Sarvan Kumar 23/01/2023
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Last Updated on 13/03/2023 by Sarvan Kumar

ऋग्वेद (Rigveda) संसार में सबसे प्राचीन पुस्तक है। इसके रचनाकाल के विषय में इतिहासकार पूर्णत: असहमत हैं। कुछ लोग इसका रचना-काल 1000 ई०पू० के लगभग बताते हैं। कुछ विद्वान इसकी तिथि 3000 और 2500 ई०पू० के लगभग बताते हैं। कुछ विद्वान इसकी तिथि 3000 और 2500 ई०पू० के मध्य निश्चित करते हैं। आइए जानते हैं, ऋग्वेद की रचना कब की गई, किसने की और कहां हुई?

ऋग्वेद की रचना कब की गई?

मैक्स मूलर (Max Mueller के अनुसार: गिफर्ड भाषण-माला के अन्तर्गत भौतिक धर्म सम्बन्धी 1889 के अपने भाषण में प्रो० मैक्स मुल्लर ने कहा था, “हम यह नहीं कह सकते कि इसकी रचना कब शुरू हुई. वैदिक श्लोकों की रचना ईसा से 1000, 1500, 2000 या 3000 वर्ष पूर्व हुई, यह निश्चय करना संसार की किसी शक्ति के लिए सम्भव न होगा.”

प्रो० जैकोबी (Jacobi) के अनुसार: जैकोबी ने नक्षत्रीय गणना के आधार पर ऋग्वेद की रचनाकाल 4500 ई०पू० बताया है. तीसरी सहम्राब्दी में हुई होगी।

बाल गंगाधर तिलक के अनुसार: The arctic home in the vedas जिसे बाल गंगाधर तिलक ने लिखा और जो 1925 में प्रकाशित किया गया था ने भी जैकोबी के गणना का समर्थन किया है।

ऋग्वेद कब लिखा गया?

ऋग्वेद का पहली बार ब्रिटिश विद्वान होरेस हेमैन विल्सन, या एचएच विल्सन (1786-1860) द्वारा अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था। ऋग्वेद मूल रूप से वैदिक संस्कृत में लिखा गया था; वास्तव में, उन्होंने पहले संस्कृत-से-अंग्रेजी भाषा संसाधनों का संकलन किया। ऋग्वेद का अंग्रेजी में होरेस का अनुवाद 19वीं शताब्दी के मध्य में 38 वर्षों की अवधि में छह खंडों में छपा था। उपनिषद के रूप में जाने जाने वाले वेद के खंडों का पहला अनुवाद अकबर के शासनकाल (1556-1586) में फारसी में किया गया था। उनके परपोते, सुल्तान मोहम्मद दारा शिकोह ने 1656 में औपनेखत। Oupnekhat or Oupnekhata नामक एक संग्रह का निर्माण किया, जिसमें 50 उपनिषदों का संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया गया था।
वेदों को मूल रूप से मौखिक परंपरा के माध्यम से प्रसारित किया गया था, जैसे कि ग्रीस में होमरिक कविताएं थीं। आखिरकार, वेद लिखे गए, लेकिन उनकी पहली लिखित पांडुलिपि निश्चित रूप से अब मौजूद नहीं है। वे सदियों पहले खो गए थे,अब हमारे पास जो ग्रंथ हैं वे सभी प्रतियों की प्रतियों की प्रतियां हैं और इसी तरह किसी भी वेद की सबसे पुरानी प्रतियाँ ऋग्वेद और अथर्ववेद की प्रतियाँ हैं जो वर्तमान में पुणे, महाराष्ट्र, भारत में भंडारकर ओरिएंटल संस्थान में रखी गई हैं।

ऋग्वेद किसने लिखा?

ऋग्वेद पहला और एकमात्र वेद था, विद्वानों का मत है कि महर्षि कृष्णद्वैपायन व्यास (वेद व्यास) ने द्वापर युग में इन वेदों का विभाजन कर ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रचे. एक और मान्यता के अनुसार वेद का वि‍भाजन भगवान राम के जन्‍म के पूर्व पुरुरवा ऋषि के समय में हुआ था। इस मान से लिखित रूप में आज से 6510 वर्ष पूर्व पुराने हैं वेद। श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था और श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ था। आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ई.पू. में हुआ था। इसका मतलब यह कि वैवस्वत मनु (6673 ईसापूर्व) काल में वेद लिखे गए। बाद में अथर्ववेद का संकलन ऋषि‍ अथर्वा द्वारा कि‍या गया। लेकिन वेदव्यास जी द्वारा वेदों को केवल लिपिबद्ध किया गया है। वेद अनादि हैं, वे वेदव्यास के अवतार लेने के पहले भी थे। वेद तो भगवान के श्रीमुख से प्रकट हुए थे। भगवान से मनुष्यों तक वेद सुनते हुए (गुरु-शिष्य परम्परा अनुसार) आये। इसीलिए वेदों को श्रुतियाँ भी कहा जाता है। वेद और पुराणों में कहा गया है की वेद भगवान के निःश्वास है और जब भी सृष्टि बनती है तब वेद प्रकट कर दिए जाते है और जब प्रलय होता है तो भगवान में वेद लीन हो जाती है।

वेदों की रचना कहां हुई?

वेद मौखिक रूप में अस्तित्व में थे और पीढ़ियों तक गुरु से शिष्य तक पारित किए गए थे। लगता है वेदों का लिखित रूप 1500- 500 ईसा- पूर्व आया जिसे वैदिक काल कहा जाता है।.ऋग्वेद संहिता का बड़ा हिस्सा भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र (पंजाब) में रचा गया था। ऋग्वेद की संहिता को ‘ऋकसंहिता’ कहते हैं। वस्तुत: ‘ऋक’ का अर्थ है- ‘स्तुतिपरक मन्त्र और ‘संहिता’ का अभिप्राय संकलन से है। अत: ऋचाओं के संकलन का नाम ‘ऋकसंहिता’ है। संहिता सामान्य रूप से ऋग्वेद का सामान्य नाम है। 

सायण का वेद

मध्यकाल का लिखा वेद सबसे विश्वसनीय, संपूर्ण और प्रभावकारी भाष्य है। विजयनगर के महाराज बुक्का (वुक्काराय) ने वेदों के भाष्य का कार्य अपने आध्यात्मिक गुरु और राजनीतिज्ञ अमात्य माधवाचार्य को सौंपा था। परंतु इस वृहत कार्य को छोड़कर उन्होंने अपने छोटे भाई ‘सायण’ (चौदहवीं सदी, मृत्यु 1387 AD) को ये दायित्व सौंप दिया। उन्होंने अपने विशाल ज्ञानकोश से इस टीका का न केवल सम्पादन किया बल्कि 24 वर्षों तक सेनापतित्व का दायित्व भी निभाया। दरअसल, वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों की 28 हजार पांडुलिपियां भारत में पुणे के ‘भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ में रखी हुई हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियां बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विश्व विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है।

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