
Last Updated on 13/01/2019 by Sarvan Kumar
एक गाँव में एक छोटा लड़का रहता था. एक दिन वो अपने दोस्तों के साथ गंगा नदी के पार मेला देखने गया. सभी देर शाम तक मेला देखते रहे. वापस लौटते वक़्त सभी शाम को नाव किराये पर लेने के लिए नदी किनारे पहुंचे. बालक ने अपने जेब टटोला. जेब में किराये के लिए पैसे नहीं थे. सारे लड़के नाव पर सवार हो गए. वो बालक नहीं चाहता था कि उसे किराये के पैसे अपने दोस्तों से उधार लेने पड़े. बालक ने अपने दोस्तों से कहा, “तुम लोग चलो, मैं और मेला देखूंगा.” सभी मित्र नाव में बैठकर नदी पार चले गए. जब उनकी नाव आँखों से ओझल हो गयी तो उस लड़के ने अपने सारे कपड़े उतार कर अपने सर पे लपेट लिया और नदी में उतर गया. नदी में उफान थी और धारा तेज़ थी. कुशल तैराक भी आधे मील नदी को तैरकर पार करने कि हिम्मत नहीं जुटा पाते थे. पास खड़े मल्लाहों ने लड़के को रोकने की कोशिश किया. लेकिन वो लड़का नहीं रुका. गहरे पानी में वो लड़का तैरकर दूसरी ओर पहुँच गया. स्वाभिमान के खातिर अपने दोस्तों के सामने हाथ नहीं फ़ैलाने वाले और अपने स्वाभिमान के खातिर जान जोखिम में डालने वाले उस बहादुर लड़के का नाम था – लाल बहादुर शास्त्री!लाल बहादुर शास्त्री का संक्षिप्त जीवन परिचय
लालबहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद ओर माता का नाम राम दुलारी देवी था. उनकी शादी 1928 में ललिता शास्त्री से हुयी. लालबहादुर शास्त्री लगभग 18 महीने तक ( 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 ) भारत के प्रधानमन्त्री रहे. प्रधानमन्त्री के तौर पर उनका कार्यकाल शानदार रहा. प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मृत्यु हो जाने बाद साफ सुथरी ओर सादगी भरे ईमानदार छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया. शास्त्री जी का कार्यकाल चुनौतियों भरा रहा. 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ गयी. इससे तीन वर्ष पहले भारत चीन से युद्ध हार गया था. देश का मनोबल काफी नीचे था. ऐसे कठिन समय में शास्त्रीजी देश को असाधारण नेतृत्व प्रदान किया . भारत ने युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दिया.लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय परिस्थिति में मृत्यु
रूस के ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गयी. उन्होंने जय जवान, जय किसान का प्रसिद्ध नारा दिया. मरणोपरांत शाश्त्री जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया. लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी, देशभक्ति ईमानदारी ओर अद्वितीय साहस के लिए हमेशा याद किये जायेंगे.लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल विचार –
- हम केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि पुरे विश्व के शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं.
- कोई एक व्यक्ति भी ऐसा रह गया जिसे किसी भी रूप में अछूत कहा जाए या समझा जाये तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा.
- हमारी मज़बूती और स्थिरता के लिए हमारे सामने कई ज़रूरी काम हैं. लेकिन उनमे से सबसे ज़रूरी काम है देश के लोगों में एकता और एकजुटता स्थापित करना, इससे बढ़ कर कोई काम नहीं है.
- अगर मैं तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग-अलग होते. धर्म एक निजी मामला है. मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा लेकिन इससे राज्य का कुछ लेना देना नहीं है.
- लोक कल्याण, स्वास्थ्य, संचार, विदेशी संबंधो, मुद्रा इत्यादि पर ध्यान केंद्रित करेगा, ना की मेरे और आपके धर्म और मजहब पर. धर्म और मजहब निजी मामला है.
- जो शासन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशाशन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं. अंत में, जनता ही मुखिया होती है.
- मेरी समझ से प्रशासन का मूल विचार यह है कि समाज को एकजुट रखा जाये ताकि वह विकास कर सके और अपने लक्ष्यों की तरफ बढ़ सके.
- आज़ादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नही है. पूरे देश को मजबूत होना होगा.
- हम अपने देश के लिए आज़ादी चाहते हैं, पर दूसरों का शोषण कर के नहीं , ना ही दूसरे देशों को नीचा दिखा कर. मैं अपने देश की आजादी ऐसे चाहता हूँ कि अन्य देश मेरे आजाद देश से कुछ सीख सकें , और मेरे देश के संसाधन को मानवता के लाभ के लिए प्रयोग कर सकें.
- यह बेहद महत्त्वपूर्ण है कि हम अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेरोजगारी से लड़ें.
- क़ानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे तथा और भी मजबूत बने.
- लोगों को सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसा से प्राप्त नहीं हो सकता है.
- देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है. देश के प्रति यह निष्ठा पूर्ण निष्ठा है क्योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्या मिलता है.
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