
Last Updated on 14/12/2021 by Sarvan Kumar
किसान (Kisan) भारत में पाया जाने वाला एक आदिवासी समूह है. इनकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन, जंगलों और शिकार पर आधारित है. इनके आर्थिक जीवन में जंगलों की महत्वपूर्ण भूमिका है. यह जंगलों से लकड़ी, शहद, कंदमूल, औषधीय वनस्पति आदि को इकट्ठा करके स्थानीय बाजारों में बेचते हैं. यह पशुपालन का भी कार्य करते हैं और गाय, बैल, भैंस, मुर्गी, बत्तख आदि पालते हैं. इनमें से कुछ छोटे घरेलू उद्योगों को भी चलाते हैं, तो कुछ श्रमिक के रूप में भी काम करते हैं. आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत इन्हें उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और झारखंड राज्य में अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe, ST) वर्ग में शामिल किया गया है. यह मुख्य रूप से उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और झारखंड में पाए जाते हैं. यह जनजाति मुख्य रूप से उत्तर पश्चिमी उड़ीसा में सुंदरगढ़, झारसुगुडा और संबलपुर जिलों में निवास करती है. पश्चिम बंगाल में यह मुख्य रूप से मालदा जिले में पाए जाते हैं. झारखंड में मुख्य रूप से पश्चिमी झारखंड के लातेहार और गुमला जिलों में पाए जाते हैं. यह किसान (कुरुख की एक बोली), उड़िया, बंगाली, संबलपुरी और हिंदी भाषा बोलते हैं.आइए जानते हैं किसान जनजाति का इतिहास, किसान शब्द की उत्पत्ति की कैसै हुई?
किसान जनजाति धर्म
यह हिंदू धर्म, आदिवासी धर्म और जीववाद या प्रकृतिवाद मानते हैं. यह सिंगबोंगा को सर्वशक्तिमान देवता मानते हैं. इसके अलावा यह धरती माता, शिव, पार्वती, दरहा देवता आदि की पूजा करते हैं.
किसान समाज संस्कृति और जीवन शैली
इस जनजाति में विवाह बातचीत (arranged marriage), कब्जा, प्रेम विवाह, घुसपैठ, गोद लेने और विनिमय (exchange) के द्वारा होती है. आमतौर पर इनमें शादी बातचीत द्वारा होती है, जिसे बेंजा कहा जाता है. आमतौर पर इस समाज में एकल विवाह (एकपत्नीत्व) का चलन है, लेकिन इनमें द्विविवाह को भी स्वीकार किया जाता है. एक वंश (जो एक रक्त रेखा साझा करते हैं) के भीतर विवाह वर्जित है. व्यभिचार, क्रूरता या नपुंसकता के मामलों में तलाक की अनुमति दी जाती है. विधवाओं, विधुरों और तलाकशुदा लोगों के बीच पुनर्विवाह की भी अनुमति है. एक विधवा अपने पति के छोटे भाई (देवर) से शादी कर सकती है. इसी तरह से एक विधुर अपने छोटे भाई की पत्नी से विवाह कर सकता है.
किसान जनजाति की उत्पत्ति
इनकी उत्पत्ति के बारे में अनेक मान्यताएं हैं. एक मान्यता के अनुसार इनकी उत्पत्ति नागवंश हुई है. नगेशिया इनका बिगड़ा हुआ रूप है. त्रेता युग में चार वंशो का उल्लेख मिलता है, जिसमें सूर्यवंशी और चंद्रवंशी प्रमुख हैं. चंद्रवंशी राजा मान्धाता झारखंड की एक अनुसूचित जनजाति है. इनका असली नाम किसान नहीं है. इनका मूल नाम “नागेशिया” है और यह खुद को यह खुद को “नगेशिया किसान” कहते हैं. शुरुआत में यह कृषि कार्य करते थे. कृषि कार्य में मेहनती होने के कारण राजा लक्ष्मण सिंह ने इन्हें “किसान” का नाम दिया. इसीलिए कालांतर में इनकी पहचान “किसान” के रूप में बनी.

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