
Last Updated on 29/08/2020 by Sarvan Kumar
पंडित दीनदयाल डेथ मिस्ट्री इंडिया के पोलिटिकल डेथ में एक बड़ी डेथ मिस्ट्री है . इतने बड़े लीडर की लाश लावारिस अवस्था में रेलवे ट्रैक के किनारे पायी जाती है और सरकार इसे रेलवे चोरी के दौरान हुई मौत बताती है ये लोगो के गले नहीं उतरती . भारतीय, जन संघ (आज की बीजेपी ) के प्रेजिडेंट चुने जाने के लगभग 2 महीने बाद उनकी इस तरह मौत हो जाएगी किसी ने सोचा भी न था.
क्या है इस क़त्ल के पीछे की कहानी
फ़रवरी 10, 1968,लखनऊ
सर्दी का मौसम
दीनदयाल अभी अपने मुँहबोली बहन लता खन्ना के घर पर होते हैं .संसद में बजट सत्र पास होने वाला था . भारतीय जन संघ की क्या रणनीति हो इसके लिए दिल्ली में एक मीटिंग होनी थी और इसी सिलसिले में पंडित जी को दिल्ली पहुंचना था.
दिल्ली जाने के बजाय पटना क्यों निकल गए दीनदयाल
दीनदयाल जी को एक फ़ोन आता है पटना से फ़ोन करने वाले थे बिहार के जनसंघ के लीडर अश्वनी कुमार .वे पंडित जी से पटना पार्टी कार्यकारणी बैठक में आने का अनुरोध करते हैं दीनदयाल उनका अनुरोध स्वीकार कर लेते हैं पठानकोट सियालदह एक्सप्रेस के प्रथम श्रेणी में उनके लिए टिकट बुक करायी जाती है. बॉगी नंबर थी A और टिकट न.थी 04348. शाम सात बजे ट्रैन लखनऊ पहुँचती है और दीनदयाल इसमें सवार हो जाते हैं.
उन्हें छोड़ने के लिए आये थे जनसंघ के नेता – राम प्रकाश गुप्त और पिताम्बर दास .कम्पार्टमेंट में पहले से बैठे थे M.P सिंह जो ज्योग्राफिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के अधिकारी थे और वे पटना जा रहे थे. लखनऊ में प्रथम श्रेणी के B कम्पार्टमेंट में एक और पैसेंजर चढ़े थे जिनका नाम था गौरी शंकर राय जो कांग्रेस के MLC थे और पार्टी के काम से पटना जा रहे थे .
11 दिसंबर 1968
जौनपुर
लगभग 12 बजे
यहीं पर आखिरी बार देखे गए थे दीनदयाल
जौनपुर के पूर्व महराज के सेवक कन्हैया से उनकी मुलाकात हुई थी. उसने पंडित जी को महाराज का एक खत सौंपा था . एक बजकर 40 मिनट में ट्रैन वाराणसी से निकलती है और काशी में 5 मिनट रुकने के बाद ये मुगलसराय लगभग 2.10 मिनट में पहुँचती है .2.50 मिनट में ट्रैन मुगलसराय से खुलती है.
पटना 11 दिसंबर 1968
समय लगभग 6 AM
बिहार के जनसंघ के लीडर कैलाशपति नाथ मिश्रा पंडित जी को लेने स्टेशन पहुँचते हैं.कैलाशपति नाथ जब बॉगी में पहुँचते हैं तो पंडित जी वहां नहीं मिलते उनको लगता है वे दिल्ली निकल गए हैं.
मुग़ल सराय स्टेशन
2.20 AM

प्लेटफार्म के अंत से 748 फ़ीट के दूरी पर बिजली के खम्भा न. 1278 से तीन फ़ीट के दूरी पर एक लाश देखी गयी लाश के देखने वाले थे रेलवे लाइन मैन ईश्वरी दयाल . उसने रेलवे के सहायक स्टेशन मास्टर को सूचित किया और वो भी वहां पहुंच गए . उन्होंने अपने कारवाई के रजिस्टर में लिखा “almost dead “. सहायक स्टेशन मास्टर ने रेलवे पुलिस को सूचित किया . दो सिपाही पहुंचे थे उनके नाम थे अब्दुल गफ्फूर और राम प्रसाद .थोड़ी देर बाद रेलवे में दरोगा फ़तेह बहादुर सिंह भी पहुँच गए .डॉक्टर को वहां बुलाया गया और उन्होंने उसे आधिकारिक रूप से मृत घोषित कर दिया . मृत्यु का टाइम लिखा गया 5.55 मिनट पर बाद में इसको काटकर 3.55 मिनट कर दिया गया.
क्या मिला था दीनदयाल जी के लाश से
जब लाश का पंचनामा लिखा गया तो शव से चार चीजें बरामद की गयी .एक प्रथम श्रेणी का टिकट ,आरक्षण की पावती और एक घड़ी जिस पर नाना देशमुख लिखा था और कुल 26 रुपये.
लाश को किसने शिनाख्त किया
रेलवे में काम करने वाले बनमाली भट्टाचार्य ने लाश की शिनाख्त करते हुए कहा ये तो दीनदयाल हैं. रेलवे की बाकि कर्मचारी इस बात को मानने की लिए नहीं तैयार थे .जन संघ की दूसरे नेताओं को बुलाया गया. उनके पहचानने क़े बाद यह पक्का हो गया की ये जन संघ क़े राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित दीनदयाल ही हैं. देश क़े बड़े लीडर की मौत हुई थी ऐसे में जाँच भी उच्च स्तरीय होनी थी.
खुलने लगा पंडित दीनदयाल डेथ मिस्ट्री क़े राज
सबसे पहले जाँच शुरू की रेलवे पुलिस ने
पूछताछ शुरू हुयी उनके साथी पैसेंजर M P Singh से, उनके बयान क़े अनुसार कोई अजनबी आदमी मुगलसराय स्टेशन पर केबिन में आता है और दीनदयाल का जैकेट , फाइल और बेडिंग लेकर चला जाता है. बाद में इस आदमी का पहचान लालता क़े रूप में की गयी. M.P singh क़े पूछने पर उसने कहा पिताजी को यहीं उतरना था इसीलिए सामान ले जा रहे हैं. लालता से जब इसके बारे में पूछा गया तो उसने कहा राम अवध ने उसे ऐसा करने क़े लिए कहा था. उसने पुलिस को बताया की वो ये सामान एक अनजान व्यक्ति को 40 रुपये में बेच दिया.
पंडित जी का जैकेट भरत नाम क़े सफाई कर्मचारी क़े पास से बरामद हुई. दीनदयाल जी क़े पास एक सूटकेस भी था जो बाद में बरामद कर ली गयी.
पंडित दीनदयाल डेथ मिस्ट्री की जाँच सीबीआई से शुरू हुयी
इतने बड़ी केस की जाँच रेलवे पुलिस पर नहीं छोड़ा गया. पूरी सच्चाई जानने क़े लिए केस को सीबीआई को सौंप दी गयी.
CBI ने एक चौकाने वाला बयान दर्ज किया और ये बयान दिया, रेलवे कंडक्टर ने उसने कहा कि केबिन में मेजर शर्मा चढे थे और उन्होंने कहा था जब गाड़ी बनारस पहुंचे तो हमें उठा देना. जब कंडक्टर केबिन में पहुंचा तो एक आदमी पंडित जी का शाल ओढ़े हुए मिला और उसने कहा मेजर शर्मा तो उतर गए हैं.
सीबीआई ने दो और बयान दर्ज किया. उसमे एक बयान था पटना स्टेशन क़े जमादार भोला का उसने कहा कि पटना स्टेशन पर उसे एक आदमी मिला और बोला फलाने सीट को अच्छे से साफ कर दो पर जिस आदमी ने ऐसा कहा वो केबिन में दुबारा नहीं आया. एक और बयान दर्ज किया गया मुग़लसराय क़े रेलवे यार्ड क़े Porter ने उसने कहा उसे किसी अनजान आदमी ने यार्ड में ट्रैन को आधे घण्टे एक्स्ट्रा रोकने क़े लिए 400 रूपए का प्रलोभन दिया था. सीबीआई ने दो हफ्ते में केस सुलझा लिया. सीबीआई ने दो लोग राम अवध और भरत लाल को अभियुक्त बना कर कोर्ट में पेश कर दिया.
क्या कहा कोर्ट ने
दीनदयाल क़े हत्या का मुकदमा बनारस क़े विशेष जिला एवं सत्र न्यायालय में चला. सीबीआई ने राम अवध और भरत क़े बयानो को आधार पर कोर्ट में कहा कि इन दोनों ने पंडित दीनदयाल का सामान लूटने की कोशिश की और विरोध करने पर उन्हें चलते ट्रैन से नीचे फ़ेंक दिया. कोर्ट ने सीबीआई की दलील को नहीं माना क्योंकि लालता और MP Singh क़े बयान क़े अनुसार दीनदयाल का सामान तब चुराया गया जब गाड़ी प्लेटफार्म पर थी यानि तब जब पंडित जी का क़त्ल हो चूका था.
पंडित दीनदयाल डेथ मिस्ट्री क़े एक और बड़ा राज
जब पंडित जी की लाश मिली थी तो उनके हाथ में पांच रूपए का भींचा हुआ नोट था .सीबीआई इसके बारे में कुछ कहने में असमर्थ रही.
9 जून 1969 को सेशन जज मुरीलधर ने अपना फैसला सुनाया.
कोर्ट ने कहा हत्या क़े मामले में किसी न्यायपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचना संभव नहीं है.
लिहाजा राम अवध और भरत लाल को हत्या क़े मुकदमे से बड़ी कर दिया गया. चोरी क़े आरोप में भरत लाल को चार साल की सजा सुनायी गयी. चोरी क़े आरोप में भरत लाल पहले भी जेल जा चूका था.
कोर्ट क़े फैसले से और CBI क़े जाँच से लोग संंतुष्ट नहीं हुए और दीनदयाल डेथ मिस्ट्री एक मिस्ट्री बन क़े ही रह गई.
70 सांसदों ने सरकार से सच्चाई को बाहर लाने की मांग की. सरकार ने दीनदयाल डेथ मिस्ट्री को सुलझाने का एक और प्रयास किया और बॉम्बे हाई कोर्ट क़े जज वि. वि चंद्रचूड़ की एक सदस्यीय कमीशन गठित किया.
जन संघ क़े एक और लीडर बलराज मधोक ने तो पार्टी क़े ही कुछ लीडर पर हत्या का आरोप लगाया जो कभी साबित नहीं हो सका.
पंडित दीनदयाल डेथ मिस्ट्री अभी भी अनसुलझी है. मोदी सरकार ने 2018 में एक बार फिर केस को सुलझाने का प्रयास शुरू किया है.

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