Ranjeet Bhartiya 17/10/2021

Last Updated on 05/10/2022 by Sarvan Kumar

तेली समाज का इतिहास स्वर्णिम और गौरवशाली रहा है. स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्र के उत्थान और देश के सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक कार्यों में इस समाज का अहम योगदान रहा है. यह समाज अपने सेवा भाव, त्याग, देश प्रेम, धर्म और संस्कृति की रक्षा और अपने दानवीरता

के लिए जाना जाता है. जब- जब इस देश और समाज को जरूरत पड़ी तेली समाज के महापुरुषों ने अपनी कुर्बानी देकर, खुद को कष्ट में रखकर, देश और समाज की रक्षा का काम किया. जब हल्दीघाटी के युद्ध में पराजित होकर महाराणा प्रताप हताश होकर अपने परिवार के साथ जंगलों में भटक रहे थे तब भामाशाह ने मेवाड़ की अस्मिता और सम्मान की रक्षा के लिए अपनी सारी संपत्ति महाराणा प्रताप को अर्पित कर दी. अपनी दानवीरता के लिए भामाशाह इतिहास में अमर हो गए. उनकी त्याग और दानशीलता की कहानी आज भी बड़े चाव से सुनाई जाती है और समाज को प्रेरणा देती है.भारत के कई हिस्सों में तैलिक समाज प्रभावशाली रहे हैं.आइये जानते हैं मोदी तेली है या नहीं ? तेली जाति के प्रमुख व्यक्ति के नाम।

Mahatma Gandhi

तेली जाति के प्रमुख व्यक्ति

महात्मा गांधी

अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी को भला कौन भुला सकता है। भारत देश में राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात में हुआ था। उनके अथक प्रयासों से ही भारत अंग्रेजों के गुलामी से मुक्त हुआ।

नरेंद्र मोदी

मोढ घांची तेली समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नरेंद्र मोदी 2014 से 2019 तक भारत के 14वें और वर्तमान प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं. मोदी 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे.

भामाशाह (1547 – 1600)

लोकहित, आत्मसम्मान और मातृभूमि के लिए सर्वस्व दान करने वाले भामाशाह अपनी दानवीरता के लिए इतिहास में अमर हैं. इनका जन्म राजस्थान के मेवाड़ राज्य में वर्तमान पाली जिले के सादड़ी गांव में 28 जून 1547 को हुआ था. यह महाराणा प्रताप के बचपन के मित्र, विश्वासपात्र सहयोगी और सलाहकार थे. जब हल्दी घाटी के युद्ध में पराजित महाराणा प्रताप अपने परिवार के साथ जंगलों में भटक रहे थे, तब भामाशाह ने अपनी सारी जमा पूंजी महाराणा को समर्पित कर दी. यह खजाना इतना था कि महाराणा प्रताप के 25 हजार सैनिकों का खर्च 12 साल तक चलया जा सकता था.

रघुवर दास

तेली जाति से ताल्लुक रखने वाले रघुवर दास एक राजनेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. इनका जन्म 3 मई 1955 को हुआ था. मजदूर राजनीति और जेपी आंदोलन से तपकर निकलने वाले रघुवर दास ने अपने जीवन की शुरुआत टाटा स्टील में एक श्रमिक के रूप की थी. और वह राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते झारखंड के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच गए.

ताम्रध्वज साहू

छत्तीसगढ़ की राजनीति में ताम्रध्वज साहू एक बड़ा नाम है. ताम्रध्वज साहू का जन्म 6 अगस्त 1949 को छत्तीसगढ़ के पटोरा जिले में हुआ था. वह 2000-2003 तक छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री रहे. साल 2014 लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की दुर्ग सीट से सांसद बने. वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार में गृह मंत्री हैं.

रामेश्वर तेली

14 अगस्त 1970 में असम के दुलियाजान में जन्मे रामेश्वर साहू ने खेतों में ठेला खींचने से लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री तक का सफर तय किया है. दुलियाजान विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके रामेश्वर तेली साल 2014 में डिब्रूगढ़ सीट से बीजेपी की टिकट पर पहली बार सांसद बने थे. वह 30 मई 2019 से 7 जुलाई 2021 तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री भी रहे. 7 जुलाई 2021 से वह श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं.

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