Sarvan Kumar 24/04/2018
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Last Updated on 12/04/2020 by Sarvan Kumar

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) का नेविगेशन सैटेलाइट (नौवहन उपग्रह) गुरुवार (12 अप्रैल,2018) को सुबह 4 बजकर 4 मिनट पर पीएसएलवी-सी 41 के जरिए श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया, जो सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित भी हो गया. आईआरएनएसएस-1आई सात नेविगेशन सैटेलाइट में से पहले आईआरएनएसएस-1ए की जगह लेगा. करीब 2420 करोड़ की लागत से बने नेविगेशन सैटेलाइट की मदद से नक्शा बनाने में मदद मिलेगी और इस लिहाज से यह सेना के लिए भी बेहद कारगर साबित होगी. इतना ही नहीं  समुद्री रास्ते और मौसम के बारे में भी यह उपग्रह सटीक जानकारी मुहैया कराएगी. आइए जानते हैं भारत द्वारा छोड़े गए उपग्रह और इसरो की बड़ी उपलब्धियां.

इसरो की बड़ी उपलब्धियां

1962:

▪परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये एक राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया
▪त्रिवेन्द्रम के नजदीक थुम्बा में राकेट प्रक्षेपण स्थल के विकास की दिशा में पहला प्रयास प्रारंभ किया गया.

1963

▪थुंबा से (21 नवंबर, 1963) को पहले राकेट का प्रक्षेपण किया गया.

1965

▪थुंबा में अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी केन्द्र की स्थापना की गई

1967

▪अहमदाबाद में उपग्रह संचार प्रणाली केन्द्र की स्थापना की गई.

1972

▪अंतरिक्ष आयोग एवं अंतरिक्ष विभाग की स्थापना की गई.

1975

▪पहले भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट का (April 19, 1975) को प्रक्षेपण किया गया.

1976

▪उपग्रह के माध्यम से पहली बार शिक्षा देने के लिये प्रायोगिक प्रयास किया गया.

1979

▪एक प्रायोगिक उपग्रह भास्कर – १ का प्रक्षेपण किया गया.

1980

▪एस एल वी-3 की सहायता से रोहिणी उपग्रह का सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया.

1981

▪’एप्पल’ नामक भूवैज्ञानिक संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया
▪नवंबर में भास्कर – 2 का प्रक्षेपण किया गया.

1982

▪इन्सैट-1A का अप्रैल में प्रक्षेपण किया गया.

1983

▪एस एल वी-3 का दूसरा प्रक्षेपण किया गया.
▪आर एस – डी2 की कक्षा में स्थापित किया गया.
▪इन्सैट-1B का प्रक्षेपण किया गया.

1984

▪भारत और सोवियत संघ द्वारा संयुक्त अंतरिक्ष अभियान में राकेश शर्मा पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने.

1987

▪ए एस एल वी का SROSS-1 उपग्रह के साथ प्रक्षेपण किया गया.

1988

▪भारत का पहला दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस-1A का प्रक्षेपण किया गया.
▪इन्सैट-1C का जुलाई में प्रक्षेपण किया गया.

1990

▪इन्सैट-1D का सफल प्रक्षेपण किया गया.

1991

▪अगस्त में दूसरा दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस एस-1B का प्रक्षेपण किया गया.

1992

▪पूरी तरह स्वेदेशी तकनीक से बने उपग्रह इन्सैट-2A का सफल प्रक्षेपण किया गया.

1993

▪इन्सैट-2B का जुलाईमहीने में सफल प्रक्षेपण किया गया.

1994

▪मई महीने में एस एस एल वी का चौथा सफल प्रक्षेपण किया गया.

1995

▪दिसंबर महीने में इन्सैट-2C का प्रक्षेपण किया गया.

1996

▪तीसरे भारतीय दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस एस-P3 का पी एस एल वी की सहायता से मार्च महीने में सफल प्रक्षेपण किया गया.

1997

▪सितंबर महीने में पी एस एल वी की सहायता से भारतीय दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस एस-1D का सफल प्रक्षेपण किया गया.

1999

▪इन्सैट-2E इन्सैट-2 क्रम के आखिरी उपग्रह का फ्रांस से सफल प्रक्षेपण किया गया.
▪भारतीय दूर संवेदी उपग्रह  IRS-P4  श्रीहरिकोटा परिक्षण केन्द्र से सफल प्रक्षेपण किया गया.
▪पहली बार भारत से विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण : दक्षिण कोरिया के किटसैट-3 और जर्मनी के डी सी आर-टूबसैट का सफल परीक्षण किया गया.

2000

▪इन्सैट-3B का २२ मार्च, 2000 को सफल प्रक्षेपण किया गया.

2002

▪जनवरी महीने में इन्सैट-3C का सफल प्रक्षेपण किया गया.
▪पी एस एल वी-C4 द्वारा कल्पना-1 का सितंबर में सफल प्रक्षेपण किया गया.

2004

▪जी एस एल वी एड्यूसैट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया.

2008

अक्टूबर को चन्द्रयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया.

2013

▪5 नवम्बर को मंगलयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया.

2014

▪24 सितम्बर को मंगलयान मंगल की कक्षा में स्थापित हुआ.

2015

▪29 सितंबर को खगोलीय शोध को समर्पित भारत की पहली वेधशाला एस्ट्रोसैट का सफल प्रक्षेपण किया गया.

2016

22 जून  को पीएसएलवी सी-34 के माध्यम से रिकॉर्ड 20 उपग्रह एक साथ छोड़े गए.

2017

▪15 फरवरी 2017 – एक साथ 104 उपग्रह प्रक्षेपित करके विश्व कीर्तिमान बनाया.

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