Ranjeet Bhartiya 18/07/2019
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Last Updated on 21/11/2021 by Sarvan Kumar

वाराणसी, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक जिला है. उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में आने वाला यह जिला वाराणसी  प्रमंडल के अंतर्गत आता है. इस प्रमंडल के अंतर्गत कुल 4 जिले आते हैं: गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी और जौनपुर. वाराणसी में कुुुल कितने घाट है? कुल कितने मंदिर है? कितनी  जनसंख्या है? आईये जानते हैं वाराणसी जिले की पूरी जानकारी।

एक ऐतिहासिक पवित्र नगरी

काशी का उल्लेख वेदों, पुराणों, रामायण और महाभारत में किया गया है. यह दुनिया के प्राचीनतम शहरों में से एक है. यह हिंदू धर्मावलंबियों के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र और हिंदू धर्म में इसे सबसे पवित्र नगरों में से एक माना जाता है.वाराणसी शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूरी पर सारनाथ स्थित है. यही पर भगवान गौतम बुद्ध ने पहली बार उपदेश दिया था. इस जगह को बौद्ध और जैन धर्म में भी पवित्र नगर माना गया है. वाराणसी को “भारत की धार्मिक राजधानी”, “भगवान शिव की नगरी”, “मंदिरों का शहर”, “दीपों का शहर” और “ज्ञान नगरी” इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है.

वाराणसी का इतिहास

वाराणसी को काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है.
ऐसी मान्यता है कि जिले का प्राचीनतम नाम “काशी” राजा काश के नाम पर पड़ा है, जिनका यहां शासन था. वाराणसी के  उत्तर में वरुणा नदी तथा दक्षिण में असि नदी से घिरा हुआ है. ऐसी मान्यता है कि इन्हीं दोनों नदियों के नामों के संयोजन से इस स्थान का नाम वाराणसी पड़ा. मध्यकाल में इसे बनारस के नाम से जाना जाने लगा.

वाराणसी विभाजित हुआ

1956 के बाद अधिकारिक रूप से इसका नाम बदलकर फिर से वाराणसी कर दिया गया. वाराणसी एक प्राचीन शहर है. आजादी से पहले यह एक स्वतंत्र राज्य हुआ करता था. आजादी के बाद इसका भारत में विलय कर दिया गया. बाद में इसके तहसीलों को विभाजित कर के नए जिले बनाए गए, जैसे- मिर्जापुर, चंदौली और संत रविदास नगर, इत्यादि.

वाराणसी जिले की भौगोलिक स्थिति

बाउंड्री (चौहद्दी)
उत्तर में – जौनपुर जिला और गाजीपुर जिला
दक्षिण में – मिर्जापुर जिला
पूरब में- चंदौली जिला
पश्चिम में – जौनपुर जिला और संत रविदास नगर जिला.
समुद्र तल से ऊंचाई :
वाराणसी शहर समुद्र तल से लगभग 81 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है.
क्षेत्रफल
वाराणसी जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 1535 वर्ग किलोमीटर है.
प्रमुख नदियां : गंगा, गोमती वरुणा और असि.

अर्थव्यवस्था- कृषि, उद्योग और उत्पाद

वाराणसी जिले की अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन, मछली पालन, वन, खनिज, उद्योग और व्यवसाय पर आधारित है.

कृषि

वाराणसी जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. जिले में उगाए जाने वाले प्रमुख फसल हैं: गेंहू, धान, मक्का, जुआर, बाजरा, दलहन (अरहर, मसूर , उड़द, मूंग, चना और मटर), तिलहन (राई और सरसों), मसाले (हल्दी और मिर्च), गन्ना, आलू और सब्जियां.
जिले में उगाए जाने वाले प्रमुख फल हैं: आम, अमरूद और केला.

पशुपालन/मछली पालन/वन/खनिज

पशुपालन जिले के लोगों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया है. जिले के प्रमुख पशु धन हैं: गाय, भैंस, बैल, भेड़ और बकरी.
मछली पालन
गंगा, वरुणा और असि नदी तथा जलाशयों से मछली का उत्पादन होता है.
वन
वाराणसी जिला में पाए जाने वाले प्रमुख वन उत्पाद हैं: बनारसी लंगड़ा आम, सुपारी तथा मघई पान.
खनिज
वाराणसी जिला खनिज संपदा से संपन्न नहीं है. यहां केवल बालू पाया जाता है जिसका निर्माण कार्यों में उपयोग होता है.

उद्योग

इस जिले में कई बड़े उद्योग, मझोले उद्योग, लघु उद्योग और कुटीर उद्योग की इकाइयां कार्यरत हैं.
यहाँ  स्थित प्रमुख बड़े उद्योग हैं: डीजल लोकोमोटिव उद्योग, ग्लास उद्योग और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग इलेक्ट्रिकल (BHEL).
जिले में स्थित प्रमुख मझोले उद्योग हैं: टायर उद्योग और रबर उद्योग.
प्रमुख लघु उद्योग हैं: हस्तशिल्प उद्योग.
यहां लकड़ी के खिलौने बनाए जाते हैं तथा ब्रास वर्क का काम होता है.
जिले में स्थित प्रमुख कुटीर उद्योग हैं: यहां यहां का रेशम बुनाई उद्योग विश्व प्रसिद्ध है
व्यवसाय
वाराणसी जिला पूर्वी भारत का एक बड़ा व्यापारिक केंद्र है. यहां से औद्योगिक तथा कृषि उत्पादों का निर्यात किया जाता है.
यहां से बाहर भेजे जाने वाले प्रमुख उत्पाद हैं: कालीन, कपड़े, कढ़ाई किए हुए कपड़े, खिलौने, ऊनी कपड़े, बिजली के सामान, ड्रग्स, केमिकल, साबुन और मिष्ठान पदार्थ.

वाराणसी जिले का प्रशासनिक सेटअप

प्रमंडल: वाराणसी
प्रशासनिक सहूलियत के लिए वाराणसी जिले को 3 तहसीलों (अनुमंडल) और 8 विकासखंडो (प्रखंड/ ब्लॉक) में बांटा गया है.
तहसील (अनुमंडल):
वाराणसी जिले को 3 तहसीलों में बांटा गया है: वाराणसी, पिंडरा और राजातालाब.
विकासखंड (प्रखंड):
वाराणसी जिले को 8 विकासखंडों (प्रखंडों) में बांटा गया है.
वाराणसी तहसील के अंतर्गत फुल 3 विकासखंड हैं:
चिरईगांव, चोलापुर और काशी विद्यापीठ और हरहुआ (पार्ट).
पिंडरा तहसील के अंतर्गत पुल 3 विकासखंड हैं: बड़ागांव, पिंडरा और हरहुआ (पार्ट).
राजातालाब तहसील के अंतर्गत कुल 3 विकासखंड हैं: सेवापुरी, आराजी लाइन और काशी विद्यापीठ (पार्ट).
कुल पुलिस थानों की संख्या : 25
नगर निकायों की संख्या : 3
न्याय पंचायतों की संख्या : 108
ग्राम पंचायतों की संख्या: 760
गांवों की संख्या: 1327 (2011)
निर्वाचन क्षेत्र
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र : 1, वाराणसी

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र :

वाराणसी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र आते हैं- रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट और सेवापुरी.

वाराणसी जिले की डेेेमोग्राफीक्स (जनसांख्यिकी)

2011 के आधिकारिक जनगणना के अनुसार वाराणसी जिले की जनसांख्यिकी इस प्रकार है-
कुल जनसंख्या : 36.77 लाख
पुरुष : 19.21 लाख
महिला: 17.54 लाख
जनसंख्या वृद्धि (दशकीय): 17.15%
जनसंख्या घनत्व (प्रति वर्ग किलोमीटर): 2395
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में अनुपात: 1.84%
लिंगानुपात (महिलाएं प्रति 1000 पुरुष) : 913
औसत साक्षरता: 75.60%
पुरुष साक्षरता : 83.78%
महिला साक्षरता: 66.69%
शहरी और ग्रामीण जनसंख्या
शहरी जनसंख्या : 43.44%
ग्रामीण जनसंख्या: 56.56%
धर्म
2011 के आधिकारिक जनगणना के अनुसार, वाराणसी एक हिंदू बहुसंख्यक जिला है. जिले में हिंदुओं की जनसंख्या 84.52% है, जबकि मुस्लिमों की आबादी 14.88% है.अन्य धर्मों की बात करें तो जिले में ईसाई 0.21%, सिख 0.09%, बौद्ध 0.03%, जैन 0.05% और अन्य 0.01% हैं.
भाषाएं
इस जिले में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएं हैं: हिंदी, भोजपुरी और उर्दू.

वाराणसी के आसपास दर्शनीय स्थल

जिले में पौराणिक धार्मिक पुरातात्विक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कई दर्शनीय स्थल हैं. जिले में स्थित प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में संक्षिप्त विवरण:

काशी विश्वनाथ मंदिर

भगवान शिव को समर्पित यह प्रसिद्ध मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इस मंदिर के गिनती भारत के सबसे लोकप्रिय और पवित्रतम मंदिरों में की जाती है. ऐसी मान्यता है कि काशी में गंगा स्नान कर लेने से और काशी विश्वनाथ में पूजा अर्चना करने से मनुष्य जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है.

वाराणसी गंगा घाट

वाराणसी पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित है. गंगा के घाट काशी के सबसे पवित्र और लोकप्रिय स्थल हैं. यह हिंदू तीर्थ यात्रियों तथा पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण हैं.

बनारस में कुल कितने घाट है?

यहां कुल 88 घाट हैं जिनका प्रयोग स्नान तथा विभिन्न प्रकार के पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता है.
यहां स्थित कुछ लोकप्रिय घाट हैं: दशाश्वमेध घाट,
अस्सी घाट, तुलसी घाट, निरंजनी घाट, हनुमान घाट, हरिश्चंद्र घाट, केदार घाट, सोमेश्वर घाट, मानसरोवर घाट, नारद घाट, अहिल्याबाई घाट, कबीर घाट, पंचगंगा घाट, और मणिकर्णिका घाट.
दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती अत्यंत ही लोकप्रिय हैं. शाम को यहां पुजारियों का एक समूह पूजा-अर्चना करता है जिसमें भगवान शिव, गंगा, सूर्य देव, अग्नि देव और सृष्टि की पूजा की जाती है.दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती देखना एक रोमांचक आध्यात्मिक अनुभूति है.
इन घाटों में से 2 घाट,मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट, अंतिम संस्कार अनुष्ठान के लिए समर्पित हैं.

बनारस के मुख्य मंदिर

काशी को मंदिरों का शहर कहा जाता है. यहां स्थित प्रमुख मंदिरों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है.

मां अन्नपूर्णा मंदिर

“अन्न की देवी” अन्नपूर्णा माता को समर्पित या प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक स्थित है. ऐसी मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा तीनों लोगों की माता हैं और उन्होंने स्वयं महादेव को भोजन कराया था.

संकठा देवी मंदिर

यह प्रसिद्ध मंदिर सिंधिया घाट के नजदीक स्थित है. कहा जाता है कि मां संकटा के दर्शन मात्र से सारे संकट-कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.किंवदंतियों के अनुसार महाभारत काल में अज्ञात काल केदौरान पांडव यहां आए थे और उन्होंने माता की पूजा अर्चना की थी. पांडव यहां लगभग 1 वर्ष तक रहे थे.

काल भैरव मंदिर

भगवान काल भैरव को समर्पित यह प्रसिद्ध मंदिर वाराणसी कैंट से तकरीबन 3 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में स्थित है.
बाबा काल भैरव को काशी का कोतवाल (रक्षक) कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि बाबा काल भैरव की पूजा अर्चना करने से सारी कष्ट, बाधाएं, नकारात्मकता भय और शत्रु का नाश होता है.

मृत्युंजय महादेव मंदिर

भगवान शिव को समर्पित यह प्रसिद्ध मंदिर वाराणसी कैंट स्टेशन से लगभग 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है.ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा-अर्चना करने से सारी कष्ट- बाधाएं दूर होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

तुलसी मानस मंदिर

भगवान श्रीराम को समर्पित यह प्रसिद्ध मंदिर वाराणसी कैंट से लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. इस मंदिर में भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्तियां स्थापित हैं. कहा जाता है कि इसी स्थान पर महाकवि तुलसीदास “श्री रामचरितमानस” लिखा करते थे.

संकट मोचन हनुमान मंदिर

भगवान हनुमान को समर्पित या प्रसिद्ध मंदिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नजदीक दुर्गा मंदिर के रास्ते में स्थित है. ऐसी मान्यता है कि यहां हनुमान जी के दर्शन से सारे संकटों का नाश होता है.

दुर्गा मंदिर, दुर्गाकुंड

मां कुष्मांडा के रूप में विराजमान माता दुर्गा को समर्पित यह प्राचीन मंदिर वाराणसी कैंट से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

भारत माता मंदिर

काशी विद्यापीठ के प्रांगण में स्थापित इस मंदिर का उद्घाटन सन 1936 में स्वयं महात्मा गांधी ने किया था.

सारनाथ

वाराणसी शहर से लगभग 10 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित सारनाथ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है. ऐसी मान्यता है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान गौतम बुद्ध ने यहीं पर अपना पहला उपदेश दिया था.

जंतर मंतर

75.6 मीटर ऊंचे वेधशाला (Observatory) का निर्माण सवाई जयसिंह ने 1737 में करवाया था.

रामनगर किला

मक्खन के रंग के बालू पत्थर से निर्मित यह ऐतिहासिक किला गंगा के पूर्वी तट पर तुलसी घाट के सामने रामनगर में स्थित है.

वाराणसी कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग वाराणसी जिले का अपना हवाई अड्डा है. यहां के लिए डायरेक्ट हवाई सेवा उपलब्ध है.
निकटतम हवाई अड्डा : लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट
(Code: VNS). यह हवाई अड्डा वाराणसी शहर के उत्तर पश्चिम में लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर बाबतपुर में स्थित है.
रेल मार्ग
वाराणसी रेल मार्ग से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तथा देश के विभिन्न भागों से अच्छे से जुड़ा हुआ है.
निकटतम रेलवे स्टेशन : वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन
(Station Code : BSB).
सड़क मार्ग
वाराणसी सड़क मार्ग से उत्तर प्रदेश और देश के प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है. यहां के लिए नियमित सरकारी और प्राइवेट बस सेवाएं उपलब्ध है. आप यहां अपने निजी वाहन कार या बाइक से भी आ सकते हैं.

वाराणसी जिले के कुछ रोचक बातें:

1. जनसंख्या की दृष्टि से  उत्तर प्रदेश में 18वां स्थान है.
2. लिंगानुपात के मामले में उत्तर प्रदेश में 25वां स्थान है.
3. साक्षरता के मामले में  उत्तर प्रदेश में 9वां स्थान है.
4. सबसे ज्यादा बसे गांव वाला तहसील : वाराणसी (835).
5. सबसे कम बसे गांव वाला तहसील : पिंडरा (423).
6. जिले में कुल निर्जन गांवों की संख्या : 37.

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