Last Updated on 16/03/2022 by Sarvan Kumar
Featured Image for Representation – Wikimedia Commons: घसिया (Ghasiya or Ghasia) भारत में पाई जाने वाली एक जाति है. इन्हें घासियारा (Ghasiara) के नाम से भी जाना जाता है. परंपरागत रूप से घास काटने के कार्य से जुड़े होने के कारण इनका नाम “घसिया” पड़ा. इस समुदाय के अधिकांश लोग गरीबी और पिछड़ेपन के शिकार हैं. इनके बारे में एक कहावत प्रचलित है- “घासिया की जिंदगी हँसिया”. हँसिया या दरांती घास काटने के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक उपकरण है. यह हिंदी की बुंदेलखंडी बोली बोलते हैं. आइए जानते हैं घसिया समाज का इतिहास, घसिया शब्द की उत्पति कैसे हुई?
घसिया जाति की उत्पति
घासिया हिंदी भाषा के शब्द “घास” से बना है और इसका अर्थ होता है- “घास काटने वाला”. रॉबर्ट वेन रसेल (R. V. Russell) ने अपनी किताब “The Tribes and Castes of the Central Provinces of India, Volume III” में घसिया जाति को एक घास काटने वाली (Grass-cutter) जाति के रूप में वर्णित किया है.रसेल के अनुसार, घसिया उड़ीसा और मध्य भारत की एक द्रविड़ जाति है जो घास काटती है, घोड़ों की देखभाल करती है और त्योहारों पर गाँव के संगीतकारों के रूप में काम करती है.
रिस्ले के अनुसार
सर हर्बर्ट होप रिस्ले (Herbert Hope Risley) के अनुसार, घसिया छोटा नागपुर और मध्य भारत की एक मछली पकड़ने वाली और खेती करने वाली जाति हैं, जो शादियों और त्योहारों में संगीतकारों के रूप में सेवाएं देते हैं तथा दफ्तरों में सेवकों के रूप में काम करते हैं.बस्तर में इन्हें एक ऐसी जाति के रूप में वर्णित किया गया है जो घोड़े के रखवाले के रूप में सेवा करते हैं और पीतल के बर्तन बनाने बनाते और मरम्मत करने का काम करते हैं. यहां यह मारिया गोंडों की तरह कपड़े पहनते हैं और जीवन निर्वाह के लिए आंशिक रूप से खेती और आंशिक रूप से श्रम (मजदूरी) पर निर्भर हैं.रसेल के अनुसार, मध्य प्रदेश के मंडला में इनकी सामाजिक स्थिति और रीति-रिवाज बहुत हद तक गोंडों के समान हैं, जिनसे यह प्रतीत होता है कि इस जाति का एक बड़ा वर्ग गोंडों से निकला है. अन्य इलाकों में यह शायद बुंदेलखंड और उड़ीसा से मध्य प्रांत में आकर बस गए हैं. घसिया समुदाय के लोग इस बात का दावा करते हैं कि वह छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले (Surguja) से निकलकर भारत के विभिन्न प्रांतों में जाकर बस गए.
डॉ. बॉल के अनुसार
डॉ. बॉल (Dr. Ball) ने सिंहभूम में इन्हें एक स्वर्ण-धोने वाली और संगीतकारों के रूप में काम करने वाली जाति के रूप में वर्णित किया है.
एक जमींदार समुदाय?
“People of India Uttar Pradesh Volume XLII Part Two” में घसिया जाति के बारे में निम्न बातों का उल्लेख किया गया है-
इनकी परंपराओं के अनुसार, कभी यह शासक हुआ करते थे. लेकिन समय के साथ इन्होंने अपनी स्थिति खो दी और जीवन यापन के लिए खेती करना शुरू कर दिया. घसिया एक छोटा जमींदार समुदाय है. कई घसिया अभी भी घास काटने के अपने पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. इनमें से कई मंडाऊ (mandau) के नाम से जानी जाने वाली कंघी के निर्माण में भी शामिल हैं. यह अपनी बस्तियों में रहते हैं तथा आसपास के पड़ोसी समुदायों के साथ बहुत कम बातचीत करते हैं.
घसिया जाति एक परिचय
वर्तमान परिस्थिति (कैटेगरी): भारत सरकार के सकारात्मक भेदभाव की व्यवस्था आरक्षण के अंतर्गत इन्हें छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में अनुसूचित जाति (Scheduled Caste, SC) का दर्जा प्राप्त है.
पॉपुलेशन, कहां पाए जाते हैं? यह भारत के मध्य प्रांतों, मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ और आसपास के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा में निवास करते हैं. उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र, विशेष रुप से मिर्जापुर और सोनभद्र जिले में पाए जाने वाले कई आदिवासी समुदायों में से एक हैं. 2011 की जनगणना में, उत्तर प्रदेश राज्य में एक अनुसूचित जाति के रूप में इनकी आबादी 5888 दर्ज की गई थी.
घसिया किस धर्म को मानते हैं?
यह हिंदू हैं, लेकिन अपने आदिवासी देवी-देवताओं में भी इनकी आस्था है जैसे कि बुरहिमाई (Burhimai), दुल्हादेव (Dulhadeo), बुरा देव (Bura Deo),घासी साधक (Ghasi Sadhak) और शीतला देवी (Sheetla Devi). यह तीन साल में एक बार य्गोंडों के महान देवता बुरा देव को एक सफेद बकरी चढ़ाते हैं. यह दशहरा में दरांती (हँसिया) और अपने व्यापार के उपकरणों की पूजा करते हैं. यह घासी साधक को नारियल और शराब चढ़ाते हैं. इनकी मान्यताओं के अनुसार, घासी साधक खूंटी में निवास करते हैं जिससे घोड़ों को अस्तबल में बांधकर रखा जाता है. घासी साधक को घोड़े को सभी प्रकार की बीमारियों से रक्षा करने वाला माना जाता है.
घसिया समाज का विभाजन
घसिया समाज कई कुलों में विभाजित है, जिसे कुरी (Kuri) कहा जाता है. घसिया सख्ती से अंतर्विवाही समुदाय हैं, एक कुल के अंदर विवाह वर्जित है और कबीले बहिर्विवाह के सिद्धांत का पालन करते हैं. इनके प्रमुख कुल हैं-अरिलखंड, बांगर, भैंसा, जनता, कटिहारी, सोनवान और सूरजबंसी. इन सभी कुलों में सोनवान आपनी उच्च स्थिति का दावा करते हैं. इनके नाम की उत्पत्ति हिंदी भाषा के शब्द सोना (Gold) से हुई है. अन्य कुलों की उत्पत्ति के बारे में भी अपनी-अपनी किंवदंतियों हैं. उदाहरण के तौर पर, ऐसी मान्यता है कि भैंसा कुल का नाम इनके स्थानीय देवता भैंसासुर से लिया गया है.
References;
The Tribes and Castes of the Central Provinces of India, Volume 3 of 4
Author: R. V. Russell
Hasan, A.; Das, J. C. (eds.). People of India Uttar Pradesh Volume XLII Part Two. Manohar Publications. pp. 530–534.
“A-10 Individual Scheduled Caste Primary Census Abstract Data and its Appendix – Uttar Pradesh”. Registrar General & Census Commissioner, India. Retrieved 6 February 2017.
1 thought on “घसिया समाज का इतिहास, घसिया शब्द की उत्पति कैसे हुई?”