
Last Updated on 11/12/2021 by Sarvan Kumar
खत्री (Khatri) मूल रूप से दक्षिण एशिया में पाई जाने वाली एक जाति है. यह मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम-उत्तरी भाग में निवास करते हैं. खत्री समाज का इतिहास प्रभावशाली, गौरवशाली और स्वर्णिम रहा है. मध्यकाल और ब्रिटिश हुकूमत के अंत से लेकर अब तक तक इस समाज की हर क्षेत्र जैसे-व्यवसाई, दुकानदार, बैंकर, वकील, प्रशासक, शिक्षक, कपड़ा मुद्रक, सैन्य कर्मी और धर्म गुरु आदि के रूप में प्रभावशाली उपस्थिति रही है. सिख धर्म के सभी गुरुओं और खालसा सेना के कमांडर इन चीफ हरी सिंह नलवा जैसे महान और उल्लेखनीय लोगों ने खत्री समाज में ही जन्म लिया है.यह मुख्य रूप से भारत में पाए जाते हैं.धर्म से यह हिंदू, सिख या इस्लाम धर्म के अनुयाई हो सकते हैं. हालांकि, अधिकांश खत्री हिंदू धर्म को मानते हैं. यह मुख्य रूप से पंजाबी, हिंदी, गुजराती, सिंधी, पश्तो, उर्दू और कच्छी भाषा बोलते हैं.भारत के विभाजन के दौरान, अधिकांश खत्री पाकिस्तान और अफगानिस्तान छोड़कर भारत आकर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब बस गए. बाद में बेहतर अवसरों की तलाश में देश के अन्य भागों में जाकर भी बस गए. आइए जानते हैं खत्री समाज का इतिहास, खत्री जाति की उत्पति कैसे हुई?

Photo: Wikipedia
Photo
खत्री कहां पाए जाते है?
भारत के अलावा यह अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी निवास करते हैं. अफगानिस्तान में पाए जाने वाले हिंदू और सिख मुख्य रूप से खत्री और अरोड़ा मूल के हैं.भारत में यह मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली NCR, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में निवास करते हैं. पाकिस्तान में यह मुख्य रूप से बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में पाए जाते हैं.
खत्री की उत्पत्ति कैसे हुई?
खत्री शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द “क्षत्रिय” से हुई है. भाषाविद बीएन पूरी के अनुसार, ‘खत्री” और “क्षत्रिय” शब्द पर्यायवाची हैं. इतिहासकार W.H McLeod और Louis Fenech के अनुसार, खत्री क्षत्रिय शब्द का एक पंजाबी रूप है.
खत्री समाज का इतिहास
एक व्यापारिक वर्ग : शब्द के व्युत्पत्ति के आधार पर खत्री समाज के लोग क्षत्रिय होने का दावा करते हैं. लेकिन अधिकांश इतिहासकारों और विद्वानों का मत है कि क्षत्रिय उत्पत्ति के बावजूद खत्री एक व्यापारिक वर्ग है. और यह पारंपरिक रूप से व्यापारी और सरकारी अधिकारी थे. पंजाब के संदर्भ में खत्री “बेदी, भल्ला और सोढ़ी सहित अन्य व्यापारी जातियों के समूह” को संदर्भित करता है.
भगवान राम के वंशज: गुरु गोविंद सिंह द्वारा रचित दशम ग्रन्थ नामक पुस्तक के एक भाग का “बचित्तर नाटक” के अनुसार, खत्री जाति की एक उपजाति “बेदी” श्री राम के पुत्र कुश के वंशज हैं. इसी तरह से, एक अन्य किवदंती के अनुसार, सोढ़ी उपजाति श्री राम के दूसरे पुत्र लव का वंशज होने का दावा करती है.
Shopping With us and Get Heavy Discount |
Disclaimer: Is content में दी गई जानकारी Internet sources, Digital News papers, Books और विभिन्न धर्म ग्रंथो के आधार पर ली गई है. Content को अपने बुद्धी विवेक से समझे। jankaritoday.com, content में लिखी सत्यता को प्रमाणित नही करता। अगर आपको कोई आपत्ति है तो हमें लिखें , ताकि हम सुधार कर सके। हमारा Mail ID है jankaritoday@gmail.com. अगर आपको हमारा कंटेंट पसंद आता है तो कमेंट करें, लाइक करें और शेयर करें। धन्यवाद |