
Last Updated on 27/10/2023 by Sarvan Kumar
राजपूत भारत में एक योद्धा जाति हैं जिनकी उत्पत्ति मध्यकाल में हुई थी. वे भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में एक प्रमुख सामाजिक और सैन्य समूह के रूप में उभरे. अपनी वीरता, शिष्टता और सम्मान संहिता (code of honor) के पालन के लिए जाने जाने वाले राजपूतों ने भारत के इतिहास और संस्कृति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे विभिन्न कुलों से संबंधित हैं और उनके पास परंपराओं, रीति-रिवाजों और राजपूताना गौरव की समृद्ध विरासत है. आइए इसी क्रम में जानते हैं राजपूतों के पूर्वज कौन थे.
राजपूतों के पूर्वज कौन थे?
राजपूतों के पूर्वजों के बारे में जानने से पहले राजपूत जाति की उत्पत्ति और उनके इतिहास के बारे में संक्षेप में जान लेना आवश्यक है. राजपूतों के इतिहास की जानकारी कई स्रोतों से मिलती है जैसे हम्मीर महाकाव्य, नवसाहसंसचरित, कुमारपालचरित, पृथ्वीराजरासो और राजपूत राजघरानों की वंशावली आदि. इतिहासकारों के बीच इस बात पर आम सहमति है कि ‘राजपूत’ शब्द की उत्पत्ति पहली बार छठी शताब्दी में हुई थी और ‘राजपूत’ शब्द का प्रयोग सातवीं शताब्दी के बाद प्रचलित हुआ, जो क्षत्रियों के लिए था.
राजपूतों की उत्पत्ति के सन्दर्भ में अनेक सिद्धांत प्रचलित हैं जिनमें विदेशी उत्पत्ति सिद्धांत, देशी उत्पत्ति सिद्धांत तथा अग्निकुल से उत्पत्ति सिद्धांत प्रमुख हैं.
राजपूतों की उत्पत्ति के संदर्भ में प्रचलित इन सभी सिद्धांतों में राजपूतों के अलग-अलग पूर्वजों के बारे में विस्तार से बताया गया है, जिसके बारे में नीचे एक-एक करके बताया जा रहा है.
1.विदेशी मूल के सिद्धांत के अनुसार राजपूत विदेशी थे। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में अधिकारी रहे अंग्रेज प्राच्यविद् कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार, राजपूत कुषाण, शक और हूणों के वंशज थे. अर्थात राजपूतों के पूर्वज कुषाण, शक और हूण थे.
2. दूसरे सिद्धांत के अनुसार राजपूत आर्य और विदेशी दोनों के वंशज थे. इनमें दोनों जातियों का मिश्रण सम्मिलित था. इस सिद्धांत के अनुसार राजपूतों के पूर्वज आर्य और विदेशी थे.
3. स्वदेशी सिद्धांत के अनुसार राजपूत चंद्रवंशी और सूर्यवंशी क्षत्रियों के वंशज हैं, जिनकी गाथाओं का उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है. इस सिद्धांत के अनुसार प्राचीन क्षत्रिय राजपूतों के पूर्वज थे.
4. अग्निकुल सिद्धांत के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति अग्नि कुंड से हुई थी और सर्वप्रथम अग्निकुंड से चार योद्धा प्रकट हुए थे- परमार, प्रतिहार, चौहान और चालुक्य (सोलंकी). इस सिद्धांत के अनुसार यह चारों योद्धा ही भारत के सभी राजपूतों के पूर्वज हैं.
References:
•Pracheen Bharat Ka Rajneetik Aur Sanskritik Itihas
By Dhanpati Pandey · 1998

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