Ranjeet Bhartiya 17/06/2023
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ब्राह्मण भारतीय सामाजिक संरचना में विशेष रूप से धार्मिक, शिक्षा और यज्ञादि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं, इसीलिए प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में ब्राह्मणों का महत्व रहा है. ब्राह्मण समुदाय की धर्म, शिक्षा और संस्कृति के रक्षक के रूप में प्रतिष्ठा है. हिन्दू धर्म ग्रंथों जैसे वेद, पुराण आदि में भी ब्राह्मणों के महत्व को विस्तार से बताया गया है और कहा गया है कि हमें ब्राह्मणों का अपमान नहीं करना चाहिए. इसी क्रम में यहां हम जानेंगे कि ब्राह्मणों के अपमान करने से क्या होता है.

ब्राह्मणों के अपमान करने से क्या होता है?

•ऐसी मान्यता है कि ब्राह्मणों का अपमान करने वाला शीघ्र ही नष्ट हो जाता है. श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि 6 चीजों का अपमान नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका परिणाम खतरनाक हो सकता है और इससे व्यक्ति का पतन हो सकता है. श्रीमद्भागवत में एक श्लोक का उल्लेख मिलता है, जो इस प्रकार है-

यदा देवेषु वेदेषु गोषु विप्रेषु साधुषु।

धर्मो मयि च विद्वेषः स वा आशु विनश्यित।।

अर्थ: इसमें भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो मनुष्य देवताओं, वेदों, गायों, ब्राह्मणों, साधुओं और धर्म के कार्यों का बुरा सोचता है, वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है.

•मान्यता है कि ब्राह्मणों का अपमान करने से देवता भी नाराज हो जाते हैं. ब्राह्मण हमें पूजा की सही विधि बताते हैं, जिससे हमें भगवान की कृपा और आशीर्वाद मिलता है. जो व्यक्ति ब्राह्मणों का अपमान करता है उसे किसी भी पूजा का फल नहीं मिलता है.

वाल्मीकि रामायण के उत्तरकाण्ड में निम्नलिखित श्लोक का उल्लेख है-

मातरं पितरं विप्रमाचार्य चावमन्यते।

स पश्यति फलं तस्य प्रेतराजवशं गतः।

अर्थ: इस श्लोक का अर्थ यह है कि हमें किसी भी परिस्थिति में भूलकर भी माता-पिता, ब्राह्मण और विद्वानों का अपमान नहीं करना चाहिए.

•कहा जाता है कि ब्राह्मणों का अपमान करने से पूरे कुल का नाश हो सकता है. मनुस्मृति में कुछ ऐसे व्यक्तियों का उल्लेख किया गया है जिनका अपमान करने से धन और सुख की हानि होती है और अपमान करने वाले का सर्वनाश हो सकता है. मनुस्मृति का एक श्लोक इस प्रकार है-

क्षत्रियं चैव सर्पं च ब्राह्मणं च बहुश्रुतम्।

नावमन्येत वै भूष्णु: कृशानापि कदाचन्।।

एतत्त्रयं हि पुरुषं निर्दहेदवमानितम्।

तस्मादेतत्त्रयं नित्यं नाममन्येत बुद्धिमान।।

अर्थ:

जो व्यक्ति अपने जीवन को सुखी, स्वस्थ और  ऐश्वर्यवान (धनवान) बनाना चाहता है उसे क्षत्रिय, सर्प तथा निर्बल ब्राह्मण को नहीं सताना चाहिए. क्योंकि ये तीनों मौका मिलते ही अपमान करने वालों से बदला लेते हैं. ब्राह्मण बदला लेना चाहे तो पूरे कुल का नाश कर सकता है. ब्राह्मण का कभी अपमान नहीं करना चाहिए. हिन्दू शास्त्रों में ब्राह्मण का अपमान करना महापाप बताया गया है.

श्रीमद्भागवत, रामायण और मनुस्मृति आदि ग्रंथों में कहा गया है कि ब्राह्मणों का अपमान नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे व्यक्ति को अनेक दुष्प्रभावों को झेलना पड़ता है और इससे धन, सुख, शांति, मान-सम्मान और पूरे परिवार का नाश होता है. इसीलिए भूल कर भी ब्राह्मणों का अपमान नहीं करना चाहिए. यहां यह उल्लेखनीय है कि केवल ब्राह्मण ही नहीं बल्कि सभी जातियों और समुदायों के व्यक्ति का सम्मान होना चाहिए. किसी भी जाति/समुदाय के व्यक्ति का अपमान करना सामाजिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है, और यह सामाजिक एकता, समानता, और सहभागिता को भंग कर सकता है. इसीलिए सभी के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए.

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