
Last Updated on 23/08/2023 by Sarvan Kumar
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद और सुभाष चंद्र बोस जैसे महान क्रांतिकारियों की अहम भूमिका थी। इन क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सीधी कार्रवाई की वकालत की और आवश्यकता पड़ने पर हिंसक गतिविधियों को भी अंजाम दिया। ऐसे ही एक महान क्रांतिकारी थे सरदार उधम सिंह जिन्होंने जनरल डायर को मारकर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया था। इसी क्रम में यहां हम जानेंगे कि उधम सिंह ने जनरल डायर पर कितनी गोलियां चलाई थीं.
उधम सिंह ने जनरल डायर पर कितनी गोलियां चलाई थीं
उधम सिंह स्वतंत्रता संग्राम के एक निडर क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम नामक स्थान पर हुआ था। वह ग़दर पार्टी और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय कार्यकर्ता थे। वे भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों से बहुत प्रभावित थे। उनके मन में देश को अंग्रेजों से आजाद कराने का जुनून था। देश की आजादी के प्रति उनके इसी जुनून ने उन्हें 1924 में गदर पार्टी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और वे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे।
इसी बीच एक ऐसी घटना घटी जिसका उधम सिंह के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। वह घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड की थी. 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास रोलेट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्वक एक सभा का आयोजन किया गया था। इसी दौरान ब्रिटिश अधिकारी जनरल डायर ने बिना किसी कारण सभा में भाग ले रहे लोगों पर गोलियां चलवा दीं। इस गोलीबारी में 400 से ज्यादा लोग मारे गए जबकि 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए.
कई इतिहासकारों का मानना है कि जलियांवाला हत्याकांड कोई दुर्घटना नहीं बल्कि ब्रिटिश अधिकारियों की एक सुनियोजित साजिश थी। इस नरसंहार का उद्देश्य क्रांतिकारियों के मनोबल को तोड़ना और पंजाब प्रांत पर नियंत्रण बनाए रखना था। इस दुखद घटना से उधम सिंह बहुत दुखी हुए और उन्होंने इसका बदला लेने की ठान ली।
जलियांवाला हत्याकांड में पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर की अहम भूमिका थी, जो बाद में लंदन चले गया। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए उधम सिंह लंदन गए जहां उन्होंने 13 मार्च 1940 को लंदन के गवर्नर माइकल ओ’डायर की हत्या करके जलियांवाला नरसंहार का बदला लिया। इस दौरान उन्होंने जनरल डायर पर दो गोलियां चलाईं। एक गोली ओ’डायर के दिल और फेफड़ों को चीरती हुई निकल गई, जिससे उसकी तुरंत मौत हो गई।
बाद में इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए उधम सिंह को मौत की सजा सुनाई गई और वह हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए। लेकिन अन्याय के खिलाफ अपने प्राणों की आहुति देकर उधम सिंह इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अमर हो गये।

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