
Last Updated on 11/01/2022 by Sarvan Kumar
दफाली (Dafali) भारत में पाई जाने वाली एक मुस्लिम जाति है. इन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे शेख मसूदी (Sheikh Masoodi) और मुजावर (Mujawar). भारत सरकार के सकारात्मक भेदभाव की व्यवस्था आरक्षण के अंतर्गत इन्हें उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Class, OBC) के रूप में वर्गीकृत किया गया है. वैसे तो यह पूरे भारत में पाए जाते हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश राज्य में निवास करते हैं. भारत के अलावा, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में भी इनकी आबादी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से पीलीभीत, रामपुर, मुरादाबाद, संभल, बदायूं, सहारनपुर और बरेली जिलों में पाए जाते हैं. यहां यह मुख्य रूप से हिंदी, उर्दू और खरी बोली बोलते हैं. आइए जानते हैं दफाली समाज का इतिहास, दफाली की उत्पति कैसे हुई?
दफाली समाज एक परिचय
अवध क्षेत्र में यह मुख्य रूप से लखनऊ, बहराइच, , गोंडा, श्रावस्ती, सीतापुर, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, जौनपुर जिलों में निवास करते हैं. यहां यह उर्दू हिंदी और अवधी बोलते हैं. यह इस्लाम धर्म का पालन करते हैं. इस समुदाय के ज्यादातर लोग सरनेम के रूप में मसूदी (Masoodi) लगाते हैं.
दफाली की उत्पत्ति कैसे हुई?
इस समुदाय के नाम की उत्पत्ति हिंदी और उर्दू के शब्द डफ या डफली से हुई है, जिसे अंग्रेजी में Tambourine कहा जाता है. डफ या डफली एक संगीत वाद्ययंत्र है. पुराने समय में, इस समुदाय के लोग जंग के दौरान, शादी विवाह के अवसरों पर तथा उत्तर भारत के विभिन्न सूफी दरगाहों पर डफ या डफली बजाया करते थे. इसीलिए कालांतर में इस समुदाय का नाम दफाली पड़ा. इस समुदाय के लोग गाजी मियां (Ghazi Mian) के नाम से प्रसिद्ध बहराइच के सूफी संत सैयद सालार मसूद गाजी (Syed Salar Masood Ghazi) के वंशज होने का दावा करते हैं. दफाली उन बहुत कम मुस्लिम समुदायों में से एक हैं जो मूल रूप से मुसलमान रहे हैं, अर्थात यह शुरू से ही मुसलमान रहे हैं और धर्मांतरण के माध्यम से मुसलमान नहीं बने हैं.
