Last Updated on 20/12/2021 by Sarvan Kumar
मशहूर शायर और बॉलीवुड के जाने-माने गीतकार राहत इंदौरी का 70 वर्ष की आयु में इंदौर के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद सांस लेने में तकलीफ होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. श्री अरविंदो अस्पताल के डॉक्टर विनोद भंडारी ने जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार को उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा. एक बार तो उन्हें बचा लिया गया लेकिन दूसरी बार 2 घंटे बाद उन्हें फिर दिल का दौरा पड़ा. इस बार उन्हें बचाया नहीं जा सका. राहत इंदौरी को 60% निमोनिया भी था. बता दें राहत इंदौरी ने ट्विटर पर अपने आधिकारिक अकाउंट से मंगलवार को कोरोना संक्रमित होने की जानकारी दी थी. मंगलवार को ही इसी अकाउंट से उनकी मृत्यु की सूचना दी गई.
राहत इंदौरी की संक्षिप्त जीवन परिचय
राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था. उनका असली नाम राहत कुरेशी था. इंदौर के नूतन स्कूल से हायर सेकेंडरी पास करने के बाद उन्होंने इंदौर के ही इस्लामिया कारिमिया कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी से m.a. किया. राहत इंदौरी ने पिछले 40-45 सालों में मुशायरा और कवि सम्मेलनों में प्रस्तुति दी. उन्होंने भारत के लगभग सभी जिलों में काव्य संगोष्ठीयों और मुशायरा में भाग लिया. इतना ही नहीं उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, यूनाइटेड अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर, मॉरीशस, कुवैत, कतर, बहरीन, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में भी परफॉर्म किया.
राहत इंदौरी शब्दों के जादूगर थे. अपनी अदायगी से वह महफिल लूट लेते थे. मंचो पर उनका अंदाज हर किसी को दीवाना बना देता था. अपनी बेबाक और बेखौफ शायरी के लिए जाने जाने वाले इंदौरी साहब मोहब्बत और बगावत की शायरी के लिए युवा वर्ग के बीच भी जबरदस्त पॉपुलर थे. भले ही वह आज हमारे बीच नहीं रहे लेकिन अपनी शायरी, गजलो गीतों और नज्मों के माध्यम से वह सदा हमारे दिल में जिंदा रहेंगे. आज जब राहत इंदौरी साहब हमारे बीच नहीं रहे उन्हें याद करते हुए उनके कुछ अमर शेर पढ़िए:
राहत इंदौरी के शेर
1. राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें
रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो
2. हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
3. मुश्किल से हाथों में ख़ज़ाना पड़ता है,
पहले कुछ दिन आना-जाना पड़ता है
4. सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे,
चले चलो कि जहां तक ये आसमान रहे
5. अपने होने का हम इस तरह पता देते थे,
ख़ाक मुट्ठी मे उठाते थे, उड़ा देते थे
6. दिए बुझे हैं मगर दूर तक उजाला है,
ये आप आए हैं या दिन निकलने वाला है
7. तल्खियां भी लाज़मी हैं, ज़िन्दगी के वास्ते,
इतना मीठा बन के मत रहिये, शकर हो जाएगी
8. ए वतन इक रोज़ तेरी ख़ाक में खो जाएँगे,
सो जाएँगे
मरके भी रिश्ता नही टूटेगा हिन्दुस्तान से, ईमान से
9. कई दिन से नहीं डूबा ये सूरज, हथेली पर मेरी छाला पड़ा है,
ये साज़िश धूप की है या हवा की गुलों का रंग क्यूँ काला पड़ा है
10. सफ़र सफ़र तेरी यादों का नूर जाएगा,
हमारे साथ में सूरज ज़रूर जाएगा
11. मैं न जुगनू हूँ दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रौशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यूँ हैं
12. आप हिन्दू, मैं मुसलमान, ये ईसाई, वो सिख
यार छोड़ो, ये सियासत है….. चलो इश्क़ करें
13. तेरी परछाई मेरे घर से नहीं जाती है
तू कहीं हो मेरे अंदर से नहीं जाती है
14. बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
15. तुमको समझ ना आया मगर साफ़ साफ़ था,
जो कुछ किया है तुमने, तुम्हारे ख़िलाफ़ था
16. हों लाख ज़ुल्म मगर बद-दुआ नहीं देंगे
ज़मीन माँ है ज़मीं को दगा नहीं देंगे
हमें तो सिर्फ़ जगाना है सोने वालों को
जो दर खुला है वहाँ हम सदा नहीं देंगे
17. साथ ये भी ना कहीं छोड़ दे दुनिया की तरह
अपनी तन्हाई से अक्सर मुझे डर लगता है
18. फ़ैसला जो कुछ भी हो मंज़ूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क़ हो भरपूर होना चाहिए
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