Last Updated on 25/03/2020 by Sarvan Kumar
प्रधानमंत्री द्वारा 21 दिन के देशव्यापी लॉक डाउन की घोषणा के बाद देश की जनता के मन में अनेकों प्रश्न और चिंताएं हैं. देश में अफरा-तफरी नहीं फैले और सारे आशंकाओं को दूर किया जा सके इसके लिए प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बार फिर जनता से बात की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने सांसद क्षेत्र वाराणसी तथा देश की जनता से संवाद करते हुए निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं-
▪मुझे ऐहसास है कि आप सभी के बहुत सारे प्रश्न होंगे, कुछ चिंताएं भी होंगी और सुझाव भी होंगे.तो आइए, संवाद शुरू करते हैं.
▪आज काबुल में गुरुद्वारे में हुए आतंकी हमले से मन काफी दुखी है. मैं इस हमले में मारे गए सभी लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. आप जानते हैं, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री स्नेह, करुणा और ममता का स्वरूप हैं. उन्हें प्रकृति की देवी भी कहा जाता है.
▪आज देश जिस संकट के दौर से गुजर रहा है, उसमें हम सभी को मां शैलपुत्री के आशीर्वाद की बहुत आवश्यकता है.आपका सांसद होने के नाते मुझे, ऐसे समय में आपके बीच होना चाहिए था. लेकिन आप यहां दिल्ली में जो गतिविधियां हो रही हैं, उससे भी परिचित हैं. यहां की व्यस्तता के बावजूद मैं वाराणसी के बारे में निरंतर अपने साथियों से अपडेट ले रहा हूं.
▪आज कोरोना वायरस के खिलाफ जो युद्ध पूरा देश लड़ रहा है, उसमें 21 दिन लगने वाले हैं. हमारा प्रयास है इसे 21 दिन में जीत लिया जाए.
▪संकट की इस घड़ी में, काशी सबका मार्गदर्शन कर सकती है, सबके लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सकती है. काशी का अनुभव शाश्वत, सनातन, समयातीत है और इसलिए, आज लॉकडाउन की परिस्थिति में काशी देश को सिखा सकती है.
▪वैसे मैं आपको ये भी जानकारी देना चाहता हूं कि कोरोना से जुड़ी सही और सटीक जानकारी के लिए सरकार ने Whatsapp के साथ मिलकर एक हेल्पडेस्क भी बनाई है.
▪आप ये भी ध्यान रखिए कि कोरोना से संक्रमित दुनिया में 1 लाख से अधिक लोग ठीक भी हो चुके हैं और भारत में भी दर्जनों लोग कोरोना के शिकंजे से बाहर निकले हैं. कल तो एक खबर में देख रहा था कि इटली में 90 वर्ष से ज्यादा आयु की माताजी भी स्वस्थ हुई हैं.
इस दौरान प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कुछ आम जनता का सवाल लेते हुए कोरोना संक्रमण में रोग के रोकथाम में जागरूकता की भूमिका, स्वास्थ्य कर्मियों से संबंधित मुद्दा, लॉक डाउन के कारण रोजी-रोटी की समस्या, लोगों द्वारा खुद इलाज करने की समस्या तथा छात्रों और बच्चों की समस्या का जवाब दिया.
कोरोना के रोकथाम में जागरूकता की भूमिका पर प्रधानमंत्री का जवाब
प्रोफेसर कृष्ण कांत वाजपेई कोरोना संक्रमण को रोकने के जागरूकता की भूमिका पर सवाल पूछा. जिसका जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपने देखा होगा, बीते कुछ वर्षों में एक परंपरा शुरू हुई है कि एयरपोर्ट पर जब लोग फौज के जवानों को देखते हैं तो उनके सम्मान में खड़े हो जाते हैं, कुछ लोग तालियां भी बजाते हैं. ये आभार प्रकट करने का तरीका हमारे संस्कारों में बढ़ना ही चाहिए. हमारे समाज में ये संस्कार दिनों-दिन प्रबल हो रहा है, कि जो देश की सेवा करते हैं, जो देश के लिए खुद को खपाते हैं, उनका सार्वजनिक सम्मान भी होते रहना चाहिए.
स्वास्थ्यकर्मियों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री का जवाब
सामाजिक कार्यकर्ता मोहनी झानवर ने स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य फ्रंटलाइन स्टाफ और ऑफिसर के बारे में मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री से सवाल पूछा. इस सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे में जब देश के सामने इतना बड़ा संकट हो, पूरे विश्व के सामने इतनी बड़ी चुनौती हो, तब मुश्किलें नहीं आएंगी, सब कुछ अच्छे होगा, ये कहना अपने साथ धोखा करने जैसा होगा. अगर मैं कहूं कि सब कुछ ठीक है, सब कुछ सही है, तो मैं मानता हूं कि ये खुद को भी धोखा देने वाली बात होगी. इस समय केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, जितना ज्यादा हो सके, जितना अच्छा हो सके, इसके लिए भरसक प्रयास कर रही हैं.
रोजी-रोटी की समस्या पर प्रधानमंत्री का जवाब
कपड़ा व्यवसाई अखिलेश खेमका ने प्रधानमंत्री के सामने लॉक डाउन के चलते गरीबों के रोजी-रोटी और जीवन यापन संबंधित सवाल पूछा. इस सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि निराशा फैलाने के लिए हजारों कारण हो सकते हैं लेकिन जीवन तो आशा और विश्वास से ही चलता है. नागरिक के नाते कानून और प्रशासन को जितना ज्यादा सहयोग करेंगे, उतने ही बेहतर नतीजे निकलेंगे. आप सोचिए, अस्पतालों में लोग 18-18 घंटे काम कर रहे हैं। कई जगह अस्पतालो में, हेल्थ सेक्टर से जुड़े लोगों को 2-3 घंटे से ज्यादा सोने को नहीं मिल रहा. कितने ही सिविल सोसायटी के लोग हैं जो गरीबों की मदद के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं.
सेल्फ मेडिकेशन पर प्रधानमंत्री का जवाब
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ गोपाल नाथ ने प्रधानमंत्री के समक्ष कोरोना महामारी में खुद से दवाई लेने का मुद्दा प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया. प्रधानमंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा कि आपने खबरों में भी देखा होगा कि, दुनिया के कुछ देशों में अपनी मर्ज़ी से दवाएं लेने के कारण कैसे जीवन संकट में पड़ रहे हैं. हम सभी को हर तरह के अंधविश्वास से, अफवाह से बचना है. हमें ये ध्यान रखना है कि अभी तक कोरोना के खिलाफ कोई भी दवाई, कोई भी वेक्सीन पूरी दुनिया में नहीं बनी है। इस पर हमारे देश में भी और दूसरे देशों में भी काम तेज़ी से चल रहा है.
बच्चों और छात्रों से संबंधित मुद्दों पर प्रधानमंत्री का जवाब
अंकिता खत्री नाम की एक गृहिणी ने प्रधानमंत्री के सामने बच्चों और छात्रों और परीक्षा के बारे में सवाल पूछा. इसका जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सही है कि आपदा बहुत बड़ी है. लेकिन आपदा को अवसर में बदलना ही मानव जीवन की विशेषता है. इन दिनों सोशल मीडिया में आप लॉकडाउन का एक और प्रभाव देखने को मिल रहा है. मैं देख रहा हूं कि मानव जाति, कैसे इस वैश्विक संकट से जीतने के लिए एक साथ आगे आई है।
9 गरीब परिवारों का ख्याल रखें
21 दिन के लॉक डाउन के दौरान गरीबों के सामने जीवन यापन और रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है. इस गंभीर समस्या को देखते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की है कि अपने आसपास के 9 गरीब परिवारों का ख्याल रखें.
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