Last Updated on 06/08/2020 by Sarvan Kumar
अगर आप इस लेख पर पहली बार आए हैं तो श्री राम जन्मभूमि का रक्तरंजित इतिहास का पहला भाग चार पुजारियों का सर काटा गया जरूर पढें।
बाबर मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाने में आसानी से सफल हुआ।
समस्त भारतीय जनता इस अन्याय से क्रुध थी और अपनी समस्त शक्तियों से जन्मभूमि की रक्षा के लिए कृतसंकल्प थी। हैमिल्टन बाराबंकी गजेटियर में यहाँ तक लिखता है कि जलालशाह ने हिन्दूओं के खून का गारा बनाकर उसकी ईंटे बनाइ और उसे मस्जिद बनाने के लिए दिया था।
हुमायूं के समय में अयोध्या के पास स्थित सराय, सिरसिण्डा और राजपुर के सूर्यवंशीय क्षत्रियों ने दस हजार की संख्या में एकत्रित होकर जन्मभूमि पर धावा बोल दिया। सारी छावनियाँ काट डाली, तंबू फूंक दिये गये और मस्जिद का ताला तोड़कर बर्बाद कर दिया। तीसरे दिन ही शाही हुक्म आ गई। सारे क्षत्रिय युद्ध करते मारे गये।उनके गांवो में आग लगा दी गई । मारे गये क्षत्रियों के वंशज शांत नहीं हुए। अकबर के राजकाल में उन्होंने फिर संगठित होकर हमला किया ।
शाही सेना सावधान थी, बड़ी भयंकर मार काट हुई। जब यह समाचार दिल्ली पहुंचा तो राजा बीरबल और टोडरमल ने अकबर को बहुत समझाया। हिन्दूओं ने अपनी भयंकर मार से शाही सेना के पांव उखाड़कर मस्जिद के सामने एक चबूतरा बना दिया। अकबर ने उसी पर भगवान को स्थापित करने की आज्ञा दे दी।
ये सारी जानकारी स्वo पंo श्री रामगोपाल पाण्डेय “शारद” की पुस्तक श्री राम जन्मभूमि का रक्तरंजित इतिहास से लिया गया है।इस पुस्तक के प्रकाशक हैं पं0 द्वारिका प्रसाद शिवगोविन्द पुस्तकालय, कोतवाली के सामने, श्री अयोध्या जी।