
Last Updated on 25/11/2021 by Sarvan Kumar
मुंडा (Munda) भारत पाई जाने वाली एक प्रमुख जनजाति है. यह भारत की सबसे बड़ी अनुसूचित जनजातियों में से एक हैं. त्रिपुरा में इन्हें मुरा और मध्य प्रदेश में मुदास के नाम से जाना जाता है. जीविका के लिए यह कृषि, शिकार, मछली पालन, पशुपालन और वन संसाधनों पर निर्भर है. यह अकुशल मजदूरों के रूप में भी काम करते हैं. वर्तमान में यह सरकारी नौकरियों (भारतीय रेलवे , आदि ) और निजी क्षेत्रों में जाने लगे हैं. आइए जानते हैं, मुंडा जनजाति का इतिहास, मुंडा शब्द की उत्पति कैसे हुई?
मुंडा कैटेगरी में आते हैं?
आरक्षण के अंतर्गत इन्हें अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe, ST) के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
मुंडा जनजाति की जनसंख्या , कहां पाए जाते हैं?
मुंडा मुख्य रूप से पूर्वी भारत के उत्तरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं. यह मुख्यत: झारखंड के छोटा नागपुर क्षेत्र में पाए जाते हैं. झारखंड के अलावा यह बिहार, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा आदि राज्यों में भी निवास करते हैं. यह छत्तीसगढ़ के आसपास के क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं. मध्यप्रदेश और त्रिपुरा में भी इनकी थोड़ी बहुत आबादी है. भारत के अलावा यह बांग्लादेश के रंगपुर डिवीजन में भी पाए जाते हैं.
मुंडा जनजाति धर्म, प्रमुख त्यौहार, भाषा
मुंडा मुख्य रूप से सरना धर्म का अनुसरण करते हैं. यह
कई देवताओं में विश्वास करते हैं, जैसे- सिंगबोंगा,
हसू बोंगा, काओ ,देसुली, जाहर बुरी, चंडी बोंगा, आदि. उनके सर्वोच्च भगवान को सिंगबोंगा कहा जाता है.यह प्रकृति की पूजा करते हैं. कुछ मुंडा हिंदू धर्म को भी मानते हैं.
प्रमुख त्यौहार
हिंदी के प्रमुख त्यौहार हैं- सरहुल, करम, सोहराई, मांगे और फागू.
भाषा
मुंडा एक एस्ट्रो एशियाटिक भाषी जातीय समूह है.
यह मुख्य रूप से मुंडारी भाषा बोलते हैं, जो एस्ट्रो एशियाटिक परिवार की एक प्रमुख भाषा है. यह हिंदी, सादरी और अन्य स्थानीय बोलियां भी बोलते हैं.
मुंडा शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
रॉबर्ट पार्किन के अनुसार, “मुंडा” शब्द का ऑस्ट्रोएशियाटिक शब्दावली से संबंधित नहीं है और यह शब्द संस्कृत मूल का है. आर आर प्रसाद के अनुसार, “मुंडा” नाम एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है “प्रधान”. यह हिंदुओं द्वारा दिया गया एक सम्मानित नाम है, जो एक आदिवासी नाम बन गया.

मुंडा जनजाति का इतिहास
मुंडा जनजाति के इतिहास के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है. यह छोटानागपुर क्षेत्र में कैसे आए, यह भी एक विवादित विषय है. इस बात पर एक आम सहमति है कि आधुनिक मुंडा भाषाओं को बोलने वाले लोगों के पूर्वजों ने दक्षिण-पूर्व एशिया के एस्ट्रो एशियाटिक मातृभूमि से पश्चिम की ओर पलायन किया था. भाषाविद पॉल सिडवेल (2018) के अनुसार,
प्रोटो-मुण्डा भाषा ऑस्ट्रोएशियाटिक से अलग हो गई
और दक्षिणी चीन और दक्षिण पूर्व एशिया से लगभग 4000-3500 साल पहले उड़ीसा के तट पर आई थीं. मुंडा दक्षिण पूर्व एशिया से फैल गए, लेकिन स्थानीय भारतीय आबादी के साथ बड़े पैमाने पर मिश्रित हो गए.
मुंडा विद्रोह
1800 के दशक के अंत में, ब्रिटिश शासन के दौरान, मुंडाओं को लगान देने और जमींदारों को बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था. अंग्रेजों के इस न्याय और अत्याचार के खिलाफ विद्रोह किया गया, जिसे मुंडा विद्रोह के नाम से जाना जाता है. इस विद्रोह का नेतृत्व स्वतंत्रा सेनानी बिरसा मुंडा ने किया था. उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने और मुंडा राज की स्थापना के लिए गुरिल्ला युद्ध का नेतृत्व किया. बिरसा मुंडा आज भी झारखंड में पूजनीय हैं.
मुंडा जनजाति के प्रमुख व्यक्ति
बिरसा मुंडा: स्वतंत्रता सेनानी और धार्मिक नेता
जयपाल सिंह मुंडा: राजनेता और हॉकी खिलाड़ी
अर्जुन मुंडा: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री
रामदयाल मुंडा: पदम श्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भाषाविद, शिक्षाविद, लेखक और कलाकार
करिया मुंडा: लोकसभा में सांसद
अमृत लुगुन: नौकरशाह, यमन में भारत के राजदूत
तुलसी मुंडा: प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता
दयामणि बरला: आदिवासी पत्रकार और कार्यकर्ता
अनुज लुगुन: और लेखक


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