Ranjeet Bhartiya 05/06/2023
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Last Updated on 05/06/2023 by Sarvan Kumar

भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आत्मा सनातन हिन्दू धर्म में निवास करती है. सनातन धर्म के ग्रंथों में चार वर्णों का उल्लेख मिलता है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र. ब्राह्मणों का उल्लेख वेदों, पुराणों और प्राचीन महाकाव्यों जैसे रामायण, महाभारत आदि में मिलता है. इससे स्पष्ट है कि ब्राह्मण हजारों वर्षों से भारत में रह रहे हैं. लेकिन ब्राह्मणों की प्राचीन भौगोलिक उत्पत्ति लंबे समय से विवादास्पद रही है. कई लोगों का मानना ​​है कि ब्राह्मण भारत के मूल निवासी नहीं हैं और उनका डीएनए भी अलग है. आइए इसी क्रम में जानते हैं कि क्या ब्राह्मणों का डीएनए अलग होता है?

क्या ब्राह्मणों का डीएनए अलग होता है?

सबसे पहले यहां यह बता देना जरूरी है कि केवल गैर-ब्राह्मण ही नहीं बल्कि कई ब्राह्मण भी दावा करते हैं कि ब्राह्मणों का डीएनए अलग होता है. साल 2022 में गुजरात विधानसभा तत्कालीन अध्यक्ष और बीजेपी नेता राजेंद्र त्रिवेदी के एक बयान ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. इस बयान में, त्रिवेदी ने ब्राह्मणों को एक अलग डीएनए वाले समुदाय के रूप में वर्णित किया था. उन्होंने कहा था कि ब्राह्मणों को सभी को आशीर्वाद देने और पूरी दुनिया के कल्याण के लिए प्रार्थना करने का जन्मसिद्ध अधिकार है. बामसेफ जैसे संगठनों के लोगों का भी कहना है कि डीएनए के मुताबिक ब्राह्मण विदेशी हैं और यूरेशिया के मूल निवासी हैं. ब्राह्मणों का डीएनए वाकई अलग है या ये बातें खोखली हैं, इसके लिए हमें वैज्ञानिक तथ्यों का सहारा लेना होगा. विज्ञान ने काफी प्रगति की है और अब डीएनए परीक्षण के आधार पर व्यक्तियों और समुदायों के आनुवंशिक इतिहास का पता लगाया जा सकता है.

ब्राह्मणों के डीएनए परीक्षण से निम्नलिखित बातों का पता चला है-

•वैज्ञानिकों ने Y- क्रोमोसोम डीएनए का अध्ययन किया. Y-क्रोमोसोम डीएनए विश्लेषण से ब्राह्मण आबादी में कई अलग-अलग प्राचीन भौगोलिक उत्पत्ति का पता चला. परिणामों से पता चला कि ब्राह्मणों में कई विदेशी आबादी के साथ आनुवंशिक समानताएं हैं और यह समुदाय कई घरेलू गैर-ब्राह्मण समूहों के साथ अपनी आनुवंशिक विरासत को साझा करता है. वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में इस बात की पुष्टि कि हुई कि ब्राह्मण समुदाय के पूर्वजों की उत्पत्ति विश्व के कम से कम 12 विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों से हुई थी. अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि डेटासेट में लगभग 83% ब्राह्मण चार प्रमुख हापलोग्रुप से संबंधित थे, जिनमें से दो मध्य एशिया से निकले, एक मध्य-पूर्व के फर्टाइल क्रीसेंट से, और एक स्वदेशी भारतीय मूल का था.

•यूटा विश्वविद्यालय (University of Utah) के मानव आनुवंशिकीविद् माइकल बामशाद (Michael Bamshad) के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के अठारह वैज्ञानिकों ने यूरोपीय और पूर्वी एशियाई लोगों के साथ विभिन्न जातियों के भारतीयों के आनुवंशिक हस्ताक्षरों (genetic signatures) की तुलना की. जेनेटिक मार्करों का उपयोग करते हुए, उन्होंने Y-गुणसूत्र (Y-chromosome) के माध्यम से भारतीयों के पैतृक वंश का पता लगाया. माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए  (mitochondrial DNA) के माध्यम से मातृ वंश का पता लगाया गया. जेनोम रिसर्च नामक एक अमेरिकी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के परिणाम का निष्कर्ष है कि उच्च-जातियां आनुवंशिक रूप से यूरोपीय लोगों के करीब हैं और निम्न-जातियां एशियाई लोगों के करीब हैं.


References:

•Y-DNA genetic evidence reveals several different ancient origins in the Brahmin population

David G Mahal. Mol Genet Genomics. 2021 Jan.

•https://www.indiatoday.in/magazine/science-and-technology/story/20010730-controversial-study-says-upper-caste-indians-are-of-european-descent-lower-castes-of-asians-773932-2001-07-29

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