया है.
बिहार में अप्रैल (11 ,18 23,29) और मई (6,12 19) की तारीख तय की गई है. 23 अप्रैल को लोकसभा 2019 के चुनाव रिजल्ट घोषित कर दिए जाएंगे.