तीन राज्यों में हार मिलने के बाद NDA घटक दलों में फूट आ गया है .बिहार के कुशवाहा समाज के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने NDA से अलग होकर महागठबंधन में जानेे का फैैसला किया है.उनका ये फैसला कितना सही है ये आने वाला वक्त ही बताएगा.आइए जानते हैं उपेंद्र कुशवाहा कौन है?
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के संस्थापक
उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के संस्थापक हैं. 3 मार्च 2013 को कुशवाहा ने अपनी पार्टी को लॉन्च किया. बिहार के ऐतिहासिक गांधी मैदान में एक बहुत बड़े रैली का आयोजन करके उन्होंने अपनी पार्टी कि नाम और झंडे का अनावरण किया. कुशवाहा वर्तमान में बिहार के रोहतास जिले के काराकट से सांसद हैं .कुशवाहा केंद्र सरकार में मानव संसाधन राज्य मंत्री रह चुके हैं.
कब और कहाँ हुआ था जन्म
उपेंद्र कुशवाहा का जन्म 2 फरवरी 1960 को बिहार के वैशाली जिले में एक मध्यमवर्गीय हिंदू क्षत्रिय कुशवाहा परिवार में हुआ था.
उपेंद्र कुशवाहा की शिक्षा
कुशवाहा ने बिहार के प्रतिष्ठित पटना साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने भीमराव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में M.A. किया. वो समता कॉलेज में पॉलीटिकल साइंस के लेक्चरर रहे.
उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक जीवन सफर
उपेंद्र कुशवाहा ने 1985 में राजनीति में कदम रखा. वे 1985 से लेकर 1988 तक युवा लोकदल के स्टेट सेक्रेट्री रहे. 1988 से 1993 तक कुशवाहा युवा लोकदल के नेशनल सेक्रेट्री रहे. 1994 में कुशवाहा समता पार्टी के महासचिव बने और इस पद पर उन्होंने 2002 तक काम किया. यही वो वक्त था जब कुशवाहा को बिहार की राजनीति में महत्व मिलने लगा था और वह कुशवाहा क्षत्रिय समाज के लीडर के तौर पर उभरने लगे.
पहली बार 2000 में बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए
कुशवाहा 2000 से लेकर 2005 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे और विधानसभा में समता पार्टी के उपनेता नियुक्त किए गए .
उपेंद्र कुशवाहा के राजनीतिक करियर में नीतीश कुमार का है बड़ा योगदान
उपेंद्र कुशवाहा को राजनीति में आज जो भी मुकाम हासिल हुआ है, इसका काफी श्रेय बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जाता है. कुशवाहा को नीतीश कुमार का सहयोगी माना जाता था. नीतीश कुमार के कहने पर ही 2004 में कुशवाहा को बिहार विधानसभा के प्रतिपक्ष के नेता बनाया गया था.समता पार्टी ने 2010 में कुशवाहा को राज्यसभा भेजा. राज्यसभा में आने के बाद वह कृषि समिति के सदस्य बने.
कुशवाहा और नीतीश कुमार के रिश्ते में पड़ी दरार
नीतीश कुमार से खराब रिश्तो के कारण कुशवाहा समता पार्टी से अलग हो गए और उन्होंने नेशनल कांग्रेस पार्टी जॉइन कर लिया. नेशनल कांग्रेस पार्टी में कुशवाहा शामिल तो हो गए लेकिन इसका कोई राजनीतिक लाभ उन्हें नहीं मिला.
फिर से आये नितीश के साथ
कुशवाहा ने फिर से अपने राजनीतिक गुरु नीतीश कुमार के पास वापस जाना ही सही समझा. कुशवाहा एक बार फिर से नीतीश कुमार को मना कर जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए. जनता दल यूनाइटेड में शामिल होने के बाद ना सिर्फ कुशवाहा का राजनीतिक करियर पटरी पर आया बल्कि उनके राजनीतिक कैरियर में एक जबरदस्त उछाल आया.
निभ ना सकी नितीश से दोस्ती अलग होकर नई पार्टी बनाई
नीतीश कुमार के साथ एक बार फिर से कुशवाहा का रिश्ता बिगड़ गया . कुशवाहा ज्यादा दिन तक जनता दल यूनाइटेड में नहीं रह पाए. उन्होंने जनता दल यूनाइटेड छोड़ दिया. जनता दल यूनाइटेड छोड़ने के बाद कुशवाहा ने खुद की पार्टी खड़ी करने की सोची. इसके लिए कुशवाहा ने जमीन पर काम करना शुरू कर दिया.
कुशवाहा, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के खिलाफ बोलने लगे और उनका विरोध करने लगे. कुशवाहा ने अल्पसंख्यक और पिछड़ी जातियों के मुद्दे उठाकर अपना एक जनमत या यूं कहें वोट बैंक तैयार किया. 3 मार्च 2013 को कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी को लॉन्च किया, नाम रखा-राष्ट्रीय लोक समता दल.
2014 में थे बीजेपी के साथ हुआ था कााफी फायदा
2014 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा, एनडीए में शामिल होने का फैसला किया.मोदी लहर पर सवार कुशवाहा की पार्टी ने बिहार के 3 सीटों पर चुनाव लड़ा. इन तीनों सीटों पर पार्टी को विजय मिली.ये सीटें थी सीतामढ़ी, काराकट और जहानाबाद. उपेंद्र कुशवाहा खुद भी लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए.वे रोहतास के कुशवाहा बाहुल्य काराकट लोकसभा से जीते.
उपेंद्र कुशवाहा केंद्र सरकार में पहले ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल और स्वच्छता मंत्री रहे.
नवंबर 2014 में जब कैबिनेट का फेरबदल किया गया . कुशवाहा को मानव संसाधन विकास मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया.
NDA से हुए अलग
2019 के चुनाव नजदीक आते-आते कुशवाहा और बीजेपी के बीच विवाद हो गया.
ये विवाद सीटों के बंटवारे को लेकर हुआ था.उन्होंने एनडीए छोड़ने का फैसला किया और महागठबंधन में शामिल हो गए.