
Last Updated on 01/07/2023 by Sarvan Kumar
खत्री (Khatri) एक आम उपनाम है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है, खासकर हिंदू समुदायों के बीच. खत्री संस्कृत शब्द “क्षत्रिय” से लिया गया है, जिसका अर्थ योद्धा या शासक होता है. उन्हें क्षत्रिय वर्ण (योद्धा वर्ग) से संबंधित वर्ण व्यवस्था का हिस्सा माना जाता है. वर्तमान में इनकी पहचान योद्धा-व्यापारी समुदाय के रूप में की जाती है. लेकिन यहां हम खत्री ब्राह्मणों के बारे में जानेंगे यानी खत्री ब्राह्मण कौन हैं?
खत्री ब्राह्मण कौन हैं?
ऐतिहासिक रूप से, खत्री व्यापार, वाणिज्य और सैन्य सेवा में शामिल थे. खत्रियों ने व्यापार, राजनीति और कला सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उनके पास एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और वे अपनी उद्यमशीलता की भावना और सामाजिक प्रभुत्व के लिए जाने जाते हैं. आज, खत्री दुनिया भर में फैले हुए हैं और आधुनिक समय के साथ तालमेल रखते हुए अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को कायम रखे हुए हैं. खत्री क्षत्रिय होने का दावा करते हैं. लेकिन इस समुदाय की वर्ण स्थिति के बारे में अलग-अलग विद्वानों के अलग-अलग मत हैं. कुछ इतिहासकारों के अनुसार, वे मूल रूप से क्षत्रिय थे, भले ही वे कृषि जैसे व्यापारिक या अन्य व्यावसायिक रूप से विविध व्यवसायों में लिप्त थे. भारतीय इतिहासकार सतीश चंद्र की राय में, खत्री और कायस्थ जैसी कुछ जातियाँ हिंदू वर्ण व्यवस्था में “बिल्कुल फिट नहीं हैं”. उनके अनुसार, खत्री न तो वैश्य हैं और न ही क्षत्रिय बल्कि “उत्कृष्ट व्यापारी” हैं. आनंद यांग के अनुसार, बिहार के सारण जिले के खत्री, वैश्य वर्ण के अग्रवाल और रस्तोगी के साथ “बनिया” की सूची में शामिल थे. जबकि कुछ विद्वानों का मत है कि खत्री ब्राह्मण थे.
खत्री के ब्राह्मण होने के सन्दर्भ में हमें उनके प्रारंभिक इतिहास से गुजरना होगा. सिकंदर महान के साथ कई यूनानी इतिहासकार भारत आए थे. इन प्राचीन यूनानी इतिहासकारों ने कथैओ (Kathaioi) नामक एक जनजाति का उल्लेख है. कथैओ जनजाति का राज्य हाइड्रोट्स (रावी) के पूर्व में स्थित था, लेकिन हाइडार्प्स (झेलम) और अक्साइन्स (चिनाब) के बीच और जिसकी राजधानी सागला (सियालकोट) थी. कथैओ जनजाति काफी शक्तिशाली थी और उन्होंने सिकंदर को आगे बढ़ने से रोका था. इसी तरह से यूनानी इतिहासकार एरियन ने पंजाब में खत्रोइस (Khathrois) नामक जनजाति का उल्लेख किया है. वहीं, दूसरी शताब्दी ईस्वी में ग्रीक-मिस्र के खगोलशास्त्री टॉलेमी का लेखन में खत्रीओई (Khatriaoi) नामक जनजाति का उल्लेख किया है.
भारतीय इतिहासकार बैज नाथ पुरी का उल्लेख है कि पश्चिम पंजाब में यूनानियों द्वारा उल्लिखित इन कथैओ (Kathaioi), खत्रोइस (Khathrois) और खत्रीओई (Khatriaoi) जनजातियों के आधुनिक वंशज भारत के खत्री हैं. जर्मन-अमेरिकी भाषाविद, तुलनात्मक पौराणिक कथाविद् और इंडोलॉजिस्ट माइकल विट्जेल ने अपने पेपर “कुरु राज्य का संस्कृतिकरण” में लिखा है कि कथैओ (Kathaiois) ब्राह्मण थे.
References:
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•Puri, Baij Nath (1988). The Khatris, a socio-cultural study. New Delhi: M.N. Publishers and Distributors. pp. 9–11. OCLC 61616699. It
•Witzel, Michael (1995). “Early Sanskritization Origins and Development of the Kuru State”

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