
Last Updated on 10/05/2022 by Sarvan Kumar
विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) के एक रिपोर्ट “Health Workforce in India” के मुताबिक, साल 2001 में भारत में 31% फर्जी डॉक्टर माध्यमिक स्तर (secondary level) तक शिक्षित थे, जबकि 57% के पास उचित योग्यता (proper qualifications) नहीं थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हर एक लाख लोगों पर 80 डॉक्टर हैं. लेकिन जब एलोपैथिक, होम्योपैथिक, यूनानी और आयुर्वेद के बिना डिग्री वाले डॉक्टरों को बाहर कर दिया जाता है तो यह संख्या घटकर 36 रह जाती है. यानी कि भारत में हर 80 में से 44 डॉक्टर फर्जी हैं. इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास लोगों के इलाज के लिए वैध डिग्री नहीं है. लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण भारत में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या बढ़ रही है. यह झोलाछाप डॉक्टर लोगों का गलत इलाज करते जाते हैं, जिसके कारण कई बार मरीजों की जान तक चली जाती है. आइए जानते है, झोलाछाप डॉक्टर की शिकायत कहां करें?
झोलाछाप डॉक्टर की शिकायत कहां करें
ज्यादातर मामलों में लोगों को पता नहीं होता कि इन फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कहां और कैसे शिकायत करें. जब इनके खिलाफ FIR दर्ज होती है तो पुलिस का काम उस क्लीनिक या प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर का सत्यापन करना होता है. लेकिन जब तक पुलिस को मेडिकल काउंसिल से कोई शिकायत प्राप्त होती है, तब तक या तो वह किलनिक बंद हो जाती है या आरोपी डॉक्टर अपना ठिकाना बदल लेता है. इस तरह से फर्जी डॉक्टरों की समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाता. कई बार मेडिकल काउंसिल ने झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने की योजना भी बनाई. लेकिन प्रशासनिक कठिनाइयों, सरकार की उदासीनता और राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के कारण इसे क्रियान्वित नहीं किया जा सका.
कौन होते हैं झोलाछाप डॉक्टर?
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने झोलाछाप डॉक्टर/ नीमहकीम (Quack) को परिभाषित करते हुए कहा है कि “एक व्यक्ति जिसे चिकित्सा की एक विशेष प्रणाली का ज्ञान नहीं है, लेकिन उस प्रणाली में अभ्यास करता है, वह एक नीमहकीम या झोलाछाप डॉक्टर है और केवल चिकित्सा ज्ञान का ढोंग करता है”. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में स्पष्ट कहा है कि आयुर्वेदिक, यूनानी या होम्योपैथिक चिकित्सा में योग्यता रखने वाला डॉक्टर एलोपैथिक उपचार नहीं कर सकता. वह ऐसा करता है तो वह इसके लिए उत्तरदायी होगा. इन झोलाछाप डॉक्टरों को तीन बुनियादी श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
(1). बिना किसी योग्यता के झोलाछाप.
(2). भारतीय चिकित्सा (आयुर्वेदिक, सिद्ध, तिब्ब, यूनानी), होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा के चिकित्सक, जिन्हें आमतौर पर आयुष कहा जाता है, जो आधुनिक चिकित्सा (एलोपैथी) का अभ्यास करने के लिए योग्य नहीं हैं, लेकिन आधुनिक चिकित्सा का अभ्यास कर रहे हैं.
(3). तथाकथित एकीकृत चिकित्सा, चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणाली (integrated Medicine, Alternative System of Medicine), इलेक्ट्रो-होम्योपैथी, इंडो-एलोपैथी आदि शब्दों के चिकित्सक जो किसी भी अधिनियम में मौजूद नहीं हैं.
झोलाछाप डॉक्टर की शिकायत कहां करें?
फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत करने के लिए आपके पास निम्नलिखित विकल्प उपलब्ध हैं-
(1). यदि वह व्यक्ति medical council के अधीन पंजीकृत चिकित्सक नहीं है तो आप स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हैं और आपराधिक कार्यवाही शुरू करते हैं.
(2). यदि डॉक्टर किसी ऐसे अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहा है, जहां आपने उसका इलाज किया था, तो आप Clinical Establishment Act या Consumer Forum under Consumer Protection Act या स्टेट हेल्थ डिपार्टमेंट या स्टेट मेडिकल काउंसिल के तहत कंज्यूमर फोरम में जा सकते हैं.
(3). आप Medical Council of India (MCI), State Medical Council या स्वास्थ्य प्राधिकरण स्वास्थ्य मंत्रालय (Health authorities health ministry) से शिकायत कर सकते हैं. यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि मेडिकल काउंसिल आपकी ज्यादा मदद नहीं करेगी अगर उक्त चिकित्सक उक्त परिषद के अंतर्गत पंजीकृत नहीं है.
कार्रवाई कैसे की जाती है?
आधिकारिक प्रक्रिया के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मेडिकल काउंसिल में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करता है, तो संबंधित मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (Chief District Medical Officer, CDMO) को घटनास्थल का दौरा करने के लिए भेजा जाता है. वह फिर District Medical Council (DMC) को रिपोर्ट भेजते हैं कि संबंधित व्यक्ति एलोपैथिक डॉक्टर है या नहीं. और यदि वह एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में, DMC तब कारण बताओ नोटिस जारी करती है, जिसके बाद DMC मामले की जांच करती है और यदि जांच के दौरान झोलाछाप डॉक्टर विफल हो जाता है, तो Medical Council उसे क्लिनिक बंद करने के लिए कहती है. इसके बाद यह अनुपालन रिपोर्ट CDMO, पुलिस उपायुक्त, थाना प्रभारी और स्वास्थ्य सचिव को भेजा जाता है. यदि practice करने वाला डॉक्टर दोषी पाया जाता है, तो मेडिकल काउंसिल पुलिस में शिकायत दर्ज करती है. पुलिस आगे FIR दर्ज करती है, जिसके बाद मामले को कोर्ट में ले जाया जाता है और कानून के प्रावधानों के तहत खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

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