Ranjeet Bhartiya 01/11/2021
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Last Updated on 21/12/2022 by Sarvan Kumar

चाहे पाषाण युग हो , या कांस्य ,लौह या औद्योगिक युग हर सभ्यता का विकास औजारों के मदद से हुआ है. लौह युग उस काल को कहते हैं जिसमें मनुष्य ने लोहे का इस्तेमाल किया। इतिहास में यह युग पाषाण युग तथा कांस्य युग के बाद का काल है। पाषाण युग में मनुष्य की किसी भी धातु का खनन कर पाने की असमर्थता थी. लौह युग मानव इतिहास में एक अवधि थी जो 1200 ईसा पूर्व से- 600 ई.पू के बीच शुरू हुई थी. ये सारे काल के नाम उन उपकरणों पर आधारित हैं जो उस काल में मनुष्यों द्वारा उपयोग किए गए थे। लोहे से बने उपकरणों जैसे दरांती, कुदाली आदि से खेती में विकास हुआ . ड्रिल, आरी, छेनी, हथौड़े आदि जैसे शिल्पकार उपकरणों के सहारे व्यापार कार्य की जटिलता में कमी आयी. लोहे के औजारों से मनुष्यों के जीवन की गुणवत्ता में हर तरह से बदलाव आया है। कभी अपने सोचा है कौन है जो औजार बनाता है; औद्योगीकरण के इतिहास में कौन प्रभावशाली रहा है? कुछ लोग हैं जो चीजें बनाते हैं, और फिर कुछ ऐसे हैं जो उन्हें बनाने वाले औजार बनाते हैं। जिसने इन औजारों को बनाया  उसे आज हम लोहार के नाम से जानते है. लोहार समाज ही है जिसके बिना सभ्यता का विकास संभव ही नहीं था.आइए जानते हैं लोहार समाज का इतिहास, लोहार शब्द की उत्पति कैसे हुई?

लोहार , लोहरा और लोहारा में अंतर

लोहार (Lohar), लोहरा (Lohra), लोहारा (Lohara) सुनने में तो एक जैसा लगता है पर इनके समानता पर लोगों मे मतभेद है. ये मामला अदालत में भी गया है. The Tribes and Castes of Bengal किताब जो Herbert Hope Risley के द्वारा 1892 में लिखी गई थी उनके अनुसार-

“Lohar, the blacksmith caste of Behar, Chota Nagpur, and

Tradition of origin. Western Bengal. The Lohárs are a large and heterogeneous aggregate, comprising members of several different tribes and castes, who in different parts of the country took up the profession of working in iron”

Origin of Lohar Like Words

लोहार बिहार , छोटा नागपुर, और पश्चिमी बंगाल में पाए जाने वाले ऐसे लोगों का समूह है जिसमें कई अलग-अलग जनजातियों और जातियों के सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में लोहे का काम करने का पेशा अपनाया .

 लोहार से मिलते जुलते शब्द का उत्पत्ति

Lohará- A sept of Mundas in Chota Nagpur लोहारा- छोटा नागपुर में मुंडाओं का अस
Lohar-Agariá-  A sub-tribe of Agariás in Chota Nagpur
लोहार-अगरिया-  छोटा नागपुर में अगरिया की एक उप-जनजाति।
Loharátengi, a section of Rajwársin Western Bengal
लोहारतेंगी, पश्चिमी बंगाल में रजवार का एक भाग
Loharbans- Iron, a totemistio sept of Chiks; a section of Ghasis in Chota Nagpur
लोहारबंस- लोहा, चिक्स का टोटेमिस्टियो सेप्ट; छोटा नागपुर में घासी का एक वर्ग।
Lohár-Kámár- A sub-caste of Kámárs i Midnapur
लोहार-कामर- मिदनापुर में कामरों की एक उप-जाति।
Lohárkoriyá,-  A section of Bháts
लोहारकोरिया, - भाटों का एक वर्ग।
Lohár Mánjhi,- A sub-caste of Lohárs in Manbhum.
लोहार मांझी, - मानभूम में लोहारों की एक उप-जाति।
Lohatiá – Asection of Sonárs in Behar
लोहाटिया - बिहार में सोनार का विभाजन।
Lohchab-  A section of Goálás in the North-Western Provinces and Behar
लोहचब- उत्तर-पश्चिमी प्रांतों और बिहार में गोलास का एक खंड।
Lohrá – A synonym for Asura and Lohár
लोहरा - असुर और लोहार का पर्याय
Lohra Asur- A sub-tribe of Asuras in Chota Nagpur
लोहरा असुर- छोटा नागपुर में असुरों की एक उप-जनजाति।
Lohrakhukhri-  A kind of wild mushroom, a totemistic sept of Mundas in Chota Nagpur
लोहराखुखरी-  एक प्रकार का जंगली मशरूम, छोटा नागपुर में मुंडाओं का कुलदेवता समूह
Lohriá- An iron-smelter
लोहरिया- एक लोहा-गलाने वाला।

लोहार समाज का इतिहास

सामाजिक स्तर  पर बात  करें तो लोहार भारत में पाई जाने वाली एक व्यावसायिक जाति है. इन्हें लुहार, लोहरा और पांचाल के नाम से भी जाना जाता है. झारखंड में लोहार को स्थानीय रूप से लोहरा या लोहारा के नाम से जाना जाता है. प्राचीन काल से ही लोहा या इस्पात से विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को बनाना इनका पारंपरिक कार्य रहा है. इसीलिए इन्हें लोहार कहा जाता है. यह हथौड़ा छेनी, और भाथी आदि औजारों का प्रयोग करके दरवाजा, ग्रिल, रेलिंग, कृषि उपकरण, बर्तन और हथियार आदि बनाते हैं. अधिकांश लोहार अभी भी धातु निर्माण के अपने पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. हालांकि यह जीवन यापन के लिए खेती बारी तथा अन्य काम धंधा भी करने लगे हैं. प्राचीन काल से ही इनका समाज में महत्वपूर्ण स्थान रहा है. यह आम लोगों के लिए कृषि उपकरण तथा घर में प्रयोग किए जाने वाले सामान बनाते थे. साथ ही यह राजा महाराजा के सेनाओं के लिए हथियार बनाते थे.

लोहार किस धर्म  को मानते हैं?

धर्म से यह हिंदू, मुसलमान या सिख हो सकते हैं. भारत में निवास करने वाले अधिकांश लोहार हिंदू धर्म को मानते हैं. यह भगवान विश्वकर्मा और हिंदू अन्य देवी देवताओं की पूजा करते हैं. धार्मिक आधार पर हिंदू लोहार को विश्वकर्मा के रूप में जाना जाता है, जबकि मुस्लिम लोहार सैफी कहलाते हैं। यह भगवान विश्वकर्मा के वंशज होने का दावा करते हैं.

लोहार समाज के उपनाम

अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग उपनाम है. बिहार और उत्तर प्रदेश में के प्रमुख उपनाम विश्वकर्मा और ठाकुर हैं. दिल्ली में इनके उपनाम हैं -लोहार,  मिस्त्री और पांचाल.हिमाचल प्रदेश में तारखान और लोहार दो जातियां हैं. सिख लोहार को तारखान के नाम से जाना जाता है, धार्मिक आधार पर हिंदू लोहार को विश्वकर्मा के रूप में जाना जाता है, जबकि मुस्लिम लोहार सैफी कहलाते हैं. लोहार जाति दो उप समूहों में विभाजित है-गाडिया लोहार और मालविया लोहार.

हिंदू लोहार जाति के प्रमुख गोत्र

हिंदू लोहार जाति के प्रमुख गोत्र इस प्रकार हैं- बडगुजर, तंवर, चौहान, सोलंकी, करहेड़ा, परमार भूंड, डांगी, पटवा, जसपाल, तावड़ा, धारा, शांडिल्य, भीमरा और भारद्वाज.

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