
Last Updated on 25/09/2019 by Sarvan Kumar
महागठबंधन बिहार के बीच सीटों का बंटवारा तय हो गया है. नरेन्द्र मोदी के बढती लोकप्रियता से विपक्षी दलों को 2019 लोकसभा में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. विपक्षी दल महागठबंधन बनाकर अपनी जीत को सुनिश्चित करना चाहते हैं. इसमें परेशानी ये आ रही थी की ये सारे दल ये नहीं तय कर पा रहे थे की किस पार्टी को कितना सीट दिया जाए. काफी जद्दोजहद के बाद महागठबंधन से जुड़े दलों के बीच सीटों शेयरिंग तय हो पाई.आईये जानते हैं महागठबंधन बिहार के बीच सीटों बंटवारे की पूरी जानकारी.
महागठबंधन बिहार में कौन कौन पार्टी है?
इस महागठबंधन बिहार में कुल 5 पार्टी हैं. इनके नाम और पार्टी प्रमुख इस प्रकार है. राष्ट्रीय जनता दल( तेजस्वी यादव, RJD), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (उपेंद्र कुशवाहा, RLSP) हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (जीतन राम मांझी, HAM), कांग्रेस (राहुल गांधी) और विकासशील इंसान पार्टी (मुकेश साहनी, VIP) हैं.
उपेंद्र कुशवाहा के RLSP को कितनी मिली सीट
उपेंद्र कुशवाहा पहले एनडीए के साथ थे. सीट बंटवारे से नाराज कुशवाहा महागठबंधन के साथ आ गए. कुशवाहा NDA से 5 सीटें चाहते थे पर बीजेपी उन्हें 2 या 3 सीट से ज्यादा देने के लिए तैयार नहीं थे. इधर महागठबंधन भी उन्हें ज्यादा सीट देने के लिए तैयार नहीं थी. पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा ने तीन जगहों पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया था. बिहार के वे जगह थे सीतामढ़ी, जहानाबाद और काराकट. अच्छी बात यह रही थी की कुशवाहा की पार्टी इन तीनों सीट पर जीत दर्ज की थी.
5 सीटें लेने में हुए कामयाब
2014 की बात कुछ और थी उस समय सभी मोदी लहर पर सवार थे. आज बदले हुए माहौल में कुशवाहा को यह लगा कि उनकी पार्टी की पकड़ कुशवाहा समुदाय पर है और वह 5 सीटों से कम की समझौता नहीं करना चाहते थे. जब बीजेपी से बात नहीं बनी तो वे महागठबंधन में आ गए. कुशवाहा समुदाय पर उनका कितना पकड़ है यह तो चुनाव के नतीजों के बाद ही पता चलेगा. बहरहाल कुशवाहा महागठबंधन से 5 सीटें लेने में कामयाब हो गए हैं.
RJD को कितनी मिली सीट
महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी को 20 सीटें मिली. इस बीस में से उसने 1 सीट कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (Marxist-Leninist) को दे दिया है. जैसा की उम्मीद किया जा रहा था, वैसा ही हुआ .आरजेडी को पहले से ही सबसे ज्यादा सीट मिलना तय था. थोड़ी बहुत परेशानी कांग्रेस के साथ हो रही थी पर सभी ने राजी सहमति से आरजेडी को 20 सीटें दे दी. पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में आरजेडी को 4 सीटें मिली थी. वह उस समय कांग्रेस और एनसीपी के साथ एलायंस में थी. बिहार के कुल 40 सीटों में 31 सीटों पर एनडीए उम्मीदवार जीते थे. 2 सीटें जनता दल यूनाइटेड के खाते में गई थी. जनता दल यूनाइटेड-आरजेडी में गठबंधन ज्यादा दिन तक चल नहीं पाया और आज जनता दल यूनाइटेड एनडीए के साथ है.
जीतन राम मांझी के हम पार्टी को कितनी सीटें मिली
महागठबंधन बिहार के सीट बंटवारे में सबसे रोड़े बनकर आ रहे थे हम पार्टी के जीतन राम मांझी. मांझी किसी भी तरह से अपने आप को उपेंद्र कुशवाहा से कम सीटें लेने के फेवर में नहीं थे. वह तो कांग्रेस इतना सीट चाहते थे. उनका कहना था कि वह बिहार में काफी मजबूत है और उनकी मजबूती कांग्रेस से भी ज्यादा है.
किसी तरह से महागठबंधन उन्हें मना पाए और वह तीन सीट लेने के लिए तैयार हो गए.
महागठबंधन बिहार में कांग्रेस को मिली सिर्फ 9 सीटें
इस महागठबंधन में कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटों से संतोष करना पड़ा. कांग्रेस की बिहार में ऐसे भी ज्यादा पकड़ नहीं है अत: वे 9 सीट पर तैयार हो गए.
मुकेश साहनी के पार्टी वीआईपी को कितनी सीटें मिली
महागठबंधन बिहार की पांचवी पार्टी है मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी. मुकेश सहनी निषाद समुदाय से हैं और इसलिए आश्वस्त भी हैं. विकासशील इंसान पार्टी बनाने से पहले मुकेश सहनी निषाद विकास संघ चलाते थे. निषाद समुदाय 14% के साथ बिहार में एक मजबूत समुदाय है. ये चाहे तो चुनाव का अलग ही दिशा तय कर सकते हैं. पिछले 2014 लोकसभा चुनाव में मुकेश साहनी बीजेपी के प्रचारक थे. बीजेपी ने उन्हें सन ऑफ मल्लाह के रूप में प्रस्तुत किया. चुनाव के बाद बीजेपी को ऐसा लगा कि मुकेश सहनी निषाद समुदाय के ज्यादा वोट दिलाने में कामयाब नहीं रहे.
3 सीटें लेने में हुए कामयाब
जब 2019 में सीट बंटवारे की बात हुई तो एनडीए वीआईपी को सिर्फ एक सीट देना चाहते थे. इससे नाराज होकर सहनी महागठबंधन बिहार में आ गए. महागठबंधन बिहार में भी उन्हें निराश नहीं किया और 3 सीटें दे दी.
तो कुल मिलाकर महागठबंधन बिहार का गणित इस प्रकार है: आरजेडी -20 ,कांग्रेस 9, आरएलएसपी -5 , हम और वीआईपी 3-3.

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