
Last Updated on 13/03/2023 by Sarvan Kumar
भारत पर मुस्लिम आक्रमणकारियों का आक्रमण 7वीं शताब्दी के प्रारंभ में ही शुरू हो गया था. इस्लामी आक्रमणकारियों का उद्देश्य केवल धन लूटना हीं नहीं था. उनका उद्देश्य भारत की हिन्दू संस्कृति को नष्ट कर इस्लामी शासन को स्थापना करना था. लेकिन भारत में ऐसे कई वीर योद्धा हुए जिन्होंने विदेशी हमलावरों के मंसूबों को सफल नहीं होने दिया. महाराजा सुहेलदेव भी ऐसे ही एक महान योद्धा थे जिन्होंने बहराइच के युद्ध में गाजी सैय्यद सालार मसूद की सेना को परास्त कर हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा की. आइए इसी क्रम में जानते हैं कि राजा सुहेलदेव की मृत्यु कैसे हुई.
राजा सुहेलदेव की मृत्यु कैसे हुई?
महाराजा सुहेलदेव उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में श्रावस्ती के पूर्व शासक थे, जिन्होंने 11वीं शताब्दी में शासन किया था. ग्यारहवीं शताब्दी में इस्लामी आक्रमणकारी महमूद गजनवी ने भारत के वैभव से आकर्षित होकर तत्कालीन कमजोर भारतीय शक्तियों का लाभ उठाते हुए भीषण लूटपाट के उद्देश्य से 17 बार आक्रमण किया. उसने प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर पर भी हमला किया और मंदिर में रखे धन को लूट लिया. इस दौरान मंदिर को क्षतिग्रस्त किया गया, मूर्तियां तोड़ी गई और पुजारियों की बेरहमी से हत्या की गई. गजनवी के इन अमानवीय अभियानों में उसके भांजे और सेनापति सैयद सालार मसूद की प्रमुख भूमिका थी. गजनी के एक दरबारी द्वारा लिखित पुस्तक “तारीख-ए- यामिनी” में उल्लेख किया गया है कि गजनी के आक्रमणों में हिन्दुओं का इतना रक्त बहाया गया कि नदियों का जल भी लाल हो गया. और इन नदियों का पानी तो पशु भी नहीं पीते थे. महमूद गजनवी ने उत्तर भारत में भयंकर हिंसा और लूटपाट करते हुए उत्तर भारत के कई राज्यों पर विजय प्राप्त की और पराजित राजाओं को अपना सहयोगी बनने पर विवश कर दिया. अंत में जब महमूद गजनवी वापस गजनी जा रहा था तो उसने अभियान की कमान सालार मसूद को सौंप दी. सैयद सालार दिल्ली, मेरठ, कन्नौज, फतेहपुर सीकरी पर विजय प्राप्त करते हुए बहराइच पहुंचा जहां उसका सामना महाराजा सुहेलदेव से हुआ. सोमनाथ मंदिर में लूटपाट और मंदिर तोड़े जाने की घटना से सुहेलदेव पहले से ही काफी आहत थे. उन्होंने एक राजकुमार के रूप में आरामदायक शाही जीवन को त्यागने और हमलावर तुर्की सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ने का फैसला किया. बाद में बहराइच के युद्ध में सुहेलदेव और सालार मसूद के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें मसूद की विशाल तुर्क सेना पराजित हुई. इस युद्ध में सालार मसूद को महाराजा सुहेलदेव ने मार गिराया. अब इस लेख के मूल प्रश्न पर आते हैं और जानते हैं कि राजा सुहेलदेव की मृत्यु कैसे हुई? “The Afterlife of Warrior Saint Ghazi Miyan” नामक पुस्तक के अनुसार, बाद में मसूद के एक सेनापति सैयद इब्राहिम ने महाराजा सुहेलदेव की हत्या कर दी. जबकि “भारतवर्ष के अक्रांताओं की कलंक कथाएं” नामक पुस्तक के अनुसार, शिविर में रक्षा के लिए तैनात सालार इब्राहिम को जब सालार मसूद की मौत का समाचार मिला तो वह बहुत दुखी हुआ. अगले दिन अपने शेष साथियों के साथ महाराजा सुहेलदेव पर आक्रमण करने की तैयारी करने लगा. महाराजा सुहेलदेव को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने स्वयं उस तुर्की सेना पर आक्रमण कर दिया, जिसमें सालार इब्राहिम अपने साथियों सहित मारा गया.

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