Ranjeet Bhartiya 15/01/2023
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Last Updated on 15/01/2023 by Sarvan Kumar

भारतीय सामाजिक जीवन का हर पहलू अद्भुत विविधताओं से भरा है. यह विविधता जातीय, भाषाई, क्षेत्रीय, आर्थिक, धार्मिक, वर्ग और जाति समूहों के रूप में परिलक्षित होती है. भारत में विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोग निवास करते हैं. भारत में सामाजिक स्तरीकरण की एक प्रमुख विशेषता जाति व्यवस्था है, जो जातियों को एक विशेष पदानुक्रम में व्यवस्थित करती है और जातियों को उच्च जाति, मध्य जाति और निम्न जाति के रूप में परिभाषित करती है. इसी क्रम में जानिए कि क्या राजभर एक नीची जाति के हैं?

 राजभर एक नीची जाति के हैं?

सामाजिक पदानुक्रम में राजभर जाति की स्थिति के बारे में जानने से पहले सामाजिक गतिशीलता की अवधारणा, वर्ण व्यवस्था की मूल अवधारणा को समझना महत्वपूर्ण है. साथ ही हमें राजभर समाज की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान परिस्थितियों को भी देखना होगा. हिंदू वर्ण व्यवस्था के अनुसार, ब्राह्मण सामाजिक पदानुक्रम के शीर्ष पर हैं, जबकि शूद्र सबसे नीचे हैं. सामाजिक पदानुक्रम में एक सामाजिक समूह की स्थिति हमेशा समान नहीं होती है. सामाजिक गतिशीलता के कारण, एक समूह समय के साथ सामाजिक पदानुक्रम में नीचे या ऊपर जा सकता है. समुदाय की उत्पत्ति पर नजर डालें तो कई ऐतिहासिक तथ्य सामने आते हैं. हालांकि महाराज सुहेलदेव किस जाति के थे, इसकी प्रमाणिक और पुख्ता जानकारी इतिहासकारों के पास नहीं है. लेकिन कुछ लोग राजा सुहेलदेव को राजभर जाति का बताते हैं. एक अन्य मत के अनुसार, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में इस समुदाय के लोग भारद्वाज नाम के एक प्रारंभिक क्षत्रिय राजा के वंशज होने का दावा करते हैं. इस बात का उल्लेख ब्रिटिश प्राच्यविद विलियम क्रुक्स (6 अगस्त 1848 – 25 अक्टूबर 1923) ने अपनी किताब “The Tribes and Castes of the North-western Provinces and Oudh, Volume 2” में किया है.
ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि राजभर जाति कभी अवध के पूर्वी भाग और उत्तर-पश्चिमी प्रांतों (आगरा के आसपास का क्षेत्र) में एक प्रभावशाली शासक जाति थी. इन ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि इस समुदाय की वर्तमान स्थिति चाहे जो भी हो लेकिन अतीत में यह जाति सामाजिक पदानुक्रम में निम्न जाति नहीं थी. राजभर समाज की वर्तमान स्थिति पर गौर करें कभी शासक रहा यह समुदाय सामाजिक गतिशीलता की दृष्टि से ऊर्ध्वगामी नहीं रह पाया. समय के साथ इसकी सामाजिक स्थिति में गिरावट आई और वर्तमान में यह समाज सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार है. यही कारण है कि कई राज्यों में राजभर जाति को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है.ओबीसी श्रेणी में मध्यम जातियां जैसे यादव, कुर्मी आदि शामिल हैं. इसलिए राजभर समुदाय को वर्तमान स्थिति के आधार पर निम्न जाति नहीं बल्कि सामाजिक पैमाने पर मध्यम जाति कहा जा सकता है.


References:
•National Commission for Backward Classes

•The Tribes and Castes of the North-western Provinces and Oudh
Volume 2
By William Crooke · 1896

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