
Last Updated on 25/02/2020 by Sarvan Kumar
होली क्यों मनाया जाता है इसके पीछे कई कारण है. होली हिंदुओं के लिए काफी प्राचीन त्यौहार है. इसका उल्लेख पुराणों में मिलता है. प्राचीन राजे, महाराजाओं के पेंटिंग में भी ये दिखाई देता है. होली के कई नाम है जैसे लठमार होली, बसंत उत्सव, रंग पंचमी फगुआ धुलेंडी व धुरड्डी इत्यादि. इसे रंगों का त्योहार, प्यार का त्यौहार भी कहा जाता है. होली क्यों मनाया जाता है? होली कब होता है? 2020 में होली कब है? आइए जानते हैं होली के बारे में पूरी जानकारी.
होली कब मनाया जाता है
हिंदी कैलेंडर के अनुसार होली फाल्गुन में मनाया जाता है. इंग्लिश कैलेंडर में यह फरवरी- मार्च महीने में आता है. होली की शुरुआत होलिका दहन से होती है. होलिका दहन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. यह त्यौहार अगले दिन शाम तक चलता है.यह समय बसंत ऋतु का और नए फसल बोने का शुरुआत होता है.
होली कैसे मनाते हैै?
होलिका दहन के अगले दिन सुबह की शुरुआत , तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के साथ होता है , जैसे कि गुजिया, दही भल्ला, चाट पापड़ी इत्यादि. बाजार से पिचकारी , गुलाल, रंग इत्यादि खरीद कर पहले से ही रख लिया जाता है . बाजारों में काफी चहल-पहल होता है. बलून में रंग भरकर एक दूसरे पर फेंकते हैं. होली है, बुरा ना मानो होली है ऐसे स्वरों से पूरा दिन गुंजायमान

रहता है .चारों तरफ रंग ही रंग दिख रहा होता है. रंग में पुते चेहरों को पहचानना भी मुश्किल हो जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं. गुलाल लगाते हैं, संगीत पर नाच गान करते हैं. एक दूसरे को गले लगा कर दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं. यू कहें तो दुश्मनी की अंत और दोस्ती का शुरूआत भी होली का असली महत्ता बताती है. छोटे- बड़ों का भेद भुलाकर, अमीरी -गरीबी का दीवार तोड़कर लोग प्यार से साथ में नाचते झूमते और गाते हैं. पूरे दिन का माहौल काफी खुशनुमा होता है. नए कपड़े पहन कर लोग एक दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं. अपने बड़ों को पैरों में गुलाल डाल कर उनसे खुशहाल जीवन का आशीर्वाद लेते हैं. असली होली यही है पर कुछ लोग इस दिन नशे का सेवन करते हैं यह गलत है. ऐसा इस पर्व का हिस्सा नहीं है. उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन और बरसाने इलाकों में होली का एक अलग ही छंटा देखने को मिलती है.
होली के क्षेत्रीय नाम क्या है?
1.पंजाब में इसे होला मोहल्ला कहा जाता है.
2.बिहार में फगुआ नाम से प्रचलित है.
3.गुजरात में यह गोविंदा होली के नाम से जाना जाता है.
4 मणिपुर में योसांग होली कहते है.
5.पश्चिम बंगाल में दोल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.
6.उत्तर प्रदेश में इसे लठमार होली कहते हैं.
7.मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसे धुलैंडी कहते हैं.
8.गोवा में शिमगो नाम से मनाया जाता है.
9.तमिलनाडु में इसे कमान पंडिगई कहते हैं.
10.कर्नाटक में इसका नाम कामना हब्बा है.
11.महाराष्ट्र में रंग पंचमी के नाम से मनाया जाता है
होली का इतिहास
1.होली का उल्लेख नारद पुराण और भविष्य पुराण में मिलता है.
2 ईसा पूर्व 300 साल पहले रामगढ़ के अभिलेखों में होली का जिक्र है.
3.कई साहित्य में, मुगल काल में भी होली मनाने का वर्णन है.
4.16वीं शताब्दी के एक पेंटिंग में होली का चित्र उकेरा गया है. यह पेंटिंग विजयनगर की राजधानी हंपी में मिली है.
5.मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने होली उत्सव का चर्चा अपने किताबों में की है.
होली क्यों मनाया जाता है?
इसके पीछे कई कारण है कुछ कारणों की चर्चा हम यहां पर करते हैं.
1.भक्त पहलाद, हिरण्यकश्यप और होलिका दहन की कहानी
होली क्यों मनाया जाता है इसके पीछे का सबसे प्रचलित कहानी भक्त पहलाद से जुड़ी हुई है. प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे. प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से वैर रखते थे. वह नहीं चाहते थे कि राज्य में कोई उनके सिवाय कोई दूसरे की पूजा करे. बचपन से ही प्रह्लाद को भगवान विष्णु में गहरी आस्था थी. हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को चेतावनी दी , अगर उसने भगवान विष्णु का नाम लेना बंद नहीं किया तो उसे कठोर सजा दी जाएगी. कई चेतावनी के बाद भी प्रह्लाद ने भगवान विष्णु का साधना बंद नहीं किया. गुस्से में आकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को बहुत सारे तरीकों से मारने का प्रयत्न किया. हर बार प्रह्लाद बच जाते थे. अंतिम में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी. होलिका को यह वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जल सकती थी. उसने हिरण्यकश्यप को सुझाव दिया की वो प्रह्लाद को आग में लेकर बैठ जाएगी. उसे तो कुछ नहीं होगा पहला पर प्रह्लाद इसमें जिंदा जलकर राख हो जाएगा. हिरण्यकश्यप खुश हुआ, अब उसके दुश्मन प्रह्लाद कोई नहीं बचा पाएगा. लेकिन कुछ और ही हो गया भगवान के आशीर्वाद से प्रह्लाद को तो कुछ नहीं हुआ पर होलिका धूं-धूं कर जल गई.इसी उपलक्ष्य में होलिका दहन मनाया जाता है.

होलिका दहन कैसे बनाते हैं
होली के 1 दिन पहले, जलने वाली सामग्री इकट्ठा की जाती है जैसे लकड़ी, पत्तियां , इत्यादि. पवित्र धागों से इसे बांधा जाता है, विधिवत पूजा के बाद इसे जलाया जाता है. आग में काली हल्दी, सिक्के, गुंजा के बीज नींबू इत्यादि डाले जाते हैं. इससे घर में आए हुए संकट दूर होते हैं. घर में बने हुए पकवान लोग अग्नि में चढ़ाते हैं. अग्नि में गेहूं, चना इत्यादि भी डालते हैं. होलिका दहन को छोटी दिवाली होली भी कहा जाता है.
2. बसंत ऋतु का और नई फसल बोने का शुरुआत
किसान, होली के त्यौहार को एक अलग दृष्टि से देखते हैं. वह इसे नए फसल बोने का शुरुआत मानते हैं. नए सीजन बसंत ऋतु की शुरुआत होती है और इसी खुशी में किसान होली मनाते हैं.
3. पूतना वध
होली मनाने के पीछे एक यह भी कारण है कि भगवान कृष्ण ने पूतना का वध किया था. पूतना एक राक्षसी थी जो बाल कृष्ण को मारने गोकुल आई. बालक कृष्ण ने उन्हें मार डाला. उसके खुशी में भी होली मनाने का शुरुआत हुआ.
4. राधा के गोरे रंग से जलते थे भगवान कृष्ण
होली मनाने का एक और कारण यह भी है भगवान कृष्ण राधा के गोरे कलर से जलते थे लगता था. भगवान कृष्ण ने अपने मां को यह बात बताया. मां ने उन्हें एक सुझाव दिया कि राधा को भी कहो वह भी कोई रंग अपने चेहरे पर लगा लेगी. कृष्ण भगवान को यह सुझाव पसंद आया और उन्होंने राधा को ऐसा करने के लिए कहा. राधा ने रंग लगाकर होली की शुरुआत की.
होली मनाने का कारण जो भी हो पर इसका सार्थकता बहुत ही ज्यादा है. अलग-अलग धर्मों के लोग, अगर अपने सारे मतभेद
भुलाकर इसे मनाए तो लोगों में प्यार और भाईचारा काफी बढ़ेगा.
2020 में होली कब है?
2020 में 10 मार्च (मंगलवार) को होली की तारीख है. 9 मार्च( सोमवार) को होलिका का दहन मनाया जायेगा

क्या आप भी बिना ऑफर के शॉपिंग करते हैं और करा लेते हैं नुकसान- यहाँ क्लिक कर जानें Amazon का आज का ऑफर और पाएं 83 % तक की छूट! |
Disclaimer: Is content में दी गई जानकारी Internet sources, Digital News papers, Books और विभिन्न धर्म ग्रंथो के आधार पर ली गई है. Content को अपने बुद्धी विवेक से समझे। jankaritoday.com, content में लिखी सत्यता को प्रमाणित नही करता। अगर आपको कोई आपत्ति है तो हमें लिखें , ताकि हम सुधार कर सके। हमारा Mail ID है jankaritoday@gmail.com. अगर आपको हमारा कंटेंट पसंद आता है तो कमेंट करें, लाइक करें और शेयर करें। धन्यवाद Read Legal Disclaimer |