Sarvan Kumar 17/07/2023
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Last Updated on 17/07/2023 by Sarvan Kumar

राजा टोडरमल मुग़ल काल में सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे. टोडरमल खत्री जाति के थे और उनका वास्तविक नाम ‘अल्ल टण्डन’ था. जब वे छोटे थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई. उनके लिए आजीविका का कोई साधन नहीं था. उन्‍होंने अपना जीवन सामान्य लेखक के रूप से शुरू किया था. धीरे-धीरे तरक्की कर उनका पद बढ़ता गया. तब शेरशाह सूरी ने, पंजाब, के रोहतास के एक नए किले के निर्माण के लिए टोडरमल को भेजा, जिससे उन्हें गक्खड़ छापेमारी को रोकने और उत्तर-पश्चिम में मुगलों के लिए बाधा का कार्य करना था.शेरशाह के अधीन काम करते हुए टोडरमल का प्रशासनिक कौशल और तेज हो गया था.वह किसी राजघराने में पैदा नहीं हुए थे, फिर भी उन्हें जों काम सौंपा जाता था उसे इतनी सुंदरता से करते थे कि एक मामूली मुंशी के पद से उन्नति करते हुए वह अकबर के साम्राज्य में सबसे बड़े पद पर पहुंच गए और अकबर ने उन्हें राजा की उपाधि दी. अपनी मृत्यु के समय वह काबुल और कंधार प्रांतों सहित पूरे हिंदुस्तान साम्राज्य का वकील-उस-सल्तनत (साम्राज्य का परामर्शदाता) और मुशरिफ- ए- दीवान ( वित्त मंत्री) थे. टोडरमल के  कारण राजकोष को इतना फायदा हुआ कि मुगल भारत में अपना विशाल साम्राज्य खड़ा कर सका. टोडरमल सिर्फ एक काबिल राजस्व मंत्री ही नहीं बल्कि एक लेखक, वीर योद्धा और  कुशल सैन्य कमांडर भी थे. कलम, तलवार और वित्तीय कुशलता का संगम एक खत्री में ही हो सकता है. आइए जानते हैं एक महान खत्री राजा टोडरमल की कहानी.

राजा टोडरमल की कहानी

टोडरमल का जन्म 10 फरवरी 1503 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के लहरपुर गांव में हुआ. अपनी मृत्यु के समय वह काबुल और कंधार प्रांतों सहित पूरे हिंदुस्तान साम्राज्य का वकील-उस-सल्तनत (साम्राज्य का परामर्शदाता) और मुशरिफ- ए- दीवान ( वित्त मंत्री) थे “कलम, तलवार और त्याग-राजा टोटोडरम” किताब में महान साहित्यकार प्रेमचंद लिखते हैं – अकबर का दरबार विद्या और कला, नीतिज्ञता और कार्य कुशलता का भंडार था; पर इतिहास के पन्नो पर टोडरमल का नाम जिस आब-ताब के साथ चमका, राज्य-प्रबन्ध और शासन-नीति में जो स्मरणीय कार्य उसके नाम से संयुक्त है, वह उसके समकालीनो में से किसी को प्राप्त नहीं–  टोडरमल के काम करने के अंदाज से राजकोष को इतना फायदा हुआ कि मुगल बादशाह अकबर ने खुश होकर इन्हें दीवान-ए-अशरफ की पदवी से नवाजा. यानि जमीन से जुड़े विभाग का प्रमुख. अकबर के अधीन, उन्हें आगरा का प्रभारी नियुक्त किया गया. बाद में, उन्हें गुजरात का राज्यपाल बनाया गया.कई बार, उन्होंने बंगाल में अकबर की टकसाल का प्रबंधन भी किया और पंजाब में भी सेवा की. टोडर मल का सबसे महत्वपूर्ण योगदान, जिसे आज भी सराहा जाता है, वह यह है कि उन्होंने अकबर के मुगल साम्राज्य की राजस्व प्रणाली की नई व्यवस्थ कर दी. टोडरमल ही थे जिन्होंने मुगल शासन काल में पहली बार जमीन की नाप की इकाई गज का आविष्कार किया था.

मनसबदारी

आईने अकबरी के अनुसार, राजा टोडर मल के पास चार हजार की मनसबदारी थी. जबकि बीरबल कि 2000 और अबुल फजल 2500 की मनसबदारी थी. 4,000 रैंक वाले मनसबदार को 270 घोड़े, 80 हाथी, 65 ऊँट, 17 खच्चर और 130 गाड़ियाँ रखनी पड़ती थीं. मनसबदार को अच्छा वेतन दिया जाता था. 4,000 रैंक वाले मनसबदार को 21600 – 22000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता था.

एक कुशल सेनापति

टोडरमल की कारगुजारियों को बयान करना अकबर के राज्यकाल का इतिहास लिखना है. ऐसा कौन-सा विभाग था दीवानी, माल या सेना, जिस पर टोडरमल की कार्य-कुशलता और प्रबन्ध-पटुता की मुहर न लगी हो. 1574 ई. में टोडरमल पटना विजय के अनन्तर झण्डा और डंका मिलने से सम्मानित होकर मुनइम ख़ाँ ख़ानख़ानाँ की सहायता के लिए बंगाल में नियुक्त हुए. यद्यपि सेनापतित्व और आज्ञा ख़ानख़ानाँ के हाथ में थी, पर सैन्य संचालन, सैनिकों को उत्साह दिलाने, साहस पूर्ण धावे करने और विद्रोहियों तथा शत्रुओं को दण्ड देने में राजा टोडरमल ने बड़ी वीरता दिखलाई. ऐसे कई युद्धों में टोडरमल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

राजा टोडरमल किस जाति के थे?

टोडरमल अन्त समय तक कट्टर धर्मनिष्ठ हिन्दू बने रहे जब तक ठाकुरजी की पूजा न कर लेते, अन्न मुँह में न डालते. वे जाति के खत्री थे और उनकी गोत्र अंगिरस थी. मनु स्मृति के अनुसार क्षत्रियों के पूर्वज हविष्यत्‌ हैं और हविष्यत्‌ अंगिरस के वंशज हैं. अंगिरस ऋग्वेद के नौवें मंडल के प्रतिष्ठित ऋषि (या लेखक) हैं. वेदों में इनका बार- बार उल्लेख मिलता है. लिंग पुराण के अनुसार हिंदुस्तान के महान राजा, वृहदश्व, मांधाता, पुरुकुत्स, अम्ब्रीक, मुचुकुंद और अन्य अंगिरस परिवार के थे. मत्स्य पुराण के अनुसार भी वृहदश्व और पुरुकुत्स अंगिरस परिवार के थे. भारत के इन प्राचीन राजाओं का वर्णन लगभग सभी पुराणों में मिलता है। राजा टोडरमल टंडन वैदिक क्षत्रियों के उस परिवार से थे, जहाँ से भारत के महानतम राजा निकले थे, और संस्कृत विद्वानों के अनुसार, जिन्होंने एक समय में दुनिया के एक बड़े हिस्से पर शासन किया था.

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