
Last Updated on 18/12/2021 by Sarvan Kumar
भाटिया (Bhatia) भारत और पाकिस्तान में पाई जाने वाली एक जाति है. यह मुख्य रूप से किसान और व्यापारी हैं. पंजाब के कई जिलों में यह बड़े भूभाग के मालिक हैं और इन्हें जमींदार के रूप में जाना जाता है. यह मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी भारत में निवास करते हैं. पंजाब, राजस्थान और गुजरात में इनकी अच्छी खासी आबादी है. पाकिस्तान में यह मुख्य रूप से पंजाब और सिंध प्रांत में पाए जाते हैं. लाहौर और मुल्तान में इनकी बहुतायत आबादी है. धर्म से यह हिंदू, मुस्लिम सिख हो सकते हैं. भारत में पाए जाने वाले अधिकांश भाटिया हिंदू और सिख धर्म को मानते हैं.आइए जानते हैं भाटिया समाज का इतिहास, भाटिया की उत्पति कैसे हुई?
भाटिया समाज का उप -विभाजन
भाटिया समाज कई उप जातियों में विभाजित हैं, जिनमें प्रमुख हैं-जाखड़, कच्छी, वेहा, हलई, कंठी, पवराई, नवगाम, पचीसगाम, थट्टई और पंजाबी. गुजरात के कच्छ में निवास करने वाले भाटिया को कच्छी भाटिया कहा जाता है. जामनगर जिले के इर्द गिर्द निवास करने वाले हलाई भाटिया के रूप में जाने जातें हैं. भारत और पाकिस्तान के पंजाब में रहने वाले भाटिया पंजाबी भाटिया के रूप में जाने जाते हैं. वहीं, पाकिस्तान के सिंध में पाए जाने वाले भाटिया सिंधी भाटिया के रूप में जाने जाते हैं. 1947 में बड़ी संख्या में पंजाबी भाटिया पाकिस्तानी पंजाब में बस गए.
भाटिया समाज की उत्पत्ति
भाटिया जाति के भौगोलिक उत्पत्ति के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है. ब्रिटिश राज के प्रशासक, लेखक और नृवंशविज्ञानी सर डेन्ज़िल चार्ल्स जेल्फ़ इबेट्सन (Sir Denzil Charles Jelf Ibbetson), जिन्होंने पंजाब के लेफ्टिनेंट-गवर्नर के रूप में कार्य किया था, के अनुसार, इनमें से कई सिंध और गुजरात में पाए गए थे. लेकिन यह मानने के लिए पर्याप्त आधार था कि वह भटनेर, जैसलमेर और राजपूताना (वर्तमान राजस्थान) से आए थे. मध्ययुगीन और प्रारंभिक आधुनिक भारतीय इतिहास में रुचि रखने वाले प्रोफेसर आंद्रे विंक (André Wink) द्वारा किए गए एक और हालिया अध्ययन में जैसलमेर के भाटिया और गुजरात के चालुक्यों के बीच 12 वीं शताब्दी के संबंध का पता चलता है. विंक ने उल्लेख किया है कि फ़िरोज़ शाह तुगलक के शासनकाल के दौरान सिंध में कई समुदाय इस्लाम में परिवर्तित हो गए. सिंध के मुल्तान क्षेत्र में निवास करने वाले भाटिया ऐतिहासिक रूप से व्यापारी थे.
