Sarvan Kumar 28/09/2021
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Last Updated on 28/09/2021 by Sarvan Kumar

जिस ब्राह्मण के  शास्त्रों में निर्दिष्ट गर्भाधान,  पुंसवन आदि 48 संस्कार विधि पूर्वक हुए हो वही ब्राह्मण ब्रह्मलोक और ब्राह्मणत्व को प्राप्त करता है। संस्कार ही ब्राह्मणत्व प्राप्ति का मुख्य कारण है। आइए जानते हैं असली ब्राह्मण कौन है?

40 संस्कारो के नाम

1. गर्भाधान 2. पुंसवन 3. सीमन्तोन्नयन 4. जातकर्म 5. नामकरण 6. अन्नप्राशन 7. चौल 8. उपनयन, 9-12. चार वेदव्रत, 13. स्नान, 14. सहधर्मचारिणी संयोग, 15-19. पंचमहायज्ञ, 20-26. अष्टक, पार्वण श्राद्ध, श्रावणी आग्रहायणी, चैत्री, आश्रयुजी, 27-33. अग्न्याधेय, अग्निहोत्र, दर्शपौर्णमास्य, चातुर्मास्य, आग्रयाणेष्टि, निरुढ पशुबन्ध, सौत्रामणि, 34-40. अग्निष्टोम, अत्यग्निष्टोम, उक्थ षोडशी, वाजपेय, अतिरात्र आप्तोर्याम।

असली ब्राह्मण कौन है?

इनके साथ ब्राह्मण में  8 आत्म गुण भी होने चाहियें जिससे ब्रह्म की प्राप्ति होती है। इनके साथ ब्राह्मण में  8 आत्म गुण भी होने चाहियें जिससे ब्रह्म की प्राप्ति होती है।

ब्राह्मण  के आठ गुण

अनसूया :: दूसरों के गुणों में दोष बुद्धि न रखना, गुणी  के गुणों को न छुपाना, अपने गुणों को प्रकट न करना, दुसरे के दोषों को देखकर प्रसन्न न होना।
दया :: अपने-पराये, मित्र-शत्रु में अपने समान व्यवहार करना और दूसरों का  दुःख दूर करने की इच्छा रखना।
क्षमा :: मन, वचन या शरीर से दुःख पहुँचाने वाले पर क्रोध न करना व वैर न करना।
अनायास :: जिन शुभ कर्मों को करने से शरीर को कष्ट होता हो, उस कर्म को हठात् न करना।
मंगल :: नित्य अच्छे कर्मों को करना और बुरे कर्मों को न करना।
अकार्पन्य :: मेहनत, कष्ट व न्यायोपार्जित धन से, उदारता पूर्वक थोडा-बहुत नित्य दान करना।
शौच :: अभक्ष्य वस्तु का भक्षण न करना, निन्दित पुरुषों का संग न करना और सदाचार में स्थित रहना।
अस्पृहा :: ईश्वर की कृपा से थोड़ी-बहुत संपत्ति से भी संतुष्ट रहना और दूसरे के धन की, किंचित मात्र भी इच्छा न रखना।

संस्कार क्या है?

मुख्यतः संस्कार का अभिप्राय उन धार्मिक कृत्यों से है  जो किसी व्यक्ति को अपने समुदाय (समाज) का पूर्ण रुप से योग्य सदस्य बनाने के उद्देश्य से उसके मन, मस्तिष्क और शरीर को पवित्र करने के लिए किए जाते थे।

संस्कार कितने हैं?

संस्कारों की संख्या के विषय में विद्वानों में मतभेद बना हुआ है। अलग अलग विद्वानों द्वारा लिखे गए गृह्य सूत्रों में इनकी संख्या भिन्न भिन्न मिलती है।गौतम ने संस्कारों की संख्या 40 बताई है। मनु ने 13 संस्कारों का उल्लेख किया है। याज्ञवल्क्य ने 10 संस्कारों का उल्लेख किया है तथा व्यास ने व्यासस्मृति में 16 संस्कारो का उल्लेख किया है। उपरोक्त मतभेदों के विवेचन के बाद वर्तमान समय में अधिकांश धर्मशास्त्रियों द्वारा संस्कारों की संख्या 16 मानी गयी है। ये निम्न हैं―

16 संस्कारो के नाम

महर्षि  व्यास के अनुसार 16 संस्कारो के नाम इस प्रकार है।

गर्भाधान संस्कार, (2). पुंसवन संस्कार. (3). सीमन्तोन्नयन संस्कार, (4). जातकर्म संस्कार, (5). नामकरण संस्कार, (6). निष्क्रमण संस्कार, (7). अन्नप्राशन संस्कार, (8). चूड़ाकर्म संस्कार, (9). विद्यारम्भ संस्कार, (10). कर्णवेध संस्कार, (11). यज्ञोपवीत संस्कार, (12). वेदारम्भ संस्कार, (13). केशान्त संस्कार, (14). समावर्तन संस्कार, (15). विवाह संस्कार, (16). अंत्येष्ट संस्कार।

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