
Last Updated on 06/03/2023 by Sarvan Kumar
कोली (Koli) भारत में पाया जाने वाला एक जातीय समूह है. गुजरात में यह एक जमींदार जाति है, जिनका प्रमुख कार्य कृषि है. पढ़े-लिखे कोली सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र में नौकरियां करते हैं. महाराष्ट्र में इन्हें एक पुराना क्षत्रिय जाति माना जाता है. यह जाति अपनी बहादुरी और निडरता के लिए जाने जाती है. यह स्वभाव से विद्रोही प्रवृत्ति के होते हैं. राजा महाराजा अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए कोली जाति के सैनिकों के तौर पर रखते थे. प्रथम विश्व युद्ध में इन्होंने भाग लिया था और वीरता का परिचय दिया था, इसीलिए अंग्रेजी हुकूमत द्वारा इन्हें एक योद्धा जाति का दर्जा दिया गया था. कोली समाज की कुलदेवी का नाम “मुम्बा देवी” है. आइए जानते हैं, कोली जाति का इतिहास ,कोली शब्द की उत्पति कैसे हुई?
कोली समाज का इतिहास
पुरातन काल में भारत में रहने वाले लोग अपने शरीर पर जो कपड़ा पहनते थे, उसे बुनने का काम हिंदू जुलाहा और कोरी जाति के लोग करते थे, जिन्हें कबीरपंथी समाज भी कहा गया है. महान संत कबीरदास का एक दोहा है-
ज्यों कोरी रोजा बुनै, नीरा आवै छोर ।
ऐसी लिखा मीच का, दौरि सकै तो दौर ।।
इस दोहे में कोरी समाज का उल्लेख किया गया है और इसका अर्थ है जिस प्रकार कोरी धागे की चरखा चलाकर एक एक सूत पिरो कर कपडा बुनता है ……इत्यादि.
कबीरदास का जन्म 1398 में हुआ था इससे पता चलता है कि कम से कम 500 सालों से इस समाज का अस्तित्व रहा है और इनका काम कपड़ा बुनने का रहा है.
सूर्यवंशी राजा मांधाता से उत्पति
कोरी समाज के लोग अपने उत्पत्ति इससे कहीं ज्यादा पुराना बताते हैं. ये अपनी उत्पत्ति सूर्यवंशी राजा मांधाता से मानते हैं. राजा मांधाता इक्ष्वाकु वंशी राजा थे, जो अयोध्या पर राज करते थे. इसी इक्ष्वाकु वंश में आगे चलकर भगवान राम ने जन्म लिया था. भगवान राम का जन्म लगभग 5000 साल पुरानी मानी जाती है और राजा मांधाता इनसे कई पीढ़ी पहले आए थे इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कोली समाज का इतिहास कितना पुराना है. राजा मांधाता परम प्रतापी राजा थे उनके समान धरती पर और कोई दूसरा राजा नहीं था उन्होंने महा शक्तिशाली रावण को भी हरा दिया था. कोली समाज के लोग राजा मांधाता को अपना इष्टदेव मानते हैं.
कोली शब्द की उत्पत्ति
भगवान गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था. उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं संभवत: कोली शब्द की उत्पत्ति इसी कोलीय वंश से हुई है.
कोली किस कैटेगरी में आते हैं?
भारत सरकार की आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत इन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है. दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इन्हें अनुसूचित जाति (scheduled caste) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. गुजरात, महाराष्ट्र और उड़ीसा में इन्हें अनुसूचित जनजाति (scheduled tribe) में शामिल किया गया है. मुख्य रूप से यह गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा और जम्मू कश्मीर राज्यों में पाए जाते हैं. यह मुख्य रूप से हिंदू धर्म को मानते हैं.
कोली की उपजातियां

कोली जाति अनेक उप जातियों में विभाजित है, जिनमें प्रमुख हैं-ठाकोर, महादेव, चुवालिया, पटेल, कोतवाल बारिया, खांट, घेडिया, धराला, सोन, तलपड़ा, पाटनवाढीया, महावर, माहौर, टोकरे और सुच्चा. इनके प्रमुख गोत्र हैं-आंग्रे, वनकपाल, चिहवे, थोरात, शांडिल्य, कश्यप और जालिया.यह हिंदी, गुजराती, कन्नड़ और मराठी भाषा बोलते हैं.
मुगलों और अंग्रेजों ने भी लोहा माना
कोली ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण जाति है. इस जाति ने कई विद्रोहो और लड़ाईयों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. जब गुजरात पर मुगलों का शासन हुआ तो उन्हें सबसे पहले कोली के कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा. गुजरात के कोली मुगलों के खिलाफ थे. उन्होंने मुगलों के खिलाफ हथियार उठा लिया और मुगलों को नाक में दम कर दिया था. मुगल बादशाह औरंगजेब को भी गुजरात पर शासन करने के दौरान कोली के कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा. 1830 में कोली जागीरदारों ने अंग्रेजो के खिलाफ हथियार उठा लिया और कई वर्षों तक कड़ी टक्कर देते रहे. कोली जागीरदारों के विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा. 1857 में भी कोली जाति के जागीरदारों ने अंग्रेजो के खिलाफ भयंकर विद्रोह किया था.
कोली समाज की वर्तमान स्थिति
कोली, जिसे कोरी भी कहा जाता है, भारत के मध्य और पश्चिमी पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले कई उपसमूहों वाली जाति है, कोली का सबसे बड़ा समूह महाराष्ट्र राज्य में रहता है, खासकर मुंबई और गुजरात राज्य में. ब्रिटिश राज्य से लेकर आज तक कोली समाज अलग- अलग राज्यों में रहकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं. कुछ राज्यों में कोली समाज जुलाहे का कार्य करते हैं तो कुछ राज्यों में उनके द्वारा और भी कई कार्य किए जाते हैं.
कोली समाज के प्रमुख व्यक्ति
रामनाथ कोविन्द (जन्म-1 अक्टूबर 1945): रामनाथ कोविन्द एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने भारत गणराज्य के 14वें राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी।
कान्होजी आंग्रे (1669-4 जुलाई 1729): मराठा साम्राज्य की नौसेना के प्रथम सेनानायक.
झलकारी बाई (22 नवंबर 1830-4 अप्रैल 1857):
स्वतंत्रता सेनानी, रानी लक्ष्मीबाई की हमशक्ल और रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति.
तानाजी मालूसरे (मृत्यु- 4 फरवरी 1670): छत्रपति शिवाजी महाराज के मराठा सेना में सूबेदार सरदार, सिंहगढ के युद्ध में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध.
महाराजा यशवंतराव मार्तंडराव मुकने उर्फ महाराजा पतंगसाह मुकने (11 दिसंबर 1917 – 4 जून 1978): भारत के महाराष्ट्र के पालघर ज़िले में स्थित जव्हार (Jawhar) रियासत के अंतिम कोली महाराजा और राजनेता.
राजेश चुडासमा (जन्म-10 अप्रैल 1982): गुजरात के जूनागढ़-गिर सोमनाथ लोकसभा सीट से सांसद.
देवजीभाई गोविंदभाई फतेपारा (जन्म- 20 नवंबर 1958): गुजरात के सुरेंद्रनगर लोकसभा सीट से सांसद.
भारती शियाल (जन्म-1 सितंबर 2014): गुजरात के भावनगर लोकसभा सीट से सांसद.
भानु प्रताप सिंह वर्मा (जन्म-15 जुलाई 1957): उत्तर प्रदेश के के जालौन लोकसभा सीट से सांसद, भारत सरकार में लघु, कुटीर और मध्यम उपक्रम राज्यमंत्री.
प्राजक्ता कोली (जन्म- 27 जून 1993): प्रसिद्ध यूट्यूबर और और ब्लॉगर.

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