Last Updated on 13/01/2022 by Sarvan Kumar
भाषा, क्षेत्र और सांस्कृतिक विविधताओं के आधार पर इस जाति में कई उप समूह या उपजातियां पाई जाती हैं. जैसे मालवा के मालवी, हैदराबाद और तेलुगु क्षेत्र के तेलंगा, उत्तर भारत के परदेसी और मराठा क्षेत्र के मराठा. गढेवाल या गढे जो टाइल्स बनाते हैं और उन्हें गधों पर ढोते हैं, बर्दिया जो परिवहन के लिए बैल का उपयोग करते हैं और सुंगरिया जो सूअर रखते हैं. कुछ उप समूह कार्य करने के तरीके में अंतर के कारण उत्पन्न हुए हैं. हथगढिया जो केवल अपने हाथों से पहिया (चाक) के उपयोग किए बिना बर्तनों को बनाते हैं. गोरिया जो केवल सफेद और लाल बर्तन बनाते हैं, काले नहीं. कुरेरे जो पहिया नहीं बल्कि एक छड़ी पर घूमने वाले एक पत्थर की पटिया पर बर्तन ढालते हैं. चकेरे जो बर्तन ढालने के लिए चाक यानी कि पहिया का उपयोग करते हैं. इन सभी उप समूहों को सम्मिलित रूप से कुम्हार कहा जाता है. आइए जानते हैैं अलग-अलग राज्यों में कुम्हार जाति उपजातियां और समुदाय के बारे में विवरण:
कुम्हार जाति के उपजातियां
मध्य प्रदेश:
यहां कुम्हारों का दो उप समूह पाया जाता है- हथरेटी और चकरेटी. बर्तन बनाने के लिए चाक को हाथ से घुमाने के कारण इन्हें हथरेटी कहा जाता है. चाक चलाने की डण्डी चकरेटी कहा जाता है. जो कुम्हार चाक घुमाने के लिए चकरेटी का प्रयोग करते हैं, उन्हें चकरेटी कुम्हार कहा जाता है. गोला मध्यप्रदेश में कुम्हारों के बीच एक आम उपनाम है.
राजस्थान:
राजस्थान में कुम्हारों को प्रजापत के नाम से भी जाना जाता है. यहां कुम्हारों के 6 उप समूह पाए जाते हैं- कुमावत, खेतेरी, माथेरा, मारवाड़ा, तितलिया और मावालिया.
उड़ीसा:
यहां कुम्हारों की दो उपजाति पाई जाती है-उड़िया कुम्हार और झाडुआ कुम्हार.
उत्तर प्रदेश और बिहार :
यहां पाई जाने वाली कुम्हारों की प्रमुख जातियां हैं-कनौजिया, मगहिया, तुकरना और गधेरे. कनौजिया कुम्हार का समाज में सम्मान होता है और यह पंडित सरनेम लगाते हैं, हालांकि यह ब्राह्मणों से अलग है.
गुजरात
झारखंड:
यहां बंगाली भाषा बोलने वाले कुम्हारों की संख्या अन्य कुम्हारों की तुलना में अधिक है. यहां पाई जाने वाली कुम्हारों की उपजाति है- खुंटकाटी कुम्हार और प्रजापति कुम्हार. खुंटकाटी कुम्हार यहां के मूल निवासी है और इनके प्रचारित सरनेम हैं- पाल, भगत, कुंभार, बेरा, प्रधान और चौधरी.
कुम्हार किस धर्म को मानते हैं?
कुम्हार मुख्य रूप से हिंदू होते हैं. लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप पर मुस्लिम विजय के बाद कुछ लोगों ने इस्लाम अपना लिया.
कुछ कुम्हार सिख और बौद्ध भी मानते हैं.
ये भी पढें कुम्हार जाति का इतिहास, कुम्हार शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
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