Pinki Bharti 30/01/2019
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Last Updated on 05/09/2020 by Sarvan Kumar

संजय खान भारतीय सिनेमा के अभिनेता, निर्माता और निर्देशक हैं. संजय खान ने द ग्रेट मराठा, जय हनुमान , 1857 क्रांति जैसी टीवी सीरीज का निर्माण किया. संजय खान पर घरेलू हिंसा का आरोप भी लगा.आइए जानते हैं संजय खान का संक्षिप्त जीवन परिचय.

कब और कहां हुआ था जन्म

संजय खान  का जन्म 3 जनवरी 1941 को हुआ था.  इनका असली नाम शाह अब्बास खान है. संजय खान  का जन्म बेंगलुरु में हुआ था. इनके पिता का नाम सादिक अली खान तनोली  और माता का नाम बीबी फातिमा बेगम था.संजय खान सात भाई बहन हैं; पांच भाई और दो बहनें. उनकी दो बहनों के नाम है दिलशाद और खुर्शीद, जिसमें से खुर्शीद का इंतकाल हो चुका है.इनके भाई समीर और शाहरुख बिजनेसमैन है.निर्माता-निर्देशक और सफल अभिनेता फिरोज खान संजय खान के भाई थे. फिरोज खान ने धर्मात्मा, कुर्बानी जैसी हिट फिल्मों में काम किया.इनके भाई समीर और शाहरुख बिजनेसमैन है.संजय खान के भाई अकबर खान ने ताजमहल: एन ईटरनल लव स्टोरी का निर्माण किया था.

4 बच्चों के पिता है संजय खान

संजय खान ने जरीन खान से शादी किया. उनके 4 बच्चे हैं: फराह अली खान, सिमोन अरोरा , सुजैन खान और जायद खान. जायद खान ने फिल्मों में अपना किस्मत आजमाया लेकिन कुछ खास नहीं कर पाए. वह अब कभी-कभार टीवी सीरियल्स में नजर आते हैं. सुजैन खान सुपरस्टार रितिक रोशन की भूतपूर्व पत्नी है.

संजय खान का फिल्मी सफर

उन्होंनें  चेतन आनंद की फिल्म हकीकत से अपने फिल्मी करियर का आगाज किया था. इस फिल्म में उन्होंने सैनिक का एक छोटा सा किरदार निभाया था. उन्होंने राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म दोस्ती में काम किया था. इस फिल्म को 1964 में बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवार्ड मिला था.मुंबई आने के बाद लेकिन बॉलीवुड ज्वाइन करने से पहले इन्होंने हॉलीवुड डायरेक्टर जॉन गुइलरमिन को फिल्म टार्जन गोज टू इंडिया में एसिस्ट (1962)किया था.वे ब्लॉकबस्टर फिल्म दोस्ती में एक सहायक भूमिका में नजर आए. इसके बाद संजय खान का फिल्मी करियर चल निकला .

संजय खान की मूवी

वह कई हिट फिल्मों में नजर आए, जिनमें प्रमुख हैं- दस लाख (1966), एक फूल दो माली (1969), इंतकाम (1969) , शर्त (1969), मेला (1970), उपासना (1971), धुंध (1973) और नागिन (1976).

निर्देशक के रूप में संजय खान

1977 में फिल्म चांदी सोना से उन्होंने निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा. इस फिल्म के हीरो भी संजय खान ही थे, जबकि हीरोइन थी परवीन बॉबी. फिल्म में राज कपूर भी थे.1980 में संजय खान ने अपनी दूसरी फिल्म अब्दुल्लाह और अब्दुल्ला का निर्देशन किया इस फिल्म में उनके साथ साथी कलाकार थे राज कपूर और जीनत अमान.1986 की फिल्म काला धंधा गोरे लोग संजय खान के निर्देशन में बनी आखिरी फिल्म थी. इस फिल्म में संजय खान आखरी बार हीरो के रूप में दिखे थे.

कई हिट टेलिविजन सीरियल भी बनाया

1986 के बाद संजय खान फिल्मों के बजाय टेलीविजन पर केंद्रित हो गए. 1989 में उन्होंने बिग बजट टेलिविजन ड्रामा सीरीज द स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान का निर्देशन किया. इस सीरीज में उन्होंने खुद टीपू सुल्तान के किरदार को निभाया.इसके बाद संजय खान ने द ग्रेट मराठा, जय हनुमान , 1857 क्रांति जैसी टीवी सीरीज का निर्माण किया.

आग लगने के कारण जल गया था 65 % शरीर

1989 में स्वोर्ड आफ टीपू सुल्तान शूटिंग के दौरान सेट पर आग आग लग गई. 40 क्रू मेंबर बुरी तरह से जल गए. खुद संजय खान का 65% शरीर जल गया. संजय खान को 1 साल से ज्यादा हॉस्पिटल में रहना पड़ा और 72 सर्जरी के बाद वो रिकवर हो पाए. 1 साल के बाद फिर से स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान की शूटिंग शुरू हुई. इस बार संजय खान ने अपने भाई अकबर खान के साथ इस टेलिविजन सीरीज का निर्देशन किया.

जीनत अमान  ने लगाया घरेलू हिंसा का आरोप

संजय खान ने 30 दिसंबर 1978 को, राजस्थान के जैसलमेर में, दो गवाहों की मौजूदगी में जीनत अमान से निकाह किया था. लेकिन जीनत अमान और संजय खान का रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया.यह रिश्ता जीतन अमान के लिए बेहद दर्दनाक रहा. जीनत अमान को घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ा. संजय खान ने एक बार जीनत अमान को गेस्ट के सामने ही पीट दिया था. संजय खान के मारपीट से जीनत अमान का दाया आंख परमानेंटली डैमेज हो गया था.

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