Sarvan Kumar 13/01/2023
Jankaritoday.com अब Google News पर। अपनेे जाति के ताजा अपडेट के लिए Subscribe करेेेेेेेेेेेें।
 

Last Updated on 13/01/2023 by Sarvan Kumar

वेद – विज्ञान से काफी आगे (भाग- 1) वेद क्या है, इसमें क्या लिखा है, क्या यह एक सिर्फ हिन्दू धार्मिक ग्रंथ है. ये सारे प्रश्न हमारे दिमाग में चलते रहते हैं और इसका सटीक जवाब हमें नहीं मिलता है. वेद एक ही था और इसको आसानी से समझने के लिए इसे चार भागों में बांटा गया हैं. इन चार भागों में ऋग्वेद सबसे महत्वपूर्ण है. ऋग्वेद पहला और एकमात्र वेद था, विद्वानों का मत है कि महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास (वेद व्यास) ने द्वापर युग में इन वेदों का विभाजन कर ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रचे. आइए जानते हैं ऋग्वेद में कितने मंडल और सूक्त हैं?

ऋग्वेद में कितने मंडल और सूक्त हैं?

ऋग्वेद को मंडल ,सूक्त और ऋचाओं में बांटा गया है. वेद का विभाजन दस मंडलों में किया गया है, प्रत्येक मंडल में बहुत से सूक्त ( hymns)  एवं प्रत्येक सूक्त में अनेक ऋचाएं है.इसके 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र (10580) हैं.  प्रथम और अंतिम मंडल समान रूप से बड़े हैं.

वेद समझने से पहले कुछ शब्दों का अर्थ

मंडल, सूक्त ,ऋचा, श्लोक ऐसे कई शब्द है जो आसानी से समझ नहीं आते जिससे वेदों का हिन्दी रूपांतरण भी समझ नहीं आता है तो आइये ऋग्वेद में क्या है समझने से पहले इन शब्दों का अर्थ समझते हैं.

वेद ( Ved) शब्द का अर्थ– वेद शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘विद्’ धातु से हुई है। विद् का अर्थ है जानना या ज्ञानार्जन. वेद का मतलब english में knowledge है.

ऋक (RIK) शब्द का अर्थस्तुतिपरक मन्त्र,  ऋचा , स्तुति, छंद, विशेष रूप से एक देवता की स्तुति में पढ़ा जाने वाला. एक दूसरे अर्थ में छन्दों में बंधी रचना को ‘ऋक’ नाम दिया जाता है. 

ऋचा शब्द का अर्थ- मंत्र (praise, verse, especially a sacred verse recited in praise of a deity) वैदिक काल में जो मंत्र गाकर के पढ़े जाते थे ‘ऋचा’ कहलाते थे.

श्रुति का अर्थ-  वेदों को श्रुति भी कहा जाता है,  परम्परा से मौखिक उच्चारण करने के कारण इन्हें श्रुति को बुलाया गया. बहुत लम्बे काल तब वेद श्रवण द्वारा ही ग्रहण किए जाते रहे इस कारण इनका एक नाम श्रुति भी है ; बाद में इन्हें पुस्तक रूप में भी लिख लिया गया.

ऋचाओं तथा श्लोकों में अंतर

वेद की ऋचाओं को अपौरुषेय माना जाता है यानी इनकी रचना करने का सामर्थ्य मनुष्य में नहीं होता और ये मंत्र द्रष्टा ऋषियों के ऊपर प्रकट मानी जाती हैं. मंत्र का अर्थ वैसे तो असीमित है, लेकिन मंत्र उसे कहा जाता हैं जो मन के भाव से सीधे से उत्पन्न हुए हो. हमारे वेदों की ऋचाओं के प्रत्येक छंद को मंत्र कहा जाता है क्योंकि माना जाता है कि ये ऋचाएं किसी के द्वारा लिखी नहीं गई थी, स्वयं मन से उत्पन्न हुई हैं. जबकि श्लोक मानव निर्मित होते हैं, जैसे कालिदास, भवभूति, माघ ,बाणभट्ट इत्यादि द्वारा रचित श्लोक.

सूक्त का अर्थ- सूक्त को इंग्लिश में hymns कहते हैं. मन्त्रद्रष्टा ऋषि के सम्पूर्ण वाक्य को सूक्त कहते हैँ, जिसमेँ एक अथवा अनेक मन्त्रों में देवताओं के नाम दिखलाई पड़ते हैैं.

संहिता  का अर्थ– संहिता एक संस्कृत शब्द हैचारों वेदों को संहिता भी कहा जाता है.संहिता का शाब्दिक अर्थ है “एक साथ रखना, जुड़ना, संघ”, एक “संग्रह”,  और “पाठ या छंदों का एक व्यवस्थित, नियम-आधारित संयोजन.

Disclosure: Some of the links below are affiliate links, meaning that at no additional cost to you, I will receive a commission if you click through and make a purchase. For more information, read our full affiliate disclosure here.

Leave a Reply